Numbers (32/36)  

1. रूबेनियों और गादियों के पास बहुत जानवर थे। जब उन्होंने याजेर और गिलाद देशों को देखकर विचार किया, कि वह ढ़ोरों के योग्य देश है,
2. तब मूसा और एलीआजर याजक और मण्डली के प्रधानों के पास जा कर कहने लगे,
3. अतारोत, दीबोन, याजेर, निम्रा, हेशबोन, एलाले, सबाम, नबो, और बोन नगरों का देश
4. जिस पर यहोवा ने इस्त्राएल की मण्डली को विजय दिलवाई है, वह ढोरों के योग्य है; और तेरे दासों के पास ढोर हैं।
5. फिर उन्होंने कहा, यदि तेरा अनुग्रह तेरे दासों पर हो, तो यह देश तेरे दासों को मिले कि उनकी निज भूमि हो; हमें यरदन पार न ले चल।
6. मूसा ने गादियों और रूबेनियों से कहा, जब तुम्हारे भाई युद्ध करने को जाएंगे तब क्या तुम यहां बैठे रहोगे?
7. और इस्त्राएलियों से भी उस पार के देश जाने के विषय जो यहोवा ने उन्हें दिया है तुम क्यों अस्वीकार करवाते हो?
8. जब मैं ने तुम्हारे बापदादों को कादेशबर्ने से कनान देश देखने के लिये भेजा, तब उन्होंने भी ऐसा ही किया था।
9. अर्थात जब उन्होंने एशकोल नाम नाले तक पहुंचकर देश को देखा, तब इस्त्राएलियों से उस देश के विषय जो यहोवा ने उन्हें दिया था अस्वीकार करा दिया।
10. इसलिये उस समय यहोवा ने कोप कर के यह शपथ खाई कि,
11. नि:सन्देह जो मनुष्य मिस्र से निकल आए हैं उन में से, जितने बीस वर्ष के वा उस से अधिक अवस्था के हैं, वे उस देश को देखने न पाएंगे, जिसके देने की शपथ मैं ने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब से खाई है, क्योंकि वे मेरे पीछे पूरी रीति से नहीं हो लिये;
12. परन्तु यपुन्ने कनजी का पुत्र कालेब, और नून का पुत्र यहोशू, ये दोनों जो मेरे पीछे पूरी रीति से हो लिये हैं ये तो उसे देखने पाएंगे।
13. सो यहोवा का कोप इस्त्राएलियों पर भड़का, और जब तक उस पीढ़ी के सब लोगों का अन्त न हुआ, जिन्होंने यहोवा के प्रति बुरा किया था, तब तक अर्थात चालीस वर्ष तक वह जंगल में मारे मारे फिराता रहा।
14. और सुनो, तुम लोग उन पापियों के बच्चे हो कर इसी लिये अपने बाप-दादों के स्थान पर प्रकट हुए हो, कि इस्त्राएल के विरुद्ध यहोवा से भड़के हुए कोप को और भड़काओ!
