1Kings (12/22)  

1. रहुबिआम सिकम गया, क्यूँकि वहाँ तमाम इस्राईली उसे बादशाह मुक़र्रर करने के लिए जमा हो गए थे।
2. यरुबिआम बिन नबात यह ख़बर सुनते ही मिस्र से जहाँ उस ने सुलेमान बादशाह से भाग कर पनाह ली थी इस्राईल वापस आया।
3. इस्राईलियों ने उसे बुलाया ताकि उस के साथ सिकम जाएँ। जब पहुँचा तो इस्राईल की पूरी जमाअत यरुबिआम के साथ मिल कर रहुबिआम से मिलने गई। उन्हों ने बादशाह से कहा,
4. “जो जूआ आप के बाप ने हम पर डाल दिया था उसे उठाना मुश्किल था, और जो वक़्त और पैसे हमें बादशाह की ख़िदमत में सर्फ़ करने थे वह नाक़ाबिल-ए-बर्दाश्त थे। अब दोनों को कम कर दें। फिर हम ख़ुशी से आप की ख़िदमत करेंगे।”
5. रहुबिआम ने जवाब दिया, “मुझे तीन दिन की मुहलत दें, फिर दुबारा मेरे पास आएँ।” चुनाँचे लोग चले गए।
6. फिर रहुबिआम बादशाह ने उन बुज़ुर्गों से मश्वरा किया जो सुलेमान के जीते जी बादशाह की ख़िदमत करते रहे थे। उस ने पूछा, “आप का क्या ख़याल है? मैं इन लोगों को क्या जवाब दूँ?”
7. बुज़ुर्गों ने जवाब दिया, “हमारा मश्वरा है कि इस वक़्त उन का ख़ादिम बन कर उन की ख़िदमत करें और उन्हें नर्म जवाब दें। अगर आप ऐसा करें तो वह हमेशा आप के वफ़ादार ख़ादिम बने रहेंगे।”
8. लेकिन रहुबिआम ने बुज़ुर्गों का मश्वरा रद्द करके उस की ख़िदमत में हाज़िर उन जवानों से मश्वरा किया जो उस के साथ पर्वान चढ़े थे।
9. उस ने पूछा, “मैं इस क़ौम को क्या जवाब दूँ? यह तक़ाज़ा कर रहे हैं कि मैं वह जूआ हल्का कर दूँ जो मेरे बाप ने उन पर डाल दिया।”
10. जो जवान उस के साथ पर्वान चढ़े थे उन्हों ने कहा, “अच्छा, यह लोग तक़ाज़ा कर रहे हैं कि आप के बाप का जूआ हल्का किया जाए? उन्हें बता देना, ‘मेरी छोटी उंगली मेरे बाप की कमर से ज़ियादा मोटी है!
11. बेशक जो जूआ उस ने आप पर डाल दिया उसे उठाना मुश्किल था, लेकिन मेरा जूआ और भी भारी होगा। जहाँ मेरे बाप ने आप को कोड़े लगाए वहाँ मैं आप की बिच्छूओं से तादीब करूँगा’!”
12. तीन दिन के बाद जब यरुबिआम तमाम इस्राईलियों के साथ रहुबिआम का फ़ैसला सुनने के लिए वापस आया
13. तो बादशाह ने उन्हें सख़्त जवाब दिया। बुज़ुर्गों का मश्वरा रद्द करके
14. उस ने उन्हें जवानों का जवाब दिया, “बेशक जो जूआ मेरे बाप ने आप पर डाल दिया उसे उठाना मुश्किल था, लेकिन मेरा जूआ और भी भारी होगा। जहाँ मेरे बाप ने आप को कोड़े लगाए वहाँ मैं आप की बिच्छूओं से तादीब करूँगा!”
