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1. | हे सारी पृथ्वी के लोगों, परमेश्वर के लिये जयजयकार करो; |
2. | उसके नाम की महिमा का भजन गाओ; उसकी स्तुति करते हुए, उसकी महिमा करो। |
3. | परमेश्वर से कहो, कि तेरे काम क्या ही भयानक हैं! तेरी महासामर्थ्य के कारण तेरे शत्रु तेरी चापलूसी करेंगे। |
4. | सारी पृथ्वी के लोग तुझे दण्डवत करेंगे, और तेरा भजन गाएंगे; वे तेरे नाम का भजन गाएंगे।। |
5. | आओ परमेश्वर के कामों को देखो; वह अपने कार्यों के कारण मनुष्यों को भय योग्य देख पड़ता है। |
6. | उसने समुद्र को सूखी भूमि कर डाला; वे महानद में से पांव पावं पार उतरे। वहां हम उसके कारण आनन्दित हुए, |
7. | जो पराक्रम से सर्वदा प्रभुता करता है, और अपनी आंखों से जाति जाति को ताकता है। हठीले अपने सिर न उठाएं।। |
8. | हे देश देश के लोगो, हमारे परमेश्वर को धन्य कहो, और उसकी स्तुति में राग उठाओ, |
9. | जो हम को जीवित रखता है; और हमारे पांव को टलने नहीं देता। |
10. | क्योंकि हे परमेश्वर तू ने हम को जांचा; तू ने हमें चान्दी की नाईं ताया था। |
11. | तू ने हम को जाल में फंसाया; और हमारी कटि पर भारी बोझ बान्धा था; |
12. | तू ने घुड़चढ़ों को हमारे सिरों के ऊपर से चलाया, हम आग और जल से हो कर गए; परन्तु तू ने हम को उबार के सुख से भर दिया है।। |
13. | मैं होमबलि ले कर तेरे भवन में आऊंगा मैं उन मन्नतों को तेरे लिये पूरी करूंगा, |
14. | जो मैं ने मुंह खोल कर मानीं, और संकट के समय कही थीं। |
15. | मैं तुझे मोटे पशुओं के होमबलि, मेंढ़ों की चर्बी के धूप समेत चढ़ऊंगा; मैं बकरों समेत बैल चढ़ाऊंगा।। |
16. | हे परमेश्वर के सब डरवैयों आकर सुनो, मैं बताऊंगा कि उसने मेरे लिये क्या क्या किया है। |
17. | मैं ने उसको पुकारा, और उसी का गुणानुवाद मुझ से हुआ। |
18. | यदि मैं मन में अनर्थ बात सोचता तो प्रभु मेरी न सुनता। |
19. | परन्तु परमेश्वर ने तो सुना है; उसने मेरी प्रार्थना की ओर ध्यान दिया है।। |
20. | धन्य है परमेश्वर, जिसने न तो मेरी प्रार्थना अनसुनी की, और न मुझ से अपनी करूणा दूर कर दी है! |
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