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1. | फिर हे मनुष्य के सन्तान, तू इस्राएल के पहाड़ों से भविष्यद्वाणी कर के कह, हे इस्राएल के पहाड़ो, यहोवा का वचन सुनो। |
2. | परमेश्वर यहोवा यों कहता है, शत्रु ने तो तुम्हारे विषय में कहा है, आहा! प्राचीनकाल के ऊंचे स्थान अब हमारे अधिकार में आ गए। |
3. | इस कारण भविष्यद्वाणी कर के कह, परमेश्वर यहोवा यों कहता हे, लोगों ने जो तुम्हें उजाड़ा और चारों ओर से तुम्हें ऐसा निगल लिया कि तुम बची हुई जातियों का अधिकार हो जाओ, और लुतरे तुम्हारी चर्चा करते और साधारण लोग तुम्हारी निन्दा करते हैं; |
4. | इस कारण, हे इस्राएल के पहाड़ो, परमेश्वर यहोवा का वचन सुनो, परमेश्वर यहोवा तुम से यों कहता है, अर्थात पहाड़ों और पहाडिय़ों से और नालों और तराइयों से, और उजड़े हुए खण्डहरों और निर्जन नगरों से जो चारों ओर की बची हुई जातियों से लुट गए और उनके हंसने के कारण हो गए हैं; |
5. | परमेश्वर यहोवा यों कहता है, निश्चय मैं ने अपनी जलन की आग में बची हुई जातियों के और सारे एदोम के विरुद्ध में कहा है कि जिन्होंने मेरे देश को अपने मन के पूरे आनन्द और अभिमान से अपने अधिकार में किया है कि वह पराया हो कर लूटा जाए। |
6. | इस कारण इस्राएल के देश के विषय में भविष्यद्वाणी कर के पहाड़ों, पहाडिय़ों, नालों, और तराइयों से कह, परमेश्वर यहोवा यों कहता है, देखो, तुम ने जातियों की निन्दा सही है, इस कारण मैं अपनी बड़ी जलजलाहट से बोला हूँ। |
7. | परमेश्वर यहोवा यों कहता है, मैं ने यह शपथ खाई है कि नि:सन्देह तुम्हारे चारों ओर जो जातियां हैं, उन को अपनी निन्दा आप ही सहनी पड़ेगी। |
8. | परन्तु, हे इस्राएल के पहाड़ो, तुम पर डालियां पनपेंगी और उनके फल मेरी प्रजा इस्राएल के लिये लगेंगे; क्योंकि उसका लौट आना निकट है। |
9. | और देखो, मैं तुम्हारे पक्ष में हूँ, और तुम्हारी ओर कृपादृष्टि करूंगा, और तुम जोते-बोए जाओगे; |
10. | और मैं तुम पर बहुत मनुष्य अर्थात इस्राएल के सारे घराने को बसाऊंगा; और नगर फिर बसाए और खण्डहर फिर बनाएं जाएंगे। |
11. | और मैं तुम पर मनुष्य और पशु दोनों को बहुत बढ़ाऊंगा; और वे बढ़ेंगे और फूलें-फलेंगे; और मैं तुम को प्राचीनकाल की नाईं बसाऊंगा, और पहिले से अधिक तुम्हारी भलाई करूंगा। तब तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ। |
12. | और मैं ऐसा करूंगा कि मनुष्य अर्थात मेरी प्रजा इस्राएल तुम पर चले-फिरेगी; और वे तुम्हारे स्वामी होंगे, और तुम उनका निज भाग होंगे, और वे फिर तुम्हारे कारण निर्वंश न हो जाएंगे। |
13. | परमेश्वर यहोवा यों कहता हे, जो लोग तुम से कहा करते हैं, कि तू मनुष्यों का खाने वाला है, और अपने पर बसी हुई जाति को निर्वंश कर देता है, |
14. | सो फिर तू मनुष्यों को न खाएगा, और न अपने पर बसी हुई जाति को निर्वंश करेगा, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है। |
15. | और मैं फिर जाति-जाति के लोगों से तेरी निन्दा न सुनवाऊंगा, और तुझे जाति-जाति की ओर से फिर नामधराई न सहनी पड़ेगी, और तुझ पर बसी हुई जाति को तू फिर ठोकर न खिलाएगा, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है। |
16. | फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, |
17. | हे मनुष्य के सन्तान, जब इस्राएल का घराना अपने देश में रहता था, तब अपनी चालचलन और कामों के द्वारा वे उसको अशुद्ध करते थे; उनकी चालचलन मुझे ऋतुमती की अशुद्धता सी जान पड़ती थी। |
18. | सो जो हत्या उन्होंने देश में की, और देश को अपनी मूरतों के द्वारा अशुद्ध किया, इसके कारण मैं ने उन पर अपनी जलजलाहट भड़काई। |
19. | और मैं ने उन्हें जाति-जाति में तितर-बितर किया, और वे देश देश में छितर गए; उनके चालचलन और कामों के अनुसार मैं ने उन को दण्ड दिया। |
