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1. एक दिन रब्ब ने याहू बिन हनानी को बाशा के पास भेज कर फ़रमाया,
2. “पहले तू कुछ नहीं था, लेकिन मैं ने तुझे ख़ाक में से उठा कर अपनी क़ौम इस्राईल का हुक्मरान बना दिया। तो भी तू ने यरुबिआम के नमूने पर चल कर मेरी क़ौम इस्राईल को गुनाह करने पर उकसाया और मुझे तैश दिलाया है।
3. इस लिए मैं तेरे घराने के साथ वही कुछ करूँगा जो यरुबिआम बिन नबात के घराने के साथ किया था। बाशा की पूरी नसल हलाक हो जाएगी।
4. ख़ान्दान के जो अफ़राद शहर में मरेंगे उन्हें कुत्ते खा जाएँगे, और जो खुले मैदान में मरेंगे उन्हें परिन्दे चट कर जाएँगे।”
5. बाक़ी जो कुछ बाशा की हुकूमत के दौरान हुआ, जो कुछ उस ने किया और जो काम्याबियाँ उसे हासिल हुईं वह ‘शाहान-ए-इस्राईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज हैं।
6. जब वह मर कर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे तिर्ज़ा में दफ़न किया गया। फिर उस का बेटा ऐला तख़्तनशीन हुआ।
7. रब्ब की सज़ा का जो पैग़ाम हनानी के बेटे याहू नबी ने बाशा और उस के ख़ान्दान को सुनाया उस की दो वुजूहात थीं। पहले, बाशा ने यरुबिआम के ख़ान्दान की तरह वह कुछ किया जो रब्ब को नापसन्द था और उसे तैश दिलाया। दूसरे, उस ने यरुबिआम के पूरे ख़ान्दान को हलाक कर दिया था।
8. ऐला बिन बाशा यहूदाह के बादशाह आसा की हुकूमत के 26वें साल में इस्राईल का बादशाह बना। उस की हुकूमत के दो साल के दौरान उस का दार-उल-हकूमत तिर्ज़ा रहा।
9. ऐला का एक अफ़्सर बनाम ज़िम्री था। ज़िम्री रथों के आधे हिस्से पर मुक़र्रर था। अब वह बादशाह के ख़िलाफ़ साज़िशें करने लगा। एक दिन ऐला तिर्ज़ा में महल के इंचार्ज अर्ज़ा के घर में बैठा मै पी रहा था। जब नशे में धुत हुआ
10. तो ज़िम्री ने अन्दर जा कर उसे मार डाला। फिर वह ख़ुद तख़्त पर बैठ गया। यह यहूदाह के बादशाह आसा की हुकूमत के 27वें साल में हुआ।
11. तख़्त पर बैठते ही ज़िम्री ने बाशा के पूरे ख़ान्दान को हलाक कर दिया। उस ने किसी भी मर्द को ज़िन्दा न छोड़ा, ख़्वाह वह दूर का रिश्तेदार था, ख़्वाह दोस्त।
12. यूँ वही कुछ हुआ जो रब्ब ने याहू नबी की मारिफ़त बाशा को फ़रमाया था।
13. क्यूँकि बाशा और उस के बेटे ऐला से संगीन गुनाह सरज़द हुए थे, और साथ साथ उन्हों ने इस्राईल को भी यह करने पर उकसाया था। अपने बातिल देवताओं से उन्हों ने रब्ब इस्राईल के ख़ुदा को तैश दिलाया था।
14. बाक़ी जो कुछ ऐला की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उस ने किया वह ‘शाहान-ए-इस्राईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज है।
15. ज़िम्री यहूदाह के बादशाह आसा की हुकूमत के 27वें साल में इस्राईल का बादशाह बना। लेकिन तिर्ज़ा में उस की हुकूमत सिर्फ़ सात दिन तक क़ाइम रही। उस वक़्त इस्राईली फ़ौज फ़िलिस्ती शहर जिब्बतून का मुहासरा कर रही थी।
16. जब फ़ौज में ख़बर फैल गई कि ज़िम्री ने बादशाह के ख़िलाफ़ साज़िश करके उसे क़त्ल किया है तो तमाम इस्राईलियों ने लश्करगाह में आ कर उसी दिन अपने कमाँडर उम्री को बादशाह बना दिया।
17. तब उम्री तमाम फ़ौजियों के साथ जिब्बतून को छोड़ कर तिर्ज़ा का मुहासरा करने लगा।
