1Peter (2/5)  

1. चुनाँचे अपनी ज़िन्दगी से तमाम तरह की बुराई, धोकेबाज़ी, रियाकारी, हसद और बुह्तान निकालें।
2. चूँकि आप नौमौलूद बच्चे हैं इस लिए ख़ालिस रुहानी दूध पीने के आर्ज़ूमन्द रहें, क्यूँकि इसे पीने से ही आप बढ़ते बढ़ते नजात की नौबत तक पहुँचेंगे।
3. जिन्हों ने ख़ुदावन्द की भलाई का तजरिबा किया है उन के लिए ऐसा करना ज़रूरी है।
4. ख़ुदावन्द के पास आएँ, उस ज़िन्दा पत्थर के पास जिसे इन्सानों ने रद्द किया है, लेकिन जो अल्लाह के नज़्दीक चुनीदा और क़ीमती है।
5. और आप भी ज़िन्दा पत्थर हैं जिन को अल्लाह अपने रुहानी मक़्दिस को तामीर करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। न सिर्फ़ यह बल्कि आप उस के मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस इमाम हैं। ईसा मसीह के वसीले से आप ऐसी रुहानी क़ुर्बानियाँ पेश कर रहे हैं जो अल्लाह को पसन्द हैं।
6. क्यूँकि कलाम-ए-मुक़द्दस फ़रमाता है, “देखो, मैं सिय्यून में एक पत्थर रख देता हूँ, कोने का एक चुनीदा और क़ीमती पत्थर। जो उस पर ईमान लाएगा उसे शर्मिन्दा नहीं किया जाएगा।”
7. यह पत्थर आप के नज़्दीक जो ईमान रखते हैं बेशक़ीमत है। लेकिन जो ईमान नहीं लाए उन्हों ने उसे रद्द किया। “जिस पत्थर को मकान बनाने वालों ने रद्द किया वह कोने का बुन्यादी पत्थर बन गया।”
8. नीज़ वह एक ऐसा पत्थर है “जो ठोकर का बाइस बनेगा, एक चटान जो ठेस लगने का सबब होगी।” वह इस लिए ठोकर खाते हैं क्यूँकि वह कलाम-ए-मुक़द्दस के ताबे नहीं होते। यही कुछ अल्लाह की उन के लिए मर्ज़ी थी।
9. लेकिन आप अल्लाह की चुनी हुई नसल हैं, आप आस्मानी बादशाह के इमाम और उस की मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस क़ौम हैं। आप उस की मिल्कियत बन गए हैं ताकि अल्लाह के क़वी कामों का एलान करें, क्यूँकि वह आप को तारीकी से अपनी हैरतअंगेज़ रौशनी में लाया है।
10. एक वक़्त था जब आप उस की क़ौम नहीं थे, लेकिन अब आप अल्लाह की क़ौम हैं। पहले आप पर रहम नहीं हुआ था, लेकिन अब अल्लाह ने आप पर अपने रहम का इज़्हार किया है।
11. अज़ीज़ो, आप इस दुनिया में अजनबी और मेहमान हैं। इस लिए मैं आप को ताकीद करता हूँ कि आप जिस्मानी ख़्वाहिशात का इन्कार करें। क्यूँकि यह आप की जान से लड़ती हैं।
12. ग़ैरईमानदारों के दर्मियान रहते हुए इतनी अच्छी ज़िन्दगी गुज़ारें कि गो वह आप पर ग़लत काम करने की तुहमत भी लगाएँ तो भी उन्हें आप के नेक काम नज़र आएँ और उन्हें अल्लाह की आमद के दिन उस की तम्जीद करनी पड़े।
13. ख़ुदावन्द की ख़ातिर हर इन्सानी इख़तियार के ताबे रहें, ख़्वाह बादशाह हो जो सब से आला इख़तियार रखने वाला है,
14. ख़्वाह उस के वज़ीर जिन्हें उस ने इस लिए मुक़र्रर किया है कि वह ग़लत काम करने वालों को सज़ा और अच्छा काम करने वालों को शाबाश दें।
15. क्यूँकि अल्लाह की मर्ज़ी है कि आप अच्छा काम करने से नासमझ लोगों की जाहिल बातों को बन्द करें।
16. आप आज़ाद हैं, इस लिए आज़ादाना ज़िन्दगी गुज़ारें। लेकिन अपनी आज़ादी को ग़लत काम छुपाने के लिए इस्तेमाल न करें, क्यूँकि आप अल्लाह के ख़ादिम हैं।
17. हर एक का मुनासिब एहतिराम करें, अपने बहन-भाइयों से मुहब्बत रखें, ख़ुदा का ख़ौफ़ मानें, बादशाह का एहतिराम करें।
18. ऐ ग़ुलामो, हर लिहाज़ से अपने मालिकों का एहतिराम करके उन के ताबे रहें। और यह सुलूक न सिर्फ़ उन के साथ हो जो नेक और नर्मदिल हैं बल्कि उन के साथ भी जो ज़ालिम हैं।
19. क्यूँकि अगर कोई अल्लाह की मर्ज़ी का ख़याल करके बेइन्साफ़ तक्लीफ़ का ग़म सब्र से बर्दाश्त करे तो यह अल्लाह का फ़ज़्ल है।
20. बेशक इस में फ़ख़र की कोई बात नहीं अगर आप सब्र से पिटाई की वह सज़ा बर्दाश्त करें जो आप को ग़लत काम करने की वजह से मिली हो। लेकिन अगर आप को अच्छा काम करने की वजह से दुख सहना पड़े और आप यह सज़ा सब्र से बर्दाश्त करें तो यह अल्लाह का फ़ज़्ल है।
21. आप को इसी के लिए बुलाया गया है। क्यूँकि मसीह ने आप की ख़ातिर दुख सहने में आप के लिए एक नमूना छोड़ा है। और वह चाहता है कि आप उस के नक़्श-ए-क़दम पर चलें।
22. उस ने तो कोई गुनाह न किया, और न कोई फ़रेब की बात उस के मुँह से निकली।
23. जब लोगों ने उसे गालियाँ दीं तो उस ने जवाब में गालियाँ न दीं। जब उसे दुख सहना पड़ा तो उस ने किसी को धमकी न दी बल्कि उस ने अपने आप को अल्लाह के हवाले कर दिया जो इन्साफ़ से अदालत करता है।
24. मसीह ख़ुद अपने बदन पर हमारे गुनाहों को सलीब पर ले गया ताकि हम गुनाहों के एतिबार से मर जाएँ और यूँ हमारा गुनाह से ताल्लुक़ ख़त्म हो जाए। अब वह चाहता है कि हम रास्तबाज़ी की ज़िन्दगी गुज़ारें। क्यूँकि आप को उसी के ज़ख़्मों के वसीले से शिफ़ा मिली है।
25. पहले आप आवारा भेड़ों की तरह आवारा फिर रहे थे, लेकिन अब आप अपनी जानों के चरवाहे और निगरान के पास लौट आए हैं।

  1Peter (2/5)