← Psalms (7/150) → |
1. | हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मेरा भरोसा तुझ पर है; सब पीछा करने वालों से मुझे बचा और छुटकारा दे, |
2. | ऐसा न हो कि वे मुझ को सिंह की नाईं फाड़कर टुकड़े टुकड़े कर डालें; और कोई मेरा छुड़ाने वाला न हो।। |
3. | हे मेरे परमेश्वर यहोवा, यदि मैं ने यह किया हो, यदि मेरे हाथों से कुटिल काम हुआ हो, |
4. | यदि मैं ने अपने मेल रखने वालों से भलाई के बदले बुराई की हो, (वरन मैं ने उसको जो अकारण मेरा बैरी था बचाया है) |
5. | तो शत्रु मेरे प्राण का पीछा कर के मुझे आ पकड़े, वरन मेरे प्राण को भूमि पर रौंदे, और मेरी महिमा को मिट्टी में मिला दे।। |
6. | हे यहोवा क्रोध कर के उठ; मेरे क्रोध भरे सताने वाले के विरुद्ध तू खड़ा हो जा; मेरे लिये जाग! तू ने न्याय की आज्ञा तो दे दी है। |
7. | देश देश के लोगों की मण्डली तेरे चारों ओर हो; और तू उनके ऊपर से हो कर ऊंचे स्थानों पर लौट जा। |
8. | यहोवा समाज समाज का न्याय करता है; यहोवा मेरे धर्म और खराई के अनुसार मेरा न्याय चुका दे।। |
9. | भला हो कि दुष्टों की बुराई का अन्त हो जाए, परन्तु धर्म को तू स्थिर कर; क्योंकि धर्मी परमेश्वर मन और मर्म का ज्ञाता है। |
10. | मेरी ढाल परमेश्वर के हाथ में है, वह सीधे मन वालों को बचाता है।। |
11. | परमेश्वर धर्मी और न्यायी है, वरन ऐसा ईश्वर है जो प्रति दिन क्रोध करता है।। |
12. | यदि मनुष्य न फिरे तो वह अपनी तलवार पर सान चढ़ाएगा; वह अपना धनुष चढ़ाकर तीर सन्धान चुका है। |
13. | और उस मनुष्य के लिये उसने मृत्यु के हथियार तैयार कर लिये हैं: वह अपने तीरों को अग्निबाण बनाता है। |
14. | देख दुष्ट को अनर्थ काम की पीड़ाएं हो रही हैं, उसको उत्पात का गर्भ है, और उस से झूठ उत्पन्न हुआ। उसने गड़हा खोदकर उसे गहिरा किया, |
15. | और जो खाई उसने बनाई थी उस में वह आप ही गिरा। |
16. | उसका उत्पात पलट कर उसी के सिर पर पड़ेगा; और उसका उपद्रव उसी के माथे पर पड़ेगा।। |
17. | मैं यहोवा के धर्म के अनुसार उसका धन्यवाद करूंगा, और परमप्रधान यहोवा के नाम का भजन गाऊंगा।। |
← Psalms (7/150) → |