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1. | यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा की है! |
2. | इस्राएल कहे, उसकी करूणा सदा की है। |
3. | हारून का घराना कहे, उसकी करूणा सदा की है। |
4. | यहोवा के डरवैये कहें, उसकी करूणा सदा की है। |
5. | मैं ने सकेती में परमेश्वर को पुकारा, परमेश्वर ने मेरी सुन कर, मुझे चौड़े स्थान में पहुंचाया। |
6. | यहोवा मेरी ओर है, मैं न डरूंगा। मनुष्य मेरा क्या कर सकता है? |
7. | यहोवा मेरी ओर मेरे सहायकों में है; मैं अपने बैरियों पर दृष्टि कर सन्तुष्ट हूंगा। |
8. | यहोवा की शरण लेनी, मनुष्य पर भरोसा रखने से उत्तम है। |
9. | यहोवा की शरण लेनी, प्रधानों पर भी भरोसा रखने से उत्तम है।। |
10. | सब जातियों ने मुझ को घेर लिया है; परन्तु यहोवा के नाम से मैं निश्चय उन्हें नाश कर डालूंगा! |
11. | उन्होंने मुझ को घेर लिया है, नि:सन्देह घेर लिया है; परन्तु यहोवा के नाम से मैं निश्चय उन्हें नाश कर डालूंगा! |
12. | उन्होंने मुझे मधुमक्खियों की नाईं घेर लिया है, परन्तु कांटों की आग की नाईं वे बुझ गए; यहोवा के नाम से मैं निश्चय उन्हें नाश कर डालूंगा! |
13. | तू ने मुझे बड़ा धक्का दिया तो था, कि मैं गिर पडूं परन्तु यहोवा ने मेरी सहायता की। |
14. | परमेश्वर मेरा बल और भजन का विषय है; वह मेरा उद्धार ठहरा है।। |
15. | धर्मियों के तम्बुओं में जयजयकार और उद्धार की ध्वनि हो रही है, यहोवा के दाहिने हाथ से पराक्रम का काम होता है, |
16. | यहोवा का दहिना हाथ महान हुआ है, यहोवा के दाहिने हाथ से पराक्रम का काम होता है! |
17. | मैं न मरूंगा वरन जीवित रहूंगा, और परमेश्वर के कामों का वर्णन करता रहूंगा। |
18. | परमेश्वर ने मेरी बड़ी ताड़ना तो की है परन्तु मुझे मृत्यु के वश में नहीं किया।। |
19. | मेरे लिये धर्म के द्वार खोलो, मैं उन से प्रवेश कर के याह का धन्यवाद करूंगा।। |
20. | यहोवा का द्वार यही है, इस से धर्मी प्रवेश करने पाएंगे।। |
21. | हे यहोवा मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, क्योंकि तू ने मेरी सुन ली है और मेरा उद्धार ठहर गया है। |
22. | राजमिस्त्रियों ने जिस पत्थर को निकम्मा ठहराया था वही कोने का सिरा हो गया है। |
23. | यह तो यहोवा की ओर से हुआ है, यह हमारी दृष्टि में अद्भुत है। |
24. | आज वह दिन है जो यहोवा ने बनाया है; हम इस में मगन और आनन्दित हों। |
25. | हे यहोवा, बिनती सुन, उद्धार कर! हे यहोवा, बिनती सुन, सफलता दे! |
26. | धन्य है वह जो यहोवा के नाम से आता है! हम ने तुम को यहोवा के घर से आशीर्वाद दिया है। |
27. | यहोवा ईश्वर है, और उसने हम को प्रकाश दिया है। यज्ञपशु को वेदी के सींगों से रस्सियों बान्धो! |
28. | हे यहोवा, तू मेरा ईश्वर है, मैं तेरा धन्यवाद करूंगा; तू मेरा परमेश्वर है, मैं तुझ को सराहूंगा।। |
29. | यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा बनी रहेगी! |
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