18. जब ज़िम्री को पता चला कि शहर दूसरों के क़ब्ज़े में आ गया है तो उस ने महल के बुर्ज में जा कर उसे आग लगाई। यूँ वह जल कर मर गया।
19. इस तरह उसे भी मुनासिब सज़ा मिल गई, क्यूँकि उस ने भी वह कुछ किया था जो रब्ब को नापसन्द था। यरुबिआम के नमूने पर चल कर उस ने वह तमाम गुनाह किए जो यरुबिआम ने किए और इस्राईल को करने पर उकसाया था।
20. जो कुछ ज़िम्री की हुकूमत के दौरान हुआ और जो साज़िशें उस ने कीं वह ‘शाहान-ए-इस्राईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज हैं।
21. ज़िम्री की मौत के बाद इस्राईली दो फ़िर्क़ों में बट गए। एक फ़िर्क़ा तिब्नी बिन जीनत को बादशाह बनाना चाहता था, दूसरा उम्री को।
22. लेकिन उम्री का फ़िर्क़ा तिब्नी के फ़िर्क़े की निस्बत ज़ियादा ताक़तवर निकला। चुनाँचे तिब्नी मर गया और उम्री पूरी क़ौम पर बादशाह बन गया।
23. उम्री यहूदाह के बादशाह आसा की हुकूमत के 31वें साल में इस्राईल का बादशाह बना। उस की हुकूमत का दौरानिया 12 साल था। पहले छः साल दार-उल-हकूमत तिर्ज़ा रहा।
24. इस के बाद उस ने एक आदमी बनाम समर को चाँदी के 6,000 सिक्के दे कर उस से सामरिया पहाड़ी ख़रीद ली और वहाँ अपना नया दार-उल-हकूमत तामीर किया। पहले मालिक समर की याद में उस ने शहर का नाम सामरिया रखा।
25. लेकिन उम्री ने भी वही कुछ किया जो रब्ब को नापसन्द था, बल्कि उस ने माज़ी के बादशाहों की निस्बत ज़ियादा बदी की।
26. उस ने यरुबिआम बिन नबात के नमूने पर चल कर वह तमाम गुनाह किए जो यरुबिआम ने किए और इस्राईल को करने पर उकसाया था। नतीजे में इस्राईली रब्ब अपने ख़ुदा को अपने बातिल देवताओं से तैश दिलाते रहे।
27. बाक़ी जो कुछ उम्री की हुकूमत के दौरान हुआ, जो कुछ उस ने किया और जो काम्याबियाँ उसे हासिल हुईं वह ‘शाहान-ए-इस्राईल की तारीख़’ की किताब में बयान की गई हैं।
28. जब उम्री मर कर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे सामरिया में दफ़नाया गया। फिर उस का बेटा अख़ियब तख़्तनशीन हुआ।
29. अख़ियब बन उम्री यहूदाह के बादशाह आसा के 38वें साल में इस्राईल का बादशाह बना। उस की हुकूमत का दौरानिया 22 साल था, और उस का दार-उल-हकूमत सामरिया रहा।
30. अख़ियब ने भी ऐसे काम किए जो रब्ब को नापसन्द थे, बल्कि माज़ी के बादशाहों की निस्बत उस के गुनाह ज़ियादा संगीन थे।
31. यरुबिआम के नमूने पर चलना उस के लिए काफ़ी नहीं था बल्कि उस ने इस से बढ़ कर सैदा के बादशाह इत्बاल की बेटी ईज़बिल से शादी भी की। नतीजे में वह उस के देवता बाल के सामने झुक कर उस की पूजा करने लगा।
32. सामरिया में उस ने बाल का मन्दिर तामीर किया और देवता के लिए क़ुर्बानगाह बना कर उस में रख दिया।
33. अख़ियब ने यसीरत देवी का बुत भी बनवा दिया। यूँ उस ने अपने घिनौने कामों से माज़ी के तमाम इस्राईली बादशाहों की निस्बत कहीं ज़ियादा रब्ब इस्राईल के ख़ुदा को तैश दिलाया।
34. अख़ियब की हुकूमत के दौरान बैत-एल के रहने वाले हीएल ने यरीहू शहर को नए सिरे से तामीर किया। जब उस की बुन्याद रखी गई तो उस का सब से बड़ा बेटा अबीराम मर गया, और जब उस ने शहर के दरवाज़े लगा दिए तो उस के सब से छोटे बेटे सजूब को अपनी जान देनी पड़ी। यूँ रब्ब की वह बात पूरी हुई जो उस ने यशूअ बिन नून की मारिफ़त फ़रमाई थी।

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