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1. | हे यहोवा मैं अपने मन को तेरी ओर उठाता हूं। |
2. | हे मेरे परमेश्वर, मैं ने तुझी पर भरोसा रखा है, मुझे लज्जित होने न दे; मेरे शत्रु मुझ पर जयजयकार करने न पाएं। |
3. | वरन जितने तेरी बाट जोहते हैं उन में से कोई लज्जित न होगा; परन्तु जो अकारण विश्वासघाती हैं वे ही लज्जित होंगे।। |
4. | हे यहोवा अपने मार्ग मुझ को दिखला; अपना पथ मुझे बता दे। |
5. | मुझे अपने सत्य पर चला और शिक्षा दे, क्योंकि तू मेरा उद्धार करने वाला परमेश्वर है; मैं दिन भर तेरी ही बाट जोहता रहता हूं। |
6. | हे यहोवा अपनी दया और करूणा के कामों को स्मरण कर; क्योंकि वे तो अनन्तकाल से होते आए हैं। |
7. | हे यहोवा अपनी भलाई के कारण मेरी जवानी के पापों और मेरे अपराधों को स्मरण न कर; अपनी करूणा ही के अनुसार तू मुझे स्मरण कर।। |
8. | यहोवा भला और सीधा है; इसलिये वह पापियों को अपना मार्ग दिखलाएगा। |
9. | वह नम्र लोगों को न्याय की शिक्षा देगा, हां वह नम्र लोगों को अपना मार्ग दिखलाएगा। |
10. | जो यहोवा की वाचा और चितौनियों को मानते हैं, उनके लिये उसके सब मार्ग करूणा और सच्चाई हैं।। |
11. | हे यहोवा अपने नाम के निमित्त मेरे अधर्म को जो बहुत हैं क्षमा कर।। |
12. | वह कौन है जो यहोवा का भय मानता है? यहोवा उसको उसी मार्ग पर जिस से वह प्रसन्न होता है चलाएगा। |
13. | वह कुशल से टिका रहेगा, और उसका वंश पृथ्वी पर अधिकारी होगा। |
14. | यहोवा के भेद को वही जानते हैं जो उस से डरते हैं, और वह अपनी वाचा उन पर प्रगट करेगा। |
15. | मेरी आंखे सदैव यहोवा पर टकटकी लगाए रहती हैं, क्योंकि वही मेरे पांवों को जाल में से छुड़ाएगा।। |
16. | हे यहोवा मेरी ओर फिरकर मुझ पर अनुग्रह कर; क्योंकि मैं अकेला और दीन हूं। |
17. | मेरे हृदय का क्लेश बढ़ गया है, तू मुझ को मेरे दु:खों से छुड़ा ले। |
18. | तू मेरे दु:ख और कष्ट पर दृष्टि कर, और मेरे सब पापों को क्षमा कर।। |
19. | मेरे शत्रुओं को देख कि वे कैसे बढ़ गए हैं, और मुझ से बड़ा बैर रखते हैं। |
20. | मेरे प्राण की रक्षा कर, और मुझे छुड़ा; मुझे लज्जित न होने दे, क्योंकि मैं तेरा शरणागत हूं। |
21. | खराई और सीधाई मुझे सुरक्षित रखें, क्योंकि मुझे तेरे ही आशा है।। |
22. | हे परमेश्वर इस्राएल को उसके सारे संकटों से छुड़ा ले।। |
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