15. यदि तुम उसके पीछे चलने से फिर जाओ, तो वह फिर हम सभों को जंगल में छोड़ देगा; इस प्रकार तुम इन सारे लोगों का नाश कराओगे।
16. तब उन्होंने मूसा के और निकट आकर कहा, हम अपने ढ़ोरों के लिये यहीं भेड़शाले बनाएंगे, और अपने बाल-बच्चों के लिये यहीं नगर बसाएंगे,
17. परन्तु आप इस्त्राएलियों के आगे आगे हथियार बन्द तब तक चलेंगे, जब तक उन को उनके स्थान में न पहुंचा दे; परन्तु हमारे बाल-बच्चे इस देश के निवासियों के डर से गढ़ वाले नगरों में रहेंगे।
18. परन्तु जब तक इस्त्राएली अपने अपने भाग के अधिकारी न हों तब तक हम अपने घरों को न लौटेंगे।
19. हम उनके साथ यरदन पार वा कहीं आगे अपना भाग न लेंगे, क्योंकि हमारा भाग यरदन के इसी पार पूरब की ओर मिला है।
20. तब मूसा ने उन से कहा, यदि तुम ऐसा करो, अर्थात यदि तुम यहोवा के आगे आगे युद्ध करने को हथियार बान्धो।
21. और हर एक हथियार-बन्द यरदन के पार तब तक चले, जब तक यहोवा अपने आगे से अपने शत्रुओं को न निकाले
22. और देश यहोवा के वश में न आए; तो उसके पीछे तुम यहां लौटोगे, और यहोवा के और इस्त्राएल के विषय निर्दोष ठहरोगे; और यह देश यहोवा के प्रति तुम्हारी निज भूमि ठहरेगा।
23. और यदि तुम ऐसा न करो, तो यहोवा के विरुद्ध पापी ठहरोगे; और जान रखो कि तुम को तुम्हारा पाप लगेगा।
24. तुम अपने बाल-बच्चों के लिये नगर बसाओ, और अपनी भेड़-बकरियों के लिये भेड़शाले बनाओ; और जो तुम्हारे मुंह से निकला है वही करो।
25. तब गादियों और रूबेनियों ने मूसा से कहा, अपने प्रभु की आज्ञा के अनुसार तेरे दास करेंगे।
26. हमारे बाल-बच्चे, स्त्रियां, भेड़-बकरी आदि, सब पशु तो यहीं गिलाद के नगरों में रहेंगे;
27. परन्तु अपने प्रभु के कहे के अनुसार तेरे दास सब के सब युद्ध के लिये हथियार-बन्द यहोवा के आगे आगे लड़ने को पार जाएंगे।
28. तब मूसा ने उनके विषय में एलीआजर याजक, और नून के पुत्र यहोशू, और इस्त्राएलियों के गोत्रों के पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरूषों को यह आज्ञा दी,
29. कि यदि सब गादी और रूबेनी पुरूष युद्ध के लिये हथियार-बन्द तुम्हारे संग यरदन पार जाएं, और देश तुम्हारे वश में आ जाए, तो गिलाद देश उनकी निज भूमि होने को उन्हें देना।
30. परन्तु यदि वे तुम्हारे संग हथियार-बन्द पार न जाएं, तो उनकी निज भूमि तुम्हारे बीच कनान देश में ठहरे।
31. तब गादी और रूबेनी बोल उठे, यहोवा ने जैसा तेरे दासों से कहलाया है वैसा ही हम करेंगे।
32. हम हथियार-बन्द यहोवा के आगे आगे उस पार कनान देश में जाएंगे, परन्तु हमारी निज भूमि यरदन के इसी पार रहे।।
33. तब मूसा ने गादियों और रूबेनियों को, और यूसुफ के पुत्र मनश्शे के आधे गोत्रियों को एमोरियों के राजा सीहोन और बाशान के राजा ओग, दोनों के राज्यों का देश, नगरों, और उनके आसपास की भूमि समेत दे दिया।
34. तब गादियों ने दीबोन, अतारोत, अरोएर,
35. अत्रौत, शोपान, याजेर, योगबहा,
36. बेतनिम्रा, और बेयारान नाम नगरों को दृढ़ किया, और उन में भेड़-बकरियों के लिये भेड़शाले बनाए।
37. और रूबेनियों ने हेशबोन, एलाले, और किर्यातैम को,
38. फिर नबो और बालमोन के नाम बदलकर उन को, और सिबमा को दृढ़ किया; और उन्होंने अपने दृढ़ किए हुए नगरों के और और नाम रखे।
39. और मनश्शे के पुत्र माकीर के वंश वालों ने गिलाद देश में जा कर उसे ले लिया, और जो एमोरी उस में रहते थे उन को निकाल दिया।
40. तब मूसा ने मनश्शे के पुत्र माकीर के वंश को गिलाद दे दिया, और वे उस में रहने लगे।
41. और मनश्शेई याईर ने जा कर गिलाद की कितनी बस्तियां ले लीं, और उनके नाम हव्वोत्याईर रखे।
42. और नोबह ने जा कर गांवों समेत कनात को ले लिया, और उसका नाम अपने नाम पर नोबह रखा।।

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