1Thessalonians (3/5)  

1. आख़िरकार हम यह हालत मज़ीद बर्दाश्त न कर सके। हम ने फ़ैसला किया कि अकेले ही अथेने में रह कर
2. तीमुथियुस को भेज देंगे जो हमारा भाई और मसीह की ख़ुशख़बरी फैलाने में हमारे साथ अल्लाह की ख़िदमत करता है। हम ने उसे भेज दिया ताकि वह आप को मज़्बूत करे और ईमान में आप की हौसलाअफ़्ज़ाई करे
3. ताकि कोई इन मुसीबतों से बेचैन न हो जाए। क्यूँकि आप ख़ुद जानते हैं कि इन का सामना करना हमारे लिए अल्लाह की मर्ज़ी है।
4. बल्कि जब हम आप के पास थे तो हम ने इस की पेशगोई की कि हमें मुसीबत बर्दाश्त करनी पड़ेगी। और ऐसा ही हुआ जैसा कि आप ख़ूब जानते हैं।
5. यही वजह थी कि मैं ने तीमुथियुस को भेज दिया। मैं यह हालात बर्दाश्त न कर सका, इस लिए मैं ने उसे आप के ईमान को मालूम करने के लिए भेज दिया। ऐसा न हो कि आज़्माने वाले ने आप को यूँ आज़्माइश में डाल दिया हो कि हमारी आप पर मेहनत ज़ाए जाए।
6. लेकिन अब तीमुथियुस लौट आया है, और वह आप के ईमान और मुहब्बत के बारे में अच्छी ख़बर ले कर आया है। उस ने हमें बताया कि आप हमें बहुत याद करते हैं और हम से उतना ही मिलने के आर्ज़ूमन्द हैं जितना कि हम आप से।
7. भाइयो, आप और आप के ईमान के बारे में यह सुन कर हमारी हौसलाअफ़्ज़ाई हुई, हालाँकि हम ख़ुद तरह तरह के दबाओ और मुसीबतों में फंसे हुए हैं।
8. अब हमारी जान में जान आ गई है, क्यूँकि आप मज़्बूती से ख़ुदावन्द में क़ाइम हैं।
9. हम आप की वजह से अल्लाह के कितने शुक्रगुज़ार हैं! यह ख़ुशी नाक़ाबिल-ए-बयान है जो हम आप की वजह से अल्लाह के हुज़ूर मह्सूस करते हैं।
10. दिन रात हम बड़ी सन्जीदगी से दुआ करते रहते हैं कि आप से दुबारा मिल कर वह कमियाँ पूरी करें जो आप के ईमान में अब तक रह गई हैं।
11. अब हमारा ख़ुदा और बाप ख़ुद और हमारा ख़ुदावन्द ईसा रास्ता खोले ताकि हम आप तक पहुँच सकें।
12. ख़ुदावन्द करे कि आप की एक दूसरे और दीगर तमाम लोगों से मुहब्बत इतनी बढ़ जाए कि वह यूँ दिल से छलक उठे जिस तरह आप के लिए हमारी मुहब्बत भी छलक रही है।
13. क्यूँकि इस तरह अल्लाह आप के दिलों को मज़्बूत करेगा और आप उस वक़्त हमारे ख़ुदा और बाप के हुज़ूर बेइल्ज़ाम और मुक़द्दस साबित होंगे जब हमारा ख़ुदावन्द ईसा अपने तमाम मुक़द्दसीन के साथ आएगा। आमीन।

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