1Peter (1/5)  

1. यह ख़त ईसा मसीह के रसूल पत्रस की तरफ़ से है। मैं अल्लाह के चुने हुओं को लिख रहा हूँ, दुनिया के उन मेहमानों को जो पुन्तुस, गलतिया, कप्पदुकिया, आसिया और बिथुनिया के सूबों में बिखरे हुए हैं।
2. ख़ुदा बाप ने आप को बहुत देर पहले जान कर चुन लिया और उस के रूह ने आप को मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस कर दिया। नतीजे में आप ईसा मसीह के ताबे और उस के छिड़काए गए ख़ून से पाक-साफ़ हो गए हैं। अल्लाह आप को भरपूर फ़ज़्ल और सलामती बख़्शे।
3. ख़ुदा हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह के बाप की तारीफ़ हो! अपने अज़ीम रहम से उस ने ईसा मसीह को ज़िन्दा करने के वसीले से हमें नए सिरे से पैदा किया है। इस से हमें एक ज़िन्दा उम्मीद मिली है,
4. एक ऐसी मीरास जो कभी नहीं सड़ेगी, कभी नहीं नापाक हो जाएगी और कभी नहीं मुरझाएगी। क्यूँकि यह आस्मान पर आप के लिए मह्फ़ूज़ रखी गई है।
5. और अल्लाह आप के ईमान के ज़रीए अपनी क़ुद्रत से आप की उस वक़्त तक हिफ़ाज़त करता रहेगा जब तक आप को नजात न मिल जाए, वह नजात जो आख़िरत के दिन सब पर ज़ाहिर होने के लिए तय्यार है।
6. उस वक़्त आप ख़ुशी मनाएँगे, गो फ़िलहाल आप को थोड़ी देर के लिए तरह तरह की आज़्माइशों का सामना करके ग़म खाना पड़ता है
7. ताकि आप का ईमान असली साबित हो जाए। क्यूँकि जिस तरह आग सोने को आज़्मा कर ख़ालिस बना देती है उसी तरह आप का ईमान भी आज़्माया जा रहा है, हालाँकि यह फ़ानी सोने से कहीं ज़ियादा क़ीमती है। क्यूँकि अल्लाह चाहता है कि आप को उस दिन तारीफ़, जलाल और इज़्ज़त मिल जाए जब ईसा मसीह ज़ाहिर होगा।
8. उसी को आप पियार करते हैं अगरचि आप ने उसे देखा नहीं, और उसी पर आप ईमान रखते हैं गो वह आप को इस वक़्त नज़र नहीं आता। हाँ, आप दिल में नाक़ाबिल-ए-बयान और जलाली ख़ुशी मनाएँगे,
9. जब आप वह कुछ पाएँगे जो ईमान की मन्ज़िल-ए-मक़सूद है यानी अपनी जानों की नजात।
10. नबी इसी नजात की तलाश और तफ़्तीश में लगे रहे, और उन्हों ने उस फ़ज़्ल की पेशगोई की जो अल्लाह आप को देने वाला था।
11. उन्हों ने मालूम करने की कोशिश की कि मसीह का रूह जो उन में था किस वक़्त या किन हालात के बारे में बात कर रहा था जब उस ने मसीह के दुख और बाद के जलाल की पेशगोई की।
12. उन पर इतना ज़ाहिर किया गया कि उन की यह पेशगोइयाँ उन के अपने लिए नहीं थीं, बल्कि आप के लिए। और अब यह सब कुछ आप को उन ही के वसीले से पेश किया गया है जिन्हों ने आस्मान से भेजे गए रूह-उल-क़ुद्स के ज़रीए आप को अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाई है। यह ऐसी बातें हैं जिन पर फ़रिश्ते भी नज़र डालने के आर्ज़ूमन्द हैं।
13. चुनाँचे ज़हनी तौर पर कमरबस्ता हो जाएँ। होशमन्दी से अपनी पूरी उम्मीद उस फ़ज़्ल पर रखें जो आप को ईसा मसीह के ज़ुहूर पर बख़्शा जाएगा।
14. आप अल्लाह के ताबेफ़रमान फ़र्ज़न्द हैं, इस लिए उन बुरी ख़्वाहिशात को अपनी ज़िन्दगी में जगह न दें जो आप जाहिल होते वक़्त रखते थे। वर्ना वह आप की ज़िन्दगी को अपने साँचे में ढाल लेंगी।
15. इस के बजाय अल्लाह की मानिन्द बनें जिस ने आप को बुलाया है। जिस तरह वह क़ुद्दूस है उसी तरह आप भी हर वक़्त मुक़द्दस ज़िन्दगी गुज़ारें।
16. क्यूँकि कलाम-ए-मुक़द्दस में लिखा है, “अपने आप को मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस रखो क्यूँकि मैं मुक़द्दस हूँ।”
17. और याद रखें कि आस्मानी बाप जिस से आप दुआ करते हैं जानिबदारी नहीं करता बल्कि आप के अमल के मुताबिक़ आप का फ़ैसला करेगा। चुनाँचे जब तक आप इस दुनिया के मेहमान रहेंगे ख़ुदा के ख़ौफ़ में ज़िन्दगी गुज़ारें।
18. क्यूँकि आप ख़ुद जानते हैं कि आप को बापदादा की बेमानी ज़िन्दगी से छुड़ाने के लिए क्या फ़िद्या दिया गया। यह सोने या चाँदी जैसी फ़ानी चीज़ नहीं थी
19. बल्कि मसीह का क़ीमती ख़ून था। उसी को बेनुक़्स और बेदाग़ लेले की हैसियत से हमारे लिए क़ुर्बान किया गया।
20. उसे दुनिया की तख़्लीक़ से पेशतर चुना गया, लेकिन इन आख़िरी दिनों में आप की ख़ातिर ज़ाहिर किया गया।
21. और उस के वसीले से आप अल्लाह पर ईमान रखते हैं जिस ने उसे मुर्दों में से ज़िन्दा करके इज़्ज़त-ओ-जलाल दिया ताकि आप का ईमान और उम्मीद अल्लाह पर हो।
22. सच्चाई के ताबे हो जाने से आप को मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस कर दिया गया और आप के दिलों में भाइयों के लिए बेरिया मुहब्बत डाली गई है। चुनाँचे अब एक दूसरे को ख़ुलूसदिली और लगन से पियार करते रहें।
23. क्यूँकि आप की नए सिरे से पैदाइश हुई है। और यह किसी फ़ानी बीज का फल नहीं है बल्कि अल्लाह के लाफ़ानी, ज़िन्दा और क़ाइम रहने वाले कलाम का फल है।
24. यूँ कलाम-ए-मुक़द्दस फ़रमाता है, “तमाम इन्सान घास ही हैं, उन की तमाम शान-ओ-शौकत जंगली फूल की मानिन्द है। घास तो मुरझा जाती और फूल गिर जाता है,
25. लेकिन रब्ब का कलाम अबद तक क़ाइम रहता है।” मज़्कूरा कलाम अल्लाह की ख़ुशख़बरी है जो आप को सुनाई गई है।

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