Psalms (120/150)  

1. संकट के समय मैं ने यहोवा को पुकारा, और उसने मेरी सुन ली।
2. हे यहोवा, झूठ बोलने वाले मुंह से और छली जीभ से मेरी रक्षा कर।।
3. हे छली जीभ, तुझ को क्या मिले? और तेरे साथ और क्या अधिक किया जाए?
4. वीर के नोकीले तीर और झाऊ के अंगारे!
5. हाय, हाय, क्योंकि मुझे मेशेक में परदेशी हो कर रहना पड़ा और केदार के तम्बुओं में बसना पड़ा है!
6. बहुत काल से मुझ को मेल के बैरियों के साथ बसना पड़ा है।
7. मैं तो मेल चाहता हूं; परन्तु मेरे बोलते ही, वे लड़ना चाहते हैं!

  Psalms (120/150)