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1. | परन्तु अब हे मेरे दास याकूब, हे मेरे चुने हुए इस्राएल, सुन ले! |
2. | तेरा कर्त्ता यहोवा, जो तुझे गर्भ ही से बनाता आया और तेरी सहायता करेगा, यों कहता है, हे मेरे दास याकूब, हे मेरे चुने हुए यशूरून, मत डर! |
3. | क्योंकि मैं प्यासी भूमि पर जल और सूखी भूमि पर धाराएं बहाऊंगा; मैं तेरे वंश पर अपनी आत्मा और तेरी सन्तान पर अपनी आशीष उण्डेलूंगा। |
4. | वे उन मजनुओं की नाईं बढ़ेंगे जो धाराओं के पास घास के बीच में होते हैं। |
5. | कोई कहेगा, मैं यहोवा का हूं, कोई अपना नाम याकूब रखेगा, कोई अपने हाथ पर लिखेगा, मैं यहोवा का हूं, और अपना कुलनाम इस्राएली बताएगा।। |
6. | यहोवा, जो इस्राएल का राजा है, अर्थात सेनाओं का यहोवा जो उसका छुड़ाने वाला है, वह यों कहता है, मैं सब से पहिला हूं, और मैं ही अन्त तक रहूंगा; मुझे छोड़ कोई परमेश्वर है ही नहीं। |
7. | और जब से मैं ने प्राचीनकाल में मनुष्यों को ठहराया, तब से कौन हुआ जो मेरी नाईं उसको प्रचार करे, वा बताए वा मेरे लिये रचे अथवा होनहार बातें पहिले ही से प्रगट करे? |
8. | मत डरो और न भयमान हो; क्या मैं ने प्राचीनकाल ही से ये बातें तुम्हें नहीं सुनाईं और तुम पर प्रगट नहीं कीं? तुम मेरे साक्षी हो। क्या मुझे छोड़ कोई और परमेश्वर है? नहीं, मुझे छोड़ कोई चट्टान नहीं; मैं किसी और को नहीं जानता।। |
9. | जो मूरत खोदकर बनाते हैं, वे सब के सब व्यर्थ हैं और जिन वस्तुओं में वे आनन्द ढूंढते उन से कुछ लाभ न होगा; उसके साक्षी, न तो आप कुछ देखते और न कुछ जानते हैं, इसलिये उन को लज्जित होना पड़ेगा। |
10. | किस ने देवता वा निष्फल मूरत ढाली है? |
11. | देख, उसके सब संगियों को तो लज्जित होना पड़ेगा, कारीगर तो मनुष्य ही है; वे सब के सब इकट्ठे हो कर खड़े हों; वे डर जाएंगे; वे सब के सब लज्जित होंगे। |
12. | लोहार एक बसूला अंगारों में बनाता और हथौड़ों से गढ़कर तैयार करता है, अपने भुजबल से वह उसको बनाता है; फिर वह भूखा हो जाता है और उसका बल घटता है, वह पानी नहीं पीता और थक जाता है। |
13. | बढ़ई सूत लगाकर टांकी से रखा करता है और रन्दनी से काम करता और परकार से रेखा खींचता है, वह उसका आकार और मनुष्य की सी सुन्दरता बनाता है ताकि लोग उस घर में रखें। |
14. | वह देवदार को काटता वा वन के वृक्षों में से जाति जाति के बांजवृक्ष चुनकर सेवता है, वह एक तूस का वृक्ष लगाता है जो वर्षा का जल पाकर बढ़ता है। |
15. | तब वह मनुष्य के ईंधन के काम में आता है; वह उस में से कुछ सुलगाकर तापता है, वह उसको जलाकर रोटी बनाता है; उसी से वह देवता भी बनाकर उसको दण्डवत करता है; वह मूरत खुदवाकर उसके साम्हने प्रणाम करता है। |
16. | उसका एक भाग तो वह आग में जलाता और दूसरे भाग से मांस पकाकर खाता है, वह मांस भूनकर तृप्त होता; फिर तपाकर कहता है, अहा, मैं गर्म हो गया, मैं ने आग देखी है! |
17. | उसके बचे हुए भाग को लेकर वह एक देवता अर्थात एक मूरत खोदकर बनाता है; तब वह उसके साम्हने प्रणाम और दण्डवत करता और उस से प्रार्थना कर के कहता है, मुझे बचा ले, क्योंकि तू मेरा देवता है। वे कुछ नहीं जानते, न कुछ समझ रखते हैं; |
18. | क्योंकि उनकी आंखें ऐसी मून्दी गई हैं कि वे देख नहीं सकते; और उनकी बुद्धि ऐसी कि वे बूझ नहीं सकते। |
19. | कोई इस पर ध्यान नहीं करता, और न किसी को इतना ज्ञान वा समझ रहती है कि कह सके, उसका एक भाग तो मैं ने जला दिया और उसके कोयलों पर रोटी बनाईं; और मांस भूनकर खाया है; फिर क्या मैं उसके बचे हुए भाग को घिनौनी वस्तु बनाऊं? क्या मैं काठ को प्रणाम करूं? |
20. | वह राख खाता है; भरमाई हुई बुद्धि के कारण वह भटकाया गया है और वह न अपने को बचा सकता और न यह कह सकता है, क्या मेरे दाहिने हाथ में मिथ्या नहीं? |
21. | हे याकूब, हे इस्राएल, इन बातों को स्मरण कर, तू मेरा दास है, मैं ने तुझे रचा है; हे इस्राएल, तू मेरा दास है, मैं तुझ को न बिसराऊंगा। |
22. | मैं ने तेरे अपराधों को काली घटा के समान और तेरे पापों को बादल के समान मिटा दिया है; मेरी ओर फिर लौट आ, क्योंकि मैं ने तुझे छुड़ा लिया है।। |
23. | हे आकाश, ऊंचे स्वर से गा, क्योंकि यहोवा ने यह काम किया है; हे पृथ्वी के गहिरे स्थानों, जयजयकार करो; हे पहाड़ों, हे वन, हे वन के सब वृक्षों, गला खोल कर ऊंचे स्वर से गाओ! क्योंकि यहोवा ने याकूब को छुड़ा लिया है और इस्राएल में महिमावान होगा।। |
24. | यहोवा, तेरा उद्धारकर्त्ता, जो तुझे गर्भ ही से बनाता आया है, यों कहता है, मैं यहोवा ही सब का बनाने वाला हूं जिसने अकेले ही आकाश को ताना और पृथ्वी को अपनी ही शक्ति से फैलाया है। |
25. | मैं झूठे लोगों के कहे हुए चिन्हों को व्यर्थ कर देता और भावी कहने वालों को बावला कर देता हूं; जो बुद्धिमानों को पीछे हटा देता और उनकी पण्डिताई को मूर्खता बनाता हूं; |
26. | और अपने दास के वचन को पूरा करता और अपने दूतों की युक्ति को सफल करता हूं; जो यरूशलेम के विषय कहता है, वह फिर बसाई जाएगी और यहूदा के नगरों के विषय, वे फिर बनाए जाएंगे और मैं उनके खण्डहरों को सुधारूंगा; |
27. | जो गहिरे जल से कहता है, तू सूख जा, मैं तेरी नदियों को सुखाऊंगा; |
28. | जो कुस्रू के विषय में कहता है, वह मेरा ठहराया हुआ चरवाहा है और मेरी इच्छा पूरी करेगा; यरूशलेम के विषय कहता है, वह बसाई जाएगी और मन्दिर के विषय कि तेरी नेव डाली जाएगी।। |
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