Psalms (5/150)  

1. हे यहोवा, मेरे वचनों पर कान लगा; मेरे ध्यान करने की ओर मन लगा।
2. हे मेरे राजा, हे मेरे परमेश्वर, मेरी दोहाई पर ध्यान दे, क्योंकि मैं तुझी से प्रार्थना करता हूं।
3. हे यहोवा, भोर को मेरी वाणी तुझे सुनाई देगी, मैं भोर को प्रार्थना कर के तेरी बाट जोहूंगा।
4. क्योंकि तू ऐसा ईश्वर नहीं जो दुष्टता से प्रसन्न हो; बुराई तेरे साथ नहीं रह सकती।
5. घमंडी तेरे सम्मुख खड़े होने न पांएगे; तुझे सब अनर्थकारियों से घृणा है।
6. तू उन को जो झूठ बोलते हैं नाश करेगा; यहोवा तो हत्यारे और छली मनुष्य से घृणा करता है।
7. परन्तु मैं तो तेरी अपार करूणा के कारण तेरे भवन में आऊंगा, मैं तेरा भय मानकर तेरे पवित्र मन्दिर की ओर दण्डवत करूंगा।
8. हे यहोवा, मेरे शत्रुओं के कारण अपने धर्म के मार्ग में मेरी अगुवाई कर; मेरे आगे आगे अपने सीधे मार्ग को दिखा।
9. क्योंकि उनके मुंह में कोई सच्चाई नहीं; उनके मन में निरी दुष्टता है। उनका गला खुली हुई कब्र है, वे अपनी जीभ से चिकनी चुपड़ी बातें करते हैं।
10. हे परमेश्वर तू उन को दोषी ठहरा; वे अपनी ही युक्तियों से आप ही गिर जाएं; उन को उनके अपराधों की अधिकाई के कारण निकाल बाहर कर, क्योंकि उन्होंने तुझ से बलवा किया है।।
11. परन्तु जितने तुझ पर भरोसा रखते हैं वे सब आनन्द करें, वे सर्वदा ऊंचे स्वर से गाते रहें; क्योंकि तू उनकी रक्षा करता है, और जो तेरे नाम के प्रेमी हैं तुझ में प्रफुल्लित हों।
12. क्योंकि तू धर्मी को आशिष देगा; हे यहोवा, तू उसको अपने अनुग्रहरूपी ढाल से घेरे रहेगा।।

  Psalms (5/150)