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1. | मेरा प्राण नाश हुआ चाहता है, मेरे दिन पूरे हो चुके हैं; मेरे लिये कब्र तैयार है। |
2. | निश्चय जो मेरे संग हैं वह ठट्ठा करने वाले हैं, और उनका झगड़ा रगड़ा मुझे लगातार दिखाई देता है। |
3. | जमानत दे अपने और मेरे बीच में तू ही जामिन हो; कौन है जो मेरे हाथ पर हाथ मारे? |
4. | तू ने इनका मन समझने से रोका है, इस कारण तू इन को प्रबल न करेगा। |
5. | जो अपने मित्रों को चुगली खाकर लुटा देता, उसके लड़कों की आंखें रह जाएंगी। |
6. | उसने ऐसा किया कि सब लोग मेरी उपमा देते हैं; और लोग मेरे मुंह पर थूकते हैं। |
7. | खेद के मारे मेरी आंखों में घुंघलापन छा गया है, और मेरे सब अंग छाया की नाईं हो गए हैं। |
8. | इसे देखकर सीधे लोग चकित होते हैं, और जो निर्दोष हैं, वह भक्तिहीन के विरुद्ध उभरते हैं। |
9. | तौभी धमीं लोग अपना मार्ग पकड़े रहेंगे, और शुद्ध काम करने वाले सामर्थ्य पर सामर्थ्य पाते जाएंगे। |
10. | तुम सब के सब मेरे पास आओ तो आओ, परन्तु मुझे तुम लोगों में एक भी बुद्धिमान न मिलेगा। |
11. | मेरे दिन तो बीत चुके, और मेरी मनसाएं मिट गई, और जो मेरे मन में था, वह नाश हुआ है। |
12. | वे रात को दिन ठहराते; वे कहते हैं, अन्धियारे के निकट उजियाला है। |
13. | यदि मेरी आशा यह हो कि अधोलोक मेरा धाम होगा, यदि मैं ने अन्धियारे में अपना बिछौना बिछा लिया है, |
14. | यदि मैं ने सड़ाहट से कहा कि तू मेरा पिता है, और कीड़े से, कि तू मेरी मां, और मेरी बहिन है, |
15. | तो मेरी आशा कहां रही? और मेरी आशा किस के देखने में आएगी? |
16. | वह तो अधोलोक में उतर जाएगी, और उस समेत मुझे भी मिट्टी में विश्राम मिलेगा। |
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