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| 1. | संकट के समय मैं ने यहोवा को पुकारा, और उसने मेरी सुन ली। |
| 2. | हे यहोवा, झूठ बोलने वाले मुंह से और छली जीभ से मेरी रक्षा कर।। |
| 3. | हे छली जीभ, तुझ को क्या मिले? और तेरे साथ और क्या अधिक किया जाए? |
| 4. | वीर के नोकीले तीर और झाऊ के अंगारे! |
| 5. | हाय, हाय, क्योंकि मुझे मेशेक में परदेशी हो कर रहना पड़ा और केदार के तम्बुओं में बसना पड़ा है! |
| 6. | बहुत काल से मुझ को मेल के बैरियों के साथ बसना पड़ा है। |
| 7. | मैं तो मेल चाहता हूं; परन्तु मेरे बोलते ही, वे लड़ना चाहते हैं! |
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