← Jeremiah (24/52) → |
1. | जब बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर, यहोयाकीम के पुत्र यहूदा के राजा यकोन्याह को, और यहूदा के हाकिमों और लोहारों और और कारीगरों को बंधुआ कर के यरूशलेम से बाबुल को ले गया, तो उसके बाद यहोवा ने मुझ को अपने मन्दिर के सामहने रखे हुए अंजीरों के दो टोकरे दिखाए। |
2. | एक टोकरे में तो पहिले से पके अच्छे अच्छे अंजीर थे, और दूसरे टोकरे में बहुत निकम्मे अंजीर थे, वरन वे ऐसे निकम्मे थे कि खाने के योग्य भी न थे। |
3. | फिर यहोवा ने मुझ से पूछा, हे यिर्मयाह, तुझे क्या देख पड़ता है? मैं ने कहा, अंजीर; जो अंजीर अच्छे हैं सो तो बहुत ही अच्छे हैं, परन्तु जो निकम्मे हैं, सो बहुत ही निकम्मे हैं; वरन ऐसे निकम्मे हैं कि खाने के योग्य भी नहीं हैं। |
4. | तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, |
5. | कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, जैसे अच्छे अंजीरों को, वैसे ही मैं यहूदी बंधुओं को जिन्हें मैं ने इस स्थान से कसदियों के देश में भेज दिया है, देख कर प्रसन्न हूंगा। |
6. | मैं उन पर कृपादृष्टि रखूंगा और उन को इस देश में लौटा ले आऊंगा; और उन्हें नाश न करूंगा, परन्तु बनाऊंगा; उन्हें उखाड़ न डालूंगा, परन्तु लगाए रखूंगा। |
7. | मैं उनका ऐसा मन कर दूंगा कि वे मुझे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ; और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, क्योंकि वे मेरी ओर सारे मन से फिरेंगे। |
8. | परन्तु जैसे निकम्मे अंजीर, निकम्मे होने के कारण खाए नहीं जाते, उसी प्रकार से मैं यहूदा के राजा सिदकिय्याह और उसके हाकिमों और बचे हुए यरूशलेमियों को, जो इस देश में वा मिस्र में रह गए हैं, छोड़ दूंगा। |
9. | इस कारण वे पृथ्वी के राज्य राज्य में मारे मारे फिरते हुए हु:ख भोगते रहेंगे; और जितने स्थानों में मैं उन्हें बरबस निकाल दूंगा, उन सभों में वे नामधराई और दृष्टांत और श्राप का विषय होंगे। |
10. | और मैं उन में तलवार चलाऊंगा, और महंगी और मरी फैलाऊंगा, और अन्त में इस देश में से जिसे मैं ने उनके पुरखाओं को और उन को दिया, वे मिट जाएंगे। |
← Jeremiah (24/52) → |