1Peter (3/5)  

1. इसी तरह आप बीवियों को भी अपने अपने शौहर के ताबे रहना है। क्यूँकि इस तरह वह जो ईमान नहीं रखते अपनी बीवी के चाल-चलन से जीते जा सकते हैं। कुछ कहने की ज़रूरत नहीं रहेगी
2. क्यूँकि वह देखेंगे कि आप कितनी पाकीज़गी से ख़ुदा के ख़ौफ़ में ज़िन्दगी गुज़ारती हैं।
3. इस की फ़िक्र मत करना कि आप ज़ाहिरी तौर पर आरास्ता हों, मसलन खास तौर-तरीक़ों से गुंधे हुए बालों से या सोने के ज़ेवर और शानदार लिबास पहनने से।
4. इस के बजाय इस की फ़िक्र करें कि आप की बातिनी शख़्सियत आरास्ता हो। क्यूँकि जो रूह नर्मदिली और सुकून के लाफ़ानी ज़ेवरों से सजी हुई है वही अल्लाह के नज़्दीक बेशक़ीमत है।
5. माज़ी में अल्लाह पर उम्मीद रखने वाली मुक़द्दस ख़वातीन भी इसी तरह अपना सिंगार किया करती थीं। यूँ वह अपने शौहरों के ताबे रहीं,
6. सारा की तरह जो अपने शौहर इब्राहीम को आक़ा कह कर उस की मानती थी। आप तो सारा की बेटियाँ बन गई हैं। चुनाँचे नेक काम करें और किसी भी चीज़ से न डरें, ख़्वाह वह कितनी ही डराऔनी क्यूँ न हो।
7. इस तरह लाज़िम है कि आप जो शौहर हैं समझ के साथ अपनी बीवियों के साथ ज़िन्दगी गुज़ारें, यह जान कर कि यह आप की निस्बत कमज़ोर हैं। उन की इज़्ज़त करें, क्यूँकि यह भी आप के साथ ज़िन्दगी के फ़ज़्ल की वारिस हैं। ऐसा न हो कि इस में बेपर्वाई करने से आप की दुआइया ज़िन्दगी में रुकावट पैदा हो जाए।
8. आख़िर में एक और बात, आप सब एक ही सोच रखें और एक दूसरे से ताल्लुक़ात में हमदर्दी, पियार, रहम और हलीमी का इज़्हार करें।
9. किसी के ग़लत काम के जवाब में ग़लत काम मत करना, न किसी की गालियों के जवाब में गाली देना। इस के बजाय जवाब में ऐसे शख़्स को बर्कत दें, क्यूँकि अल्लाह ने आप को भी इस लिए बुलाया है कि आप उस की बर्कत विरासत में पाएँ।
10. कलाम-ए-मुक़द्दस यूँ फ़रमाता है, “कौन मज़े से ज़िन्दगी गुज़ारना और अच्छे दिन देखना चाहता है? वह अपनी ज़बान को शरीर बातें करने से रोके और अपने होंटों को झूट बोलने से।
11. वह बुराई से मुँह फेर कर नेक काम करे, सुलह-सलामती का तालिब हो कर उस के पीछे लगा रहे।
12. क्यूँकि रब्ब की आँखें रास्तबाज़ों पर लगी रहती हैं, और उस के कान उन की दुआओं की तरफ़ माइल हैं। लेकिन रब्ब का चिहरा उन के ख़िलाफ़ है जो ग़लत काम करते हैं।”
13. अगर आप नेक काम करने में सरगर्म हों तो कौन आप को नुक़्सान पहुँचाएगा?
14. लेकिन अगर आप को रास्त काम करने की वजह से दुख भी उठाना पड़े तो आप मुबारक हैं। उन की धमकियों से मत डरना और मत घबराना
15. बल्कि अपने दिलों में ख़ुदावन्द मसीह को मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस जानें। और जो भी आप से आप की मसीह पर उम्मीद के बारे में पूछे हर वक़्त उसे जवाब देने के लिए तय्यार रहें। लेकिन नर्मदिली से और ख़ुदा के ख़ौफ़ के साथ जवाब दें।
16. साथ साथ आप का ज़मीर साफ़ हो। फिर जो लोग आप के मसीह में अच्छे चाल-चलन के बारे में ग़लत बातें कर रहे हैं उन्हें अपनी तुहमत पर शर्म आएगी।
17. याद रहे कि ग़लत काम करने की वजह से दुख सहने की निस्बत बेहतर यह है कि हम नेक काम करने की वजह से तक्लीफ़ उठाएँ, बशर्तीकि यह अल्लाह की मर्ज़ी हो।
18. क्यूँकि मसीह ने हमारे गुनाहों को मिटाने की ख़ातिर एक बार सदा के लिए मौत सही। हाँ, जो रास्तबाज़ है उस ने यह नारास्तों के लिए किया ताकि आप को अल्लाह के पास पहुँचाए। उसे बदन के एतिबार से सज़ा-ए-मौत दी गई, लेकिन रूह के एतिबार से उसे ज़िन्दा कर दिया गया।
19. इस रूह के ज़रीए उस ने जा कर क़ैदी रूहों को पैग़ाम दिया।
20. यह उन की रूहें थीं जो उन दिनों में नाफ़रमान थे जब नूह अपनी कश्ती बना रहा था। उस वक़्त अल्लाह सब्र से इन्तिज़ार करता रहा, लेकिन आख़िरकार सिर्फ़ चन्द एक लोग यानी आठ अफ़राद पानी में से गुज़र कर बच निकले।
21. यह पानी उस बपतिस्मे की तरफ़ इशारा है जो इस वक़्त आप को नजात दिलाता है। इस से जिस्म की गन्दगी दूर नहीं की जाती बल्कि बपतिस्मा लेते वक़्त हम अल्लाह से अर्ज़ करते हैं कि वह हमारा ज़मीर पाक-साफ़ कर दे। फिर यह आप को ईसा मसीह के जी उठने से नजात दिलाता है।
22. अब मसीह आस्मान पर जा कर अल्लाह के दहने हाथ बैठ गया है जहाँ फ़रिश्ते, इख़तियार वाले और क़ुव्वतें उस के ताबे हैं।

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