1Corinthians (8/16)  

1. अब मैं बुतों की क़ुर्बानी के बारे में बात करता हूँ। हम जानते हैं कि हम सब साहिब-ए-इल्म हैं। इल्म इन्सान के फूलने का बाइस बनता है जबकि मुहब्बत उस की तामीर करती है।
2. जो समझता है कि उस ने कुछ जान लिया है उस ने अब तक उस तरह नहीं जाना जिस तरह उस को जानना चाहिए।
3. लेकिन जो अल्लाह से मुहब्बत रखता है उसे अल्लाह ने जान लिया है।
4. बुतों की क़ुर्बानी खाने के ज़िम्न में हम जानते हैं कि दुनिया में बुत कोई चीज़ नहीं और कि रब्ब के सिवा कोई और ख़ुदा नहीं है।
5. बेशक आस्मान-ओ-ज़मीन पर कई नाम-निहाद देवता होते हैं, हाँ दरअसल बहुतेरे देवताओं और ख़ुदावन्दों की पूजा की जाती है।
6. तो भी हम जानते हैं कि फ़क़त एक ही ख़ुदा है, हमारा बाप जिस ने सब कुछ पैदा किया है और जिस के लिए हम ज़िन्दगी गुज़ारते हैं। और एक ही ख़ुदावन्द है यानी ईसा मसीह जिस के वसीले से सब कुछ वुजूद में आया है और जिस से हमें ज़िन्दगी हासिल है।
7. लेकिन हर किसी को इस का इल्म नहीं। बाज़ ईमानदार तो अब तक यह सोचने के आदी हैं कि बुत का वुजूद है। इस लिए जब वह किसी बुत की क़ुर्बानी का गोश्त खाते हैं तो वह समझते हैं कि हम ऐसा करने से उस बुत की पूजा कर रहे हैं। यूँ उन का ज़मीर कमज़ोर होने की वजह से आलूदा हो जाता है।
8. हक़ीक़त तो यह है कि हमारा अल्लाह को पसन्द आना इस बात पर मब्नी नहीं कि हम क्या खाते हैं और क्या नहीं खाते। न पर्हेज़ करने से हमें कोई नुक़्सान पहुँचता है और न खा लेने से कोई फ़ाइदा।
9. लेकिन ख़बरदार रहें कि आप की यह आज़ादी कमज़ोरों के लिए ठोकर का बाइस न बने।
10. क्यूँकि अगर कोई कमज़ोरज़मीर शख़्स आप को बुतख़ाने में खाना खाते हुए देखे तो क्या उसे उस के ज़मीर के ख़िलाफ़ बुतों की क़ुर्बानियाँ खाने पर उभारा नहीं जाएगा?
11. इस तरह आप का कमज़ोर भाई जिस की ख़ातिर मसीह क़ुर्बान हुआ आप के इल्म-ओ-इर्फ़ान की वजह से हलाक हो जाएगा।
12. जब आप इस तरह अपने भाइयों का गुनाह करते और उन के कमज़ोर ज़मीर को मजरूह करते हैं तो आप मसीह का ही गुनाह करते हैं।
13. इस लिए अगर ऐसा खाना मेरे भाई को सहीह राह से भटकाने का बाइस बने तो मैं कभी गोश्त नहीं खाऊँगा ताकि अपने भाई की गुमराही का बाइस न बनूँ।

  1Corinthians (8/16)