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1. | हे यहोवा तेरी सामर्थ्य से राजा आनन्दित होगा; और तेरे किए हुए उद्धार से वह अति मगन होगा। |
2. | तू ने उसके मनोरथ को पूरा किया है, और उसके मुंह की बिनती को तू ने अस्वीकार नहीं किया। |
3. | क्योंकि तू उत्तम आशीषें देता हुआ उस से मिलता है और तू उसके सिर पर कुन्दन का मुकुट पहिनाता है। |
4. | उसने तुझ से जीवन मांगा, ओर तू ने जीवन दान दिया; तू ने उसको युगानुयुग का जीवन दिया है। |
5. | तेरे उद्धार के कारण उसकी महिमा अधिक है; तू उसको वैभव और ऐश्वर्य से आभूषित कर देता है। |
6. | क्योंकि तू ने उसको सर्वदा के लिये आशीषित किया है; तू अपने सम्मुख उसको हर्ष और आनन्द से भर देता है। |
7. | क्योंकि राजा का भरोसा यहोवा के ऊपर है; और परमप्रधान की करूणा से वह कभी नहीं टलने का।। |
8. | तेरा हाथ तेरे सब शत्रुओं को ढूंढ़ निकालेगा, तेरा दहिना हाथ तेरे सब बैरियों का पता लगा लेगा। |
9. | तू अपने मुख के सम्मुख उन्हें जलते हुए भट्टे की नाईं जलाएगा। यहोवा अपने क्रोध में उन्हें निगल जाएगा, और आग उन को भस्म कर डालेगी। |
10. | तू उनके फलों को पृथ्वी पर से, और उनके वंश को मनुष्यों में से नष्ट करेगा। |
11. | क्योंकि उन्होंने तेरी हानि ठानी है, उन्होंने ऐसी युक्ति निकाली है जिसे वे पूरी न कर सकेंगे। |
12. | क्योंकि तू अपना धुनष उनके विरुद्ध चढ़ाएगा, और वे पीठ दिखाकर भागेंगे।। |
13. | हे यहोवा, अपनी सामर्थ्य में महान हो! और हम गा गाकर तेरे पराक्रम का भजन सुनाएंगे।। |
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