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| 1. | मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी? | 
| 2. | मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।। | 
| 3. | वह तेरे पांव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा। | 
| 4. | सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा।। | 
| 5. | यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है। | 
| 6. | न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी।। | 
| 7. | यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा। | 
| 8. | यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा।। | 
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