Jeremiah (30/52)  

1. यहोवा का जो वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा वह यह है:
2. इस्राएल का परमेश्वर यहोवा तुझ से यों कहता है, जो वचन मैं ने तुझ से कहे हैं उन सभों को पुस्तक में लिख ले।
3. क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आते हैं कि मैं अपनी इस्राएली और यहूदी प्रजा को बंधुआई से लौटा लाऊंगा; और जो देश मैं ने उनके पितरों को दिया था उस में उन्हें फेर ले आऊंगा, और वे फिर उसके अधिकारी होंगे, यहोवा का यही वचन हे।
4. जो वचन यहोवा ने इस्राएलियों और यहूदियों के विषय कहे थे, वे ये हैं:
5. यहोवा यों कहता है: थरथरा देने वाला शब्द सुनाईं दे रहा है, शान्ति नहीं, भय ही का है।
6. पूछो तो भला, और देखो, क्या पुरुष को भी कहीं जनने की पीड़ा उठती है? फिर क्या कारण है कि सब पुरुष ज़च्चा की नाईं अपनी अपनी कमर अपने हाथों से दबाए हुए देख पड़ते हैं? क्यों सब के मुख फीके रंग के हो गए हैं?
7. हाय, हाय, वह दिन क्या ही भारी होगा! उसके समान और कोई दिन नहीं; वह याकूब के संकट का समय होगा; परन्तु वह उस से भी छुड़ाया जाएगा।
8. और सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, कि उस दिन मैं उसका रखा हुआ जूआ तुम्हारी गर्दन पर से तोड़ दूंगा, और तुम्हारे बन्धनों को टुकड़े-टुकड़े कर डालूंगा; और परदेशी फिर उन से अपनी सेवा न कराने पाएंगे।
9. परन्तु वे अपने परमेश्वर यहोवा और अपने राजा दाऊद की सेवा करेंगे जिस को मैं उन पर राज्य करने के लिये ठहराऊंगा।
10. इसलिये हे मेरे दास याकूब, तेरे लिये यहोवा की यह वाणी है, मत डर; हे इस्राएल, विस्मित न हो; क्योंकि मैं दूर देश से तुझे और तेरे वंश को बंधुआई के देश से छुड़ा ले आऊंगा। तब याकूब लौट कर, चैन और सुख से रहेगा, और कोई उसको डराने न पाएगा।
11. क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, तुम्हारा उद्धार करने के लिये मैं तुम्हारे संग हूँ; इसलिये मैं उन सब जातियों का अन्त कर डालूंगा, जिन में मैं ने उन्हें तितर-बितर किया है, परन्तु तुम्हारा अन्त न करूंगा। तुम्हारी ताड़ना मैं विचार कर के करूंगा, और तुम्हें किसी प्रकार से निर्दोष न ठहराऊंगा।
12. यहोवा यों कहता है: तेरे दु:ख की कोई औषध नहीं, और तेरी चोट गहिरी और दुखप्रद है।
13. तेरा मुक़द्दमा लड़ने के लिये कोई नहीं, तेरा घाव बान्धने के लिये न पट्टी, न मलहम है।
14. तेरे सब मित्र तुझे भूल गए; वे तुम्हारी सुधि नहीं लेते; क्योंकि तेरे बड़े अधर्म और भारी पापों के कारण, मैं ने शत्रु बन कर तुझे मारा है; मैं ने क्रूर बन कर ताड़ना दी है।
15. तू अपने घाव के मारे क्यों चिल्लाती है? तेरी पीड़ा की कोई औषध नहीं। तेरे बड़े अधर्म और भारी पापों के कारण मैं ने तुझ से ऐसा व्यवहार किया है।
16. परन्तु जितने तुझे अब खाए लेते हैं, वे आप ही खाए जाएंगे, और तेरे द्रोही आप सब के सब बंधुआई में जाएंगे; और तेरे लूटने वाले आप लुटेंगे ओर जितने तेरा धन छीनते हैं, उनका धन मैं छिनवाऊंगा।
17. मैं तेरा इलाज कर के तेरे घावों को चंगा करूंगा, यहोवा की यह वाणी है; क्योंकि तेरा नाम ठुकराई हुई पड़ा है: वह तो सिय्योन है, उसकी चिन्ता कौन करता है?
18. यहोवा कहता है: मैं याकूब के तम्बू को बंधुआई से लौटाता हूँ और उसके घरों पर दया करूंगा; और नगर अपने ही खण्डहर पर फिर बसेगा, और राजभवन पहिले के अनुसार फिर बन जाएगा।
19. तब उन में से धन्य कहने, और आनन्द करने का शब्द सुनाई पड़ेगा।
20. मैं उनका वैभव बढ़ाऊंगा, और वे थोड़े न होंगे। उनके लड़के बाले प्राचीनकाल के समान होंगे, और उनकी मण्डली मेरे साम्हने स्थिर रहेगी; और जितने उन पर अन्धेर करते हैं उन को मैं दण्ड दूंगा।
21. उनका महापुरुष उन्हीं में से होगा, और जो उन पर प्रभुता करेगा, वह उन्हीं में से उत्पन्न होगा; मैं उसे अपने निकट बुलाऊंगा, और वह मेरे समीप आ भी जाएगा, क्योंकि कौन है जो अपने आप मेरे समीप आ सकता है? यहोवा की यही वाणी है।
22. उस समय तुम मेरी प्रजा ठहरोगे, और मैं तुम्हारा परमेश्वर ठहरूंगा।
23. देखो, यहोवा की जलजलाहट की आंधी चल रही है! वह अति प्रचण्ड आंधी है; दुष्टों के सिर पर वह जोर से लगेगी।
24. जब तक यहोवा अपना काम न कर चुके और अपनी युक्तियों को पूरी न कर चुके, तब तक उसका भड़का हुआ क्रोध शान्त न होगा। अन्त के दिनों में तुम इस बात को समझ सकोगे।

  Jeremiah (30/52)