← Job (18/42) → |
1. | तब शूही बिल्दद ने कहा, |
2. | तुम कब तक फन्दे लगा लगाकर वचन पकड़ते रहोगे? चित्त लगाओ, तब हम बोलेंगे। |
3. | हम लोग तुम्हारी दृष्टि में क्यों पशु के तुल्य समझे जाते, और अशुद्ध ठहरे हैं। |
4. | हे अपने को क्रोध में फाड़ने वाले क्या तेरे निमित्त पृथ्वी उजड़ जाएगी, और चट्टान अपने स्थान से हट जाएगी? |
5. | तौभी दुष्टों का दीपक बुझ जाएगा, और उसकी आग की लौ न चमकेगी। |
6. | उसके डेरे में का उजियाला अन्धेरा हो जाएगा, और उसके ऊपर का दिया बुझ जाएगा। |
7. | उसके बड़े बड़े फाल छोटे हो जाएंगे और वह अपनी ही युक्ति के द्वारा गिरेगा। |
8. | वह अपना ही पांव जाल में फंसाएगा, वह फन्दों पर चलता है। |
9. | उसकी एड़ी फन्दे में फंस जाएगी, और वह जाल में पकड़ा जाएगा। |
10. | फन्दे की रस्सियां उसके लिये भूमि में, और जाल रास्ते में छिपा दिया गया है। |
11. | चारों ओर से डरावनी वस्तुएं उसे डराएंगी और उसके पीछे पड़कर उसको भगाएंगी। |
12. | उसका बल दु:ख से घट जाएगा, और विपत्ति उसके पास ही तैयार रहेगी। |
13. | वह उसके अंग को खा जाएगी, वरन काल का पहिलौठा उसके अंगों को खा लेगा। |
14. | अपने जिस डेरे का भरोसा वह करता है, उस से वह छीन लिया जाएगा; और वह भयंकरता के राजा के पास पहुंचाया जाएगा। |
15. | जो उसके यहां का नहीं है वह उसके डेरे में वास करेगा, और उसके घर पर गन्धक छितराई जाएगी। |
16. | उसकी जड़ तो सूख जाएगी, और डालियां कट जाएंगी। |
17. | पृथ्वी पर से उसका स्मरण मिट जाएगा, और बाज़ार में उसका नाम कभी न सुन पड़ेगा। |
18. | वह उजियाले से अन्धियारे में ढकेल दिया जाएगा, और जगत में से भी भगाया जाएगा। |
19. | उसके कुटुम्बियों में उसके कोई पुत्र-पौत्र न रहेगा, और जहां वह रहता था, वहां कोई बचा न रहेगा। |
20. | उसका दिन देखकर पूरबी लोग चकित होंगे, और पश्चिम के निवासियों के रोएं खड़े हो जाएंगे। |
21. | नि:सन्देह कुटिल लोगों के निवास ऐसे हो जाते हैं, और जिस को ईश्वर का ज्ञान नहीं रहता उसका स्थान ऐसा ही हो जाता है। |
← Job (18/42) → |