15. यूँ रब्ब की मर्ज़ी पूरी हुई कि रहुबिआम लोगों की बात नहीं मानेगा। क्यूँकि अब रब्ब की वह पेशगोई पूरी हुई जो सैला के नबी अख़ियाह ने यरुबिआम बिन नबात को बताई थी।
16. जब इस्राईलियों ने देखा कि बादशाह हमारी बात सुनने के लिए तय्यार नहीं है तो उन्हों ने उस से कहा, “न हमें दाऊद से मीरास में कुछ मिलेगा, न यस्सी के बेटे से कुछ मिलने की उम्मीद है। ऐ इस्राईल, सब अपने अपने घर वापस चलें! ऐ दाऊद, अब अपना घर ख़ुद सँभाल लो!” यह कह कर वह सब चले गए।
17. सिर्फ़ यहूदाह के क़बीले के शहरों में रहने वाले इस्राईली रहुबिआम के तहत रहे।
18. फिर रहुबिआम बादशाह ने बेगारियों पर मुक़र्रर अफ़्सर अदूनीराम को शिमाली क़बीलों के पास भेज दिया, लेकिन उसे देख कर तमाम लोगों ने उसे संगसार किया। तब रहुबिआम जल्दी से अपने रथ पर सवार हुआ और भाग कर यरूशलम पहुँच गया।
19. यूँ इस्राईल के शिमाली क़बीले दाऊद के शाही घराने से अलग हो गए और आज तक उस की हुकूमत नहीं मानते।
20. जब ख़बर शिमाली इस्राईल में फैली कि यरुबिआम मिस्र से वापस आ गया है तो लोगों ने क़ौमी इज्लास मुनअक़िद करके उसे बुलाया और वहाँ उसे अपना बादशाह बना लिया। सिर्फ़ यहूदाह का क़बीला रहुबिआम और उस के घराने का वफ़ादार रहा।
21. जब रहुबिआम यरूशलम पहुँचा तो उस ने यहूदाह और बिन्यमीन के क़बीलों के चीदा चीदा फ़ौजियों को इस्राईल से जंग करने के लिए बुलाया। 1,80,000 मर्द जमा हुए ताकि रहुबिआम बिन सुलेमान के लिए इस्राईल पर दुबारा क़ाबू पाएँ।
22. लेकिन ऐन उस वक़्त मर्द-ए-ख़ुदा समायाह को अल्लाह की तरफ़ से पैग़ाम मिला,
23. “यहूदाह के बादशाह रहुबिआम बिन सुलेमान, यहूदाह और बिन्यमीन के तमाम अफ़राद और बाक़ी लोगों को इत्तिला दे,
24. ‘रब्ब फ़रमाता है कि अपने इस्राईली भाइयों से जंग मत करना। हर एक अपने अपने घर वापस चला जाए, क्यूँकि जो कुछ हुआ है वह मेरे हुक्म पर हुआ है’।” तब वह रब्ब की सुन कर अपने अपने घर वापस चले गए।
25. यरुबिआम इफ़्राईम के पहाड़ी इलाक़े के शहर सिकम को मज़्बूत करके वहाँ आबाद हुआ। बाद में उस ने फ़नूएल शहर की भी क़िलआबन्दी की और वहाँ मुन्तक़िल हुआ।
26. लेकिन दिल में अन्देशा रहा कि कहीं इस्राईल दुबारा दाऊद के घराने के हाथ में न आ जाए।
27. उस ने सोचा, “लोग बाक़ाइदगी से यरूशलम आते जाते हैं ताकि वहाँ रब्ब के घर में अपनी क़ुर्बानियाँ पेश करें। अगर यह सिलसिला तोड़ा न जाए तो आहिस्ता आहिस्ता उन के दिल दुबारा यहूदाह के बादशाह रहुबिआम की तरफ़ माइल हो जाएँगे। आख़िरकार वह मुझे क़त्ल करके रहुबिआम को अपना बादशाह बना लेंगे।”
28. अपने अफ़्सरों के मश्वरे पर उस ने सोने के दो बछड़े बनवाए। लोगों के सामने उस ने एलान किया, “हर क़ुर्बानी के लिए यरूशलम जाना मुश्किल है! ऐ इस्राईल देख, यह तेरे देवता हैं जो तुझे मिस्र से निकाल लाए।”
29. एक बुत उस ने जुनूबी शहर बैत-एल में खड़ा किया और दूसरा शिमाली शहर दान में।
30. यूँ यरुबिआम ने इस्राईलियों को गुनाह करने पर उकसाया। लोग दान तक सफ़र किया करते थे ताकि वहाँ के बुत की पूजा करें।
31. इस के इलावा यरुबिआम ने बहुत सी ऊँची जगहों पर मन्दिर बनवाए। उन्हें सँभालने के लिए उस ने ऐसे लोग मुक़र्रर किए जो लावी के क़बीले के नहीं बल्कि आम लोग थे।
32. उस ने एक नई ईद भी राइज की जो यहूदाह में मनाने वाली झोंपड़ियों की ईद की मानिन्द थी। यह ईद आठवें माह के पंद्रहवें दिन मनाई जाती थी। बैत-एल में उस ने ख़ुद क़ुर्बानगाह पर जा कर अपने बनवाए हुए बछड़ों को क़ुर्बानियाँ पेश कीं, और वहीं उस ने अपने उन मन्दिरों के इमामों को मुक़र्रर किया जो उस ने ऊँची जगहों पर तामीर किए थे।
33. चुनाँचे यरुबिआम के मुक़र्ररकरदा दिन यानी आठवें महीने के पंद्रहवें दिन इस्राईलियों ने बैत-एल में ईद मनाई। तमाम मेहमानों के सामने यरुबिआम क़ुर्बानगाह पर चढ़ गया ताकि क़ुर्बानियाँ पेश करे।

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