1Samuel (1/31)  

1. इफ़्राईम के पहाड़ी इलाक़े के शहर रामाताइम-सोफ़ीम यानी रामा में एक इफ़्राईमी रहता था जिस का नाम इल्क़ाना बिन यरोहाम बिन इलीहू बिन तूखू बिन सूफ़ था।
2. इल्क़ाना की दो बीवियाँ थीं। एक का नाम हन्ना था और दूसरी का फ़निन्ना। फ़निन्ना के बच्चे थे, लेकिन हन्ना बेऔलाद थी।
3. इल्क़ाना हर साल अपने ख़ान्दान समेत सफ़र करके सैला के मक़्दिस के पास जाता ताकि वहाँ रब्ब-उल-अफ़्वाज के हुज़ूर क़ुर्बानी गुज़राने और उस की परस्तिश करे। उन दिनों में एली इमाम के दो बेटे हुफ़्नी और फ़ीन्हास सैला में इमाम की ख़िदमत अन्जाम देते थे।
4. हर साल इल्क़ाना अपनी क़ुर्बानी पेश करने के बाद क़ुर्बानी के गोश्त के टुकड़े फ़निन्ना और उस के बेटे-बेटियों में तक़्सीम करता।
5. हन्ना को भी गोश्त मिलता, लेकिन जहाँ दूसरों को एक हिस्सा मिलता वहाँ उसे दो हिस्से मिलते थे। क्यूँकि इल्क़ाना उस से बहुत मुहब्बत रखता था, अगरचि अब तक रब्ब की मर्ज़ी नहीं थी कि हन्ना के बच्चे पैदा हों।
6. फ़निन्ना की हन्ना से दुश्मनी थी, इस लिए वह हर साल हन्ना के बाँझपन का मज़ाक़ उड़ा कर उसे तंग करती थी।
7. साल-ब-साल ऐसा ही हुआ करता था। जब भी वह रब्ब के मक़्दिस के पास जाते तो फ़निन्ना हन्ना को इतना तंग करती कि वह उस की बातें सुन सुन कर रो पड़ती और खा पी न सकती।
8. फिर इल्क़ाना पूछता, “हन्ना, तू क्यूँ रो रही है? तू खाना क्यूँ नहीं खा रही? उदास होने की क्या ज़रूरत? मैं तो हूँ। क्या यह दस बेटों से कहीं बेहतर नहीं?”
9. एक दिन जब वह सैला में थे तो हन्ना खाने-पीने के बाद उठ कर रब्ब के मक़्दिस के पास गई। वहाँ एली इमाम दरवाज़े के पास कुर्सी पर बैठा था।
10. हन्ना दाख़िल हुई और शदीद परेशानी के आलम में फूट फूट कर रोने लगी। रब्ब से दुआ करते करते
11. उस ने क़सम खाई, “ऐ रब्ब-उल-अफ़्वाज, मेरी बुरी हालत पर नज़र डाल कर मुझे याद कर! अपनी ख़ादिमा को मत भूलना बल्कि बेटा अता फ़रमा! अगर तू ऐसा करे तो मैं उसे तुझे वापस कर दूँगी। ऐ रब्ब, उस की पूरी ज़िन्दगी तेरे लिए मख़्सूस होगी! इस का निशान यह होगा कि उस के बाल कभी नहीं कटवाए जाएँगे।”
12. हन्ना बड़ी देर तक यूँ दुआ करती रही। एली उस के मुँह पर ग़ौर करने लगा
13. तो देखा कि हन्ना के होंट तो हिल रहे हैं लेकिन आवाज़ सुनाई नहीं दे रही, क्यूँकि हन्ना दिल ही दिल में दुआ कर रही थी। लेकिन एली को ऐसा लग रहा था कि वह नशे में धुत है,
14. इस लिए उस ने उसे झिड़कते हुए कहा, “तू कब तक नशे में धुत रहेगी? मै पीने से बाज़ आ!”
15. हन्ना ने जवाब दिया, “मेरे आक़ा, ऐसी कोई बात नहीं है। मैं ने न मै, न कोई और नशाआवर चीज़ चखी है। बात यह है कि मैं बड़ी रंजीदा हूँ, इस लिए रब्ब के हुज़ूर अपने दिल की आह-ओ-ज़ारी उंडेल दी है।
16. यह न समझें कि मैं निकम्मी औरत हूँ, बल्कि मैं बड़े ग़म और अज़ियत में दुआ कर रही थी।”
17. यह सुन कर एली ने जवाब दिया, “सलामती से अपने घर चली जा! इस्राईल का ख़ुदा तेरी दरख़्वास्त पूरी करे।”
18. हन्ना ने कहा, “अपनी ख़ादिमा पर आप की नज़र-ए-करम हो।” फिर उस ने जा कर कुछ खाया, और उस का चिहरा उदास न रहा।
19. अगले दिन पूरा ख़ान्दान सुब्ह-सवेरे उठा। उन्हों ने मक़्दिस में जा कर रब्ब की परस्तिश की, फिर रामा वापस चले गए जहाँ उन का घर था। और रब्ब ने हन्ना को याद करके उस की दुआ सुनी।
20. इल्क़ाना और हन्ना के बेटा पैदा हुआ। हन्ना ने उस का नाम समूएल यानी ‘उस का नाम अल्लाह है’ रखा, क्यूँकि उस ने कहा, “मैं ने उसे रब्ब से माँगा।”
21. अगले साल इल्क़ाना ख़ान्दान के साथ मामूल के मुताबिक़ सैला गया ताकि रब्ब को सालाना क़ुर्बानी पेश करे और अपनी मन्नत पूरी करे।
22. लेकिन हन्ना न गई। उस ने अपने शौहर से कहा, “जब बच्चा दूध पीना छोड़ देगा तब ही मैं उसे ले कर रब्ब के हुज़ूर पेश करूँगी। उस वक़्त से वह हमेशा वहीं रहेगा।”
23. इल्क़ाना ने जवाब दिया, “वह कुछ कर जो तुझे मुनासिब लगे। बच्चे का दूध छुड़ाने तक यहाँ रह। लेकिन रब्ब अपना कलाम क़ाइम रखे।” चुनाँचे हन्ना बच्चे के दूध छुड़ाने तक घर में रही।
24. जब समूएल ने दूध पीना छोड़ दिया तो हन्ना उसे सैला में रब्ब के मक़्दिस के पास ले गई, गो बच्चा अभी छोटा था। क़ुर्बानियों के लिए उस के पास तीन बैल, मैदे के तक़्रीबन 16 किलोग्राम और मै की मश्क थी।
25. बैल को क़ुर्बानगाह पर चढ़ाने के बाद इल्क़ाना और हन्ना बच्चे को एली के पास ले गए।
26. हन्ना ने कहा, “मेरे आक़ा, आप की हयात की क़सम, मैं वही औरत हूँ जो कुछ साल पहले यहाँ आप की मौजूदगी में खड़ी दुआ कर रही थी।
27. उस वक़्त मैं ने इलतिमास की थी कि रब्ब मुझे बेटा अता करे, और रब्ब ने मेरी सुनी है।
28. चुनाँचे अब मैं अपना वादा पूरा करके बेटे को रब्ब को वापस कर देती हूँ। उम्र भर वह रब्ब के लिए मख़्सूस होगा।” तब उस ने रब्ब के हुज़ूर सिज्दा किया।

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