1Corinthians (1/16)  

1. यह ख़त पौलुस की तरफ़ से है, जो अल्लाह के इरादे से मसीह ईसा का बुलाया हुआ रसूल है, और हमारे भाई सोस्थिनेस की तरफ़ से।
2. मैं कुरिन्थुस में मौजूद अल्लाह की जमाअत को लिख रहा हूँ, आप को जिन्हें मसीह ईसा में मुक़द्दस किया गया है, जिन्हें मुक़द्दस होने के लिए बुलाया गया है। साथ ही यह ख़त उन तमाम लोगों के नाम भी है जो हर जगह हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह का नाम लेते हैं जो उन का और हमारा ख़ुदावन्द है।
3. हमारा ख़ुदा बाप और ख़ुदावन्द ईसा मसीह आप को फ़ज़्ल और सलामती अता करें।
4. मैं हमेशा आप के लिए ख़ुदा का शुक्र करता हूँ कि उस ने आप को मसीह ईसा में इतना फ़ज़्ल बख़्शा है।
5. आप को उस में हर लिहाज़ से दौलतमन्द किया गया है, हर क़िस्म की तक़रीर और इल्म-ओ-इर्फ़ान में।
6. क्यूँकि मसीह की गवाही ने आप के दर्मियान ज़ोर पकड़ लिया है,
7. इस लिए आप को हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह के ज़ुहूर का इन्तिज़ार करते करते किसी भी बर्कत में कमी नहीं।
8. वही आप को आख़िर तक मज़्बूत बनाए रखेगा, इस लिए आप हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह की दूसरी आमद के दिन बेइल्ज़ाम ठहरेंगे।
9. अल्लाह पर पूरा एतिमाद किया जा सकता है जिस ने आप को बुला कर अपने फ़र्ज़न्द हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह की रिफ़ाक़त में शरीक किया है।
10. भाइयो, मैं अपने ख़ुदावन्द ईसा मसीह के नाम में आप को ताकीद करता हूँ कि आप सब एक ही बात कहें। आप के दर्मियान पार्टीबाज़ी नहीं बल्कि एक ही सोच और एक ही राय होनी चाहिए।
11. क्यूँकि मेरे भाइयो, आप के बारे में मुझे ख़लोए के घर वालों से मालूम हुआ है कि आप झगड़ों में उलझ गए हैं।
12. मतलब यह है कि आप में से कोई कहता है, “मैं पौलुस की पार्टी का हूँ,” कोई “मैं अपुल्लोस की पार्टी का हूँ,” कोई “मैं कैफ़ा की पार्टी का हूँ” और कोई कि “मैं मसीह की पार्टी का हूँ।”
13. क्या मसीह बट गया? क्या आप की ख़ातिर पौलुस को सलीब पर चढ़ाया गया? या क्या आप को पौलुस के नाम से बपतिस्मा दिया गया?
14. ख़ुदा का शुक्र है कि मैं ने आप में से किसी को बपतिस्मा नहीं दिया सिवा-ए-क्रिस्पुस और गयुस के।
15. इस लिए कोई नहीं कह सकता कि मैं ने पौलुस के नाम से बपतिस्मा पाया है।
16. हाँ मैं ने स्तिफ़नास के घराने को भी बपतिस्मा दिया। लेकिन जहाँ तक मेरा ख़याल है इस के इलावा किसी और को बपतिस्मा नहीं दिया।
17. मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने के लिए रसूल बना कर नहीं भेजा बल्कि इस लिए कि अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाऊँ। और यह काम मुझे दुनियावी हिक्मत से आरास्ता तक़रीर से नहीं करना है ताकि मसीह की सलीब की ताक़त बेअसर न हो जाए।
18. क्यूँकि सलीब का पैग़ाम उन के लिए जिन का अन्जाम हलाकत है बेवुक़ूफ़ी है जबकि हमारे लिए जिन का अन्जाम नजात है यह अल्लाह की क़ुद्रत है।
19. चुनाँचे पाक नविश्तों में लिखा है, “मैं दानिशमन्दों की दानिश को तबाह करूँगा और समझदारों की समझ को रद्द करूँगा।”
20. अब दानिशमन्द शख़्स कहाँ है? आलिम कहाँ है? इस जहान का मुनाज़रे का माहिर कहाँ है? क्या अल्लाह ने दुनिया की हिक्मत-ओ-दानाई को बेवुक़ूफ़ी साबित नहीं किया?
21. क्यूँकि अगरचि दुनिया अल्लाह की दानाई से घिरी हुई है तो भी दुनिया ने अपनी दानाई की बदौलत अल्लाह को न पहचाना। इस लिए अल्लाह को पसन्द आया कि वह सलीब के पैग़ाम की बेवुक़ूफ़ी के ज़रीए ही ईमान रखने वालों को नजात दे।
22. यहूदी तक़ाज़ा करते हैं कि इलाही बातों की तस्दीक़ इलाही निशानों से की जाए जबकि यूनानी दानाई के वसीले से इन की तस्दीक़ के ख़्वाहाँ हैं।
23. इस के मुक़ाबले में हम मसीह-ए-मस्लूब की मुनादी करते हैं। यहूदी इस से ठोकर खा कर नाराज़ हो जाते हैं जबकि ग़ैरयहूदी इसे बेवुक़ूफ़ी क़रार देते हैं।
24. लेकिन जो अल्लाह के बुलाए हुए हैं, ख़्वाह वह यहूदी हों ख़्वाह यूनानी, उन के लिए मसीह अल्लाह की क़ुद्रत और अल्लाह की दानाई होता है।
25. क्यूँकि अल्लाह की जो बात बेवुक़ूफ़ी लगती है वह इन्सान की दानाई से ज़ियादा दानिशमन्द है। और अल्लाह की जो बात कमज़ोर लगती है वह इन्सान की ताक़त से ज़ियादा ताक़तवर है।
26. भाइयो, इस पर ग़ौर करें कि आप का क्या हाल था जब ख़ुदा ने आप को बुलाया। आप में से कम हैं जो दुनिया के मेयार के मुताबिक़ दाना हैं, कम हैं जो ताक़तवर हैं, कम हैं जो आली ख़ान्दान से हैं।
27. बल्कि जो दुनिया की निगाह में बेवुक़ूफ़ है उसे अल्लाह ने चुन लिया ताकि दानाओं को शर्मिन्दा करे। और जो दुनिया में कमज़ोर है उसे अल्लाह ने चुन लिया ताकि ताक़तवरों को शर्मिन्दा करे।
28. इसी तरह जो दुनिया के नज़्दीक ज़लील और हक़ीर है उसे अल्लाह ने चुन लिया। हाँ, जो कुछ भी नहीं है उसे उस ने चुन लिया ताकि उसे नेस्त करे जो बज़ाहिर कुछ है।
29. चुनाँचे कोई भी अल्लाह के सामने अपने पर फ़ख़र नहीं कर सकता।
30. यह अल्लाह की तरफ़ से है कि आप मसीह ईसा में हैं। अल्लाह की बख़्शिश से ईसा ख़ुद हमारी दानाई, हमारी रास्तबाज़ी, हमारी तक़दीस और हमारी मख़्लसी बन गया है।
31. इस लिए जिस तरह कलाम-ए-मुक़द्दस फ़रमाता है, “फ़ख़र करने वाला ख़ुदावन्द ही पर फ़ख़र करे।”

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