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1. | परमेश्वर की सभा में परमेश्वर ही खड़ा है; वह ईश्वरों के बीच में न्याय करता है। |
2. | तुम लोग कब तक टेढ़ा न्याय करते और दुष्टों का पक्ष लेते रहोगे? |
3. | कंगाल और अनाथों का न्याय चुकाओ, दीन दरिद्र का विचार धर्म से करो। |
4. | कंगाल और निर्धन को बचा लो; दुष्टों के हाथ से उन्हें छुड़ाओ।। |
5. | वे न तो कुछ समझते और न कुछ बूझते हैं, परन्तु अन्धेरे में चलते फिरते रहते हैं; पृथ्वी की पूरी नीव हिल जाती है।। |
6. | मैं ने कहा था कि तुम ईश्वर हो, और सब के सब परमप्रधान के पुत्र हो; |
7. | तौभी तुम मनुष्यों की नाईं मरोगे, और किसी प्रधान के समान गिर जाओगे।। |
8. | हे परमेश्वर उठ, पृथ्वी का न्याय कर; क्योंकि तू ही सब जातियों को अपने भाग में लेगा! |
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