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1. | बरसात के अन्त में यहोवा से वर्षा मांगो, यहोवा से जो बिजली चमकाता है, और वह उन को वर्षा देगा और हर एक के खेत में हरियाली उपजाएगा। |
2. | क्योंकि गृहदेवता अनर्थ बात कहते और भावी कहने वाले झूठा दर्शन देखते और झूठे स्वपन सुनाते, और व्यर्थ शान्ति देते हैं। इस कारण लोग भेड़-बकरियों की नाईं भटक गए; और चरवाहे न होने के कारण दुर्दशा में पड़े हैं।। |
3. | मेरा क्रोध चरवाहों पर भड़का है, और मैं उन बकरों को दण्ड दूंगा; क्योंकि सेनाओं का यहोवा अपने झुण्ड अर्थात यहूदा के घराने का हाल देखने का आएगा, और लड़ाई में उन को अपना हृष्टपुष्ट घोड़ा सा बनाएगा। |
4. | उसी में से कोने का पत्थर, उसी में से खूंटी, उसी में से युद्ध का धनुष, उसी में से सब प्रधान प्रगट होंगे। |
5. | और वे ऐसे वीरों के समान होंगे जो लड़ाई में अपने बैरियों को सड़कों के कीच की नाईं रौंदते हों; वे लड़ेंगे, क्योंकि यहोवा उनके संग रहेगा, इस कारण वे वीरता से लड़ेंगे और सवारों की आशा टूटेगी।। |
6. | मैं यहूदा के घराने को पराक्रमी करूंगा, और यूसुफ के घराने का उद्धार करूंगा। और मुझे उन पर दया आई है, इस कारण मैं उन्हें लौटा लाकर उन्हीं के देश में बसाऊंगा, और वे ऐसे होंगे, मानों मैं ने उन को मन से नहीं उतारा; मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूं, इसलिये उनकी सुन लूंगा। |
7. | एप्रैमी लोग वीर के समान होंगे, और उनका मन ऐसा आनन्दित होगा जैसे दाखमधु से होता है। यह देख कर उनके लड़केबाले आनन्द करेंगे और उनका मन यहोवा के कारण मगन होगा।। |
8. | मैं सीटी बजाकर उन को इकट्ठा करूंगा, क्योंकि मैं उनका छुड़ाने वाला हूं, और वे ऐसे बढ़ेंगे जैसे पहले बढ़े थे। |
9. | यद्यपि मैं उन्हें जाति-जाति के लोगों के बीच छितराऊंगा तौभी वे दूर दूर देशों में मुझे स्मरण करेंगे, और अपने बालकों समेत जीवित लौट आएंगे। |
10. | मैं उन्हें मिस्र देश से लौटा लाऊंगा, और अश्शूर से इकट्ठा करूंगा, और गिलाद और लबानोन के देशों में ले आकर इतना बढ़ाऊंगा कि वहां उनकी समाई न होगी। |
11. | वह उस कष्टदाई समुद्र में से हो कर उसकी लहरें दबाता हुआ जाएगा और नील नदी का सब गहिरा जल सूख जाएगा। और अश्शूर का घमण्ड तोड़ा जाएगा और मिस्र का राजदण्ड जाता रहेगा। |
12. | मैं उन्हें यहोवा द्वारा पराक्रमी करूंगा, और वे उसके नाम से चलें फिरेंगे, यहोवा की यही वाणी है।। |
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