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1. | अब साऊल ने अपने बेटे यूनतन और तमाम मुलाज़िमों को साफ़ बताया कि दाऊद को हलाक करना है। लेकिन दाऊद यूनतन को बहुत पियारा था, |
2. | इस लिए उस ने उसे आगाह किया, “मेरा बाप आप को मार देने के मवाक़े ढूँड रहा है। कल सुब्ह ख़बरदार रहें। कहीं छुप कर मेरा इन्तिज़ार करें। |
3. | फिर मैं अपने बाप के साथ शहर से निकल कर आप के क़रीब से गुज़रूँगा। वहाँ मैं उन से आप का मुआमला छेड़ कर मालूम करूँगा कि वह क्या इरादा रखते हैं। जो कुछ भी वह कहेंगे मैं आप को बता दूँगा।” |
4. | अगली सुब्ह जब यूनतन ने अपने बाप से बात की तो उस ने दाऊद की सिफ़ारिश करके कहा, “बादशाह अपने ख़ादिम दाऊद का गुनाह न करें, क्यूँकि उस ने आप का गुनाह नहीं किया बल्कि हमेशा आप के लिए फ़ाइदामन्द रहा है। |
5. | उसी ने अपनी जान को ख़त्रे में डाल कर फ़िलिस्ती को मार डाला, और रब्ब ने उस के वसीले से तमाम इस्राईल को बड़ी नजात बख़्शी। उस वक़्त आप ख़ुद भी सब कुछ देख कर ख़ुश हुए। तो फिर आप गुनाह करके उस जैसे बेक़ुसूर आदमी को क्यूँ बिलावजह मरवाना चाहते हैं?” |
6. | यूनतन की बातें सुन कर साऊल मान गया। उस ने वादा किया, “रब्ब की हयात की क़सम, दाऊद को मारा नहीं जाएगा।” |
7. | बाद में यूनतन ने दाऊद को बुला कर उसे सब कुछ बताया, फिर उसे साऊल के पास लाया। तब दाऊद पहले की तरह बादशाह की ख़िदमत करने लगा। |
8. | एक बार फिर जंग छिड़ गई, और दाऊद निकल कर फ़िलिस्तियों से लड़ा। इस दफ़ा भी उस ने उन्हें यूँ शिकस्त दी कि वह फ़रार हो गए। |
9. | लेकिन एक दिन जब साऊल अपना नेज़ा पकड़े घर में बैठा था तो अल्लाह की भेजी हुई बुरी रूह उस पर ग़ालिब आई। उस वक़्त दाऊद सरोद बजा रहा था। |
10. | अचानक साऊल ने नेज़े को फैंक कर दाऊद को दीवार के साथ छेद डालने की कोशिश की। लेकिन वह एक तरफ़ हट गया और नेज़ा उस के क़रीब से गुज़र कर दीवार में धँस गया। दाऊद भाग गया और उस रात साऊल के हाथ से बच गया। |
11. | साऊल ने फ़ौरन अपने आदमियों को दाऊद के घर के पास भेज दिया ताकि वह मकान की पहरादारी करके दाऊद को सुब्ह के वक़्त क़त्ल कर दें। लेकिन दाऊद की बीवी मीकल ने उस को आगाह कर दिया, “आज रात को ही यहाँ से चले जाएँ, वर्ना आप नहीं बचेंगे बल्कि कल सुब्ह ही मार दिए जाएँगे।” |
12. | चुनाँचे दाऊद घर की खिड़की में से निकला, और मीकल ने उतरने में उस की मदद की। तब दाऊद भाग कर बच गया। |
13. | मीकल ने दाऊद की चारपाई पर बुत रख कर उस के सर पर बक्रियों के बाल लगा दिए और बाक़ी हिस्से पर कम्बल बिछा दिया। |
14. | जब साऊल के आदमी दाऊद को पकड़ने के लिए आए तो मीकल ने कहा, “वह बीमार है।” |
15. | फ़ौजियों ने साऊल को इत्तिला दी तो उस ने उन्हें हुक्म दिया, “उसे चारपाई समेत ही मेरे पास ले आओ ताकि उसे मार दूँ।” |
16. | जब वह दाऊद को ले जाने के लिए आए तो क्या देखते हैं कि उस की चारपाई पर बुत पड़ा है जिस के सर पर बक्रियों के बाल लगे हैं। |
17. | साऊल ने अपनी बेटी को बहुत झिड़का, “तू ने मुझे इस तरह धोका दे कर मेरे दुश्मन की फ़रार होने में मदद क्यूँ की? तेरी ही वजह से वह बच गया।” मीकल ने जवाब दिया, “उस ने मुझे धमकी दी कि मैं तुझे क़त्ल कर दूँगा अगर तू फ़रार होने में मेरी मदद न करे।” |
18. | इस तरह दाऊद बच निकला। वह रामा में समूएल के पास फ़रार हुआ और उसे सब कुछ सुनाया जो साऊल ने उस के साथ किया था। फिर दोनों मिल कर नयोत चले गए। वहाँ वह ठहरे। |
19. | साऊल को इत्तिला दी गई, “दाऊद रामा के नयोत में ठहरा हुआ है।” |
20. | उस ने फ़ौरन अपने आदमियों को उसे पकड़ने के लिए भेज दिया। जब वह पहुँचे तो देखा कि नबियों का पूरा गुरोह वहाँ नुबुव्वत कर रहा है, और समूएल ख़ुद उन की राहनुमाई कर रहा है। उन्हें देखते ही अल्लाह का रूह साऊल के आदमियों पर नाज़िल हुआ, और वह भी नुबुव्वत करने लगे। |
21. | साऊल को इस बात की ख़बर मिली तो उस ने मज़ीद आदमियों को रामा भेज दिया। लेकिन वह भी वहाँ पहुँचते ही नुबुव्वत करने लगे। साऊल ने तीसरी बार आदमियों को भेज दिया, लेकिन यही कुछ उन के साथ भी हुआ। |
22. | आख़िर में साऊल ख़ुद रामा के लिए रवाना हुआ। चलते चलते वह सीकू के बड़े हौज़ पर पहुँचा। वहाँ उस ने लोगों से पूछा, “दाऊद और समूएल कहाँ हैं?” उन्हों ने जवाब दिया, “रामा की आबादी नयोत में।” |
23. | साऊल अभी नयोत नहीं पहुँचा था कि अल्लाह का रूह उस पर भी नाज़िल हुआ, और वह नुबुव्वत करते करते नयोत पहुँच गया। |
24. | वहाँ वह अपने कपड़ों को उतार कर समूएल के सामने नुबुव्वत करता रहा। नुबुव्वत करते करते वह ज़मीन पर लेट गया और वहाँ पूरे दिन और पूरी रात पड़ा रहा। इसी वजह से यह क़ौल मश्हूर हुआ, “क्या साऊल को भी नबियों में शुमार किया जाता है?” |
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