1Samuel (3/31)  

1. छोटा समूएल एली के ज़ेर-ए-निगरानी रब्ब के हुज़ूर ख़िदमत करता था। उन दिनों में रब्ब की तरफ़ से बहुत कम पैग़ाम या रोयाएँ मिलती थीं।
2. एक रात एली जिस की आँखें इतनी कमज़ोर हो गई थीं कि देखना तक़्रीबन नामुम्किन था मामूल के मुताबिक़ सो गया था।
3. समूएल भी लेट गया था। वह रब्ब के मक़्दिस में सो रहा था जहाँ अह्द का सन्दूक़ पड़ा था। शमादान अब तक रब्ब के हुज़ूर जल रहा था
4. कि अचानक रब्ब ने आवाज़ दी, “समूएल!” समूएल ने जवाब दिया, “जी, मैं अभी आता हूँ।” वह भाग कर एली के पास गया और कहा, “जी जनाब, मैं हाज़िर हूँ। आप ने मुझे बुलाया?” एली बोला, “नहीं, मैं ने तुम्हें नहीं बुलाया। वापस जा कर दुबारा लेट जाओ।” चुनाँचे समूएल दुबारा लेट गया।
5. कि अचानक रब्ब ने आवाज़ दी, “समूएल!” समूएल ने जवाब दिया, “जी, मैं अभी आता हूँ।” वह भाग कर एली के पास गया और कहा, “जी जनाब, मैं हाज़िर हूँ। आप ने मुझे बुलाया?” एली बोला, “नहीं, मैं ने तुम्हें नहीं बुलाया। वापस जा कर दुबारा लेट जाओ।” चुनाँचे समूएल दुबारा लेट गया।
6. लेकिन रब्ब ने एक बार फिर आवाज़ दी, “समूएल!” लड़का दुबारा उठा और एली के पास जा कर बोला, “जी जनाब, मैं हाज़िर हूँ। आप ने मुझे बुलाया?” एली ने जवाब दिया, “नहीं बेटा, मैं ने तुम्हें नहीं बुलाया। दुबारा सो जाओ।”
7. उस वक़्त समूएल रब्ब की आवाज़ नहीं पहचान सकता था, क्यूँकि अभी उसे रब्ब का कोई पैग़ाम नहीं मिला था।
8. चुनाँचे रब्ब ने तीसरी बार आवाज़ दी, “समूएल!” एक और मर्तबा समूएल उठ खड़ा हुआ और एली के पास जा कर बोला, “जी जनाब, मैं हाज़िर हूँ। आप ने मुझे बुलाया?” यह सुन कर एली ने जान लिया कि रब्ब समूएल से हमकलाम हो रहा है।
9. इस लिए उस ने लड़के को बताया, “अब दुबारा लेट जाओ, लेकिन अगली दफ़ा जब आवाज़ सुनाई दे तो तुम्हें कहना है, ‘ऐ रब्ब, फ़रमा। तेरा ख़ादिम सुन रहा है’।” समूएल एक बार फिर अपने बिस्तर पर लेट गया।
10. रब्ब आ कर वहाँ खड़ा हुआ और पहले की तरह पुकारा, “समूएल! समूएल!” लड़के ने जवाब दिया, “ऐ रब्ब, फ़रमा। तेरा ख़ादिम सुन रहा है।”
11. फिर रब्ब समूएल से हमकलाम हुआ, “देख, मैं इस्राईल में इतना हौलनाक काम करूँगा कि जिसे भी इस की ख़बर मिलेगी उस के कान बजने लगेंगे।
12. उस वक़्त मैं शुरू से ले कर आख़िर तक वह तमाम बातें पूरी करूँगा जो मैं ने एली और उस के घराने के बारे में की हैं।
13. मैं एली को आगाह कर चुका हूँ कि उस का घराना हमेशा तक मेरी अदालत का निशाना बना रहेगा। क्यूँकि गो उसे साफ़ मालूम था कि उस के बेटे अपनी ग़लत हर्कतों से मेरा ग़ज़ब अपने आप पर लाएँगे तो भी उस ने उन्हें करने दिया और न रोका।
14. मैं ने क़सम खाई है कि एली के घराने का क़ुसूर न ज़बह और न ग़ल्ला की किसी क़ुर्बानी से दूर किया जा सकता है बल्कि इस का कफ़्फ़ारा कभी भी नहीं दिया जा सकेगा!”
15. इस के बाद समूएल सुब्ह तक अपने बिस्तर पर लेटा रहा। फिर वह मामूल के मुताबिक़ उठा और रब्ब के घर के दरवाज़े खोल दिए। वह एली को अपनी रोया बताने से डरता था,
16. लेकिन एली ने उसे बुला कर कहा, “समूएल, मेरे बेटे!” समूएल ने जवाब दिया, “जी, मैं हाज़िर हूँ।”
17. एली ने पूछा, “रब्ब ने तुम्हें क्या बताया है? कोई भी बात मुझ से मत छुपाना! अल्लाह तुम्हें सख़्त सज़ा दे अगर तुम एक लफ़्ज़ भी मुझ से पोशीदा रखो।”
18. फिर समूएल ने उसे खुल कर सब कुछ बता दिया और एक बात भी न छुपाई। एली ने कहा, “वही रब्ब है। जो कुछ उस की नज़र में ठीक है उसे वह करे।”
19. समूएल जवान होता गया, और रब्ब उस के साथ था। उस ने समूएल की हर बात पूरी होने दी।
20. पूरे इस्राईल ने दान से ले कर बैर-सबा तक जान लिया कि रब्ब ने अपने नबी समूएल की तस्दीक़ की है।
21. अगले सालों में भी रब्ब सैला में अपने कलाम से समूएल पर ज़ाहिर होता रहा।

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