20. | परन्तु जब वे उन जातियों में पहुंचे जिन में वे पहुंचाए गए, तब उन्होंने मेरे पवित्र नाम को अपवित्र ठहराया, क्योंकि लोग उनके विषय में यह कहने लगे, ये यहोवा की प्रजा हैं, परन्तु उसके देश से निकाले गए हैं। |
21. | परन्तु मैं ने अपने पवित्र नाम की सुधि ली, जिसे इस्राएल के घराने ने उन जातियों के बीच अपवित्र ठहराया था, जहां वे गए थे। |
22. | इस कारण तू इस्राएल के घराने से कह, परमेश्वर यहोवा यों कहता है, हे इस्राएल के घराने, मैं इस को तुम्हारे निमित्त नहीं, परन्तु अपने पवित्र नाम के निमित्त करता हूँ जिसे तुम ने उन जातियों में अपवित्र ठहराया जहां तुम गए थे। |
23. | और मैं अपने बड़े नाम को पवित्र ठहराऊंगा, जो जातियों में अपवित्र ठहराया गया, जिसे तुम ने उनके बीच अपवित्र किया; और जब मैं उनकी दृष्टि में तुम्हारे बीच पवित्र ठहरूंगा, तब वे जातियां जान लेंगी कि मैं यहोवा हूँ, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है। |
24. | मैं तुम को जातियों में से ले लूंगा, और देशों में से इकट्ठा करूंगा; और तुम को तुम्हारे निज देश में पहुंचा दूंगा। |
25. | मैं तुम पर शुद्ध जल छिड़कूंगा, और तुम शुद्ध हो जाओगे; और मैं तुम को तुम्हारी सारी अशुद्धता और मूरतों से शुद्ध करूंगा। |
26. | मैं तुम को नया मन दूंगा, और तुम्हारे भीतर नई आत्मा उत्पन्न करूंगा; और तुम्हारी देह में से पत्थर का हृदय निकाल कर तुम को मांस का हृदय दूंगा। |
27. | और मैं अपना आत्मा तुम्हारे भीतर देकर ऐसा करूंगा कि तुम मेरी विधियों पर चलोगे और मेरे नियमों को मान कर उनके अनुसार करोगे। |
28. | तुम उस देश में बसोगे जो मैं ने तुम्हारे पितरों को दिया था; और तुम मेरी प्रजा ठहरोगे, और मैं तुम्हारा परमेश्वर ठहरूंगा। |
29. | और मैं तुम को तुम्हारी सारी अशुद्धता से छुड़ाऊंगा, और अन्न उपजने की आज्ञा देकर, उसे बढ़ाऊंगा और तुम्हारे बीच अकाल न डालूंगा। |
30. | मैं वृक्षों के फल और खेत की उपज बढ़ाऊंगा, कि जातियों में अकाल के कारण फिर तुम्हारी नामधराई न होगी। |
31. | तब तुम अपने बुरे चालचलन और अपने कामों को जो अच्छे नहीं थे, स्मरण कर के अपने अधर्म और घिनौने कामों के कारण अपने आप से घृणा करोगे। |
32. | परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, तुम जान लो कि मैं इस को तुम्हारे निमित्त नहीं करता। हे इस्राएल के घराने अपने चालचलन के विषय में लज्जित हो और तुम्हारा मुख काला हो जाए। |
33. | परमेश्वर यहोवा यों कहता है, जब मैं तुम को तुम्हारे सब अधर्म के कामों से शुद्ध करूंगा, तब तुम्हारे नगरों को बसाऊंगा; और तुम्हारे खण्डहर फिर बनाए जाएंगे। |
34. | और तुम्हारा देश जो सब आने जाने वालों के साम्हने उजाड़ है, वह उजाड़ होने की सन्ती जोता बोया जाएगा। |
35. | और लोग कहा करेंगे, यह देश जो उजाड़ था, सो एदेन की बारी सा हो गया, और जो नगर खण्डहर और उजाड़ हो गए और ढाए गए थे, सो गढ़ वाले हुए, और बसाए गए हैं। |
36. | तब जो जातियां तुम्हारे आस पास बची रहेंगी, सो जान लेंगी कि मुझ यहोवा ने ढाए हुए को फिर बनाया, और उजाड़ में पेड़ रोपे हैं, मुझ यहोवा ने यह कहा, और ऐसा ही करूंगा। |
37. | परमेश्वर यहोवा यों कहता है, इस्राएल के घराने में फिर मुझ से बिनती की जाएगी कि मैं उनके लिये यह करूं; अर्थात मैं उन में मनुष्यों की गिनती भेड़-बकरियों की नाईं बढ़ाऊं। |
38. | जैसे पवित्र समयों की भेड़-बकरियां, अर्थात नियत पर्वों के समय यरूशलेम में की भेड़-बकरियां अनगिनित होती हैं वैसे ही जो नगर अब खण्ढहर हैं वे अनगिनित मनुष्यों के झुण्डों से भर जाएंगे। तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ। |
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