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1. | ग्यारहवें वर्ष के पहिले महीने के पहिले दिन को यहोवा का यह वचन मेरे पास पहंचा, |
2. | हे मनुष्य के सन्तान, सोर ने जो यरूशलेम के विष्य में कहा है, अहा, अहा। जो देश देश के लोगों के फाटक के समान थी, वह नाश होगई। |
3. | उसके उजड़ जाने से मैं भरपूर हो जाऊंगा! इस कारण परमेश्वर यहोवा कहता है, हे सोर, देख, मैं तेरे विरुद्ध हूँ; और ऐसा करूंगा कि बहुत सी जातियां तेरे विरुद्ध ऐसी उठेंगी जैसे समुद्र की लहरें उठती हैं। |
4. | और वे सोर की शहरपनाह को गिराएंगी, और उसके गुम्मटों को तोड़ डालेंगी; और मैं उस पर से उसकी मिट्टी खुरच कर उसे नंगी चट्टान कर दूंगा। |
5. | वह समुद्र के बीच का जाल फैलाने ही का स्थान हो जाएगा; क्योंकि परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है; और वह जाति जाति से लुट जाएगा; |
6. | और उसकी जो बेटियां मैदान में हैं, वे तलवार से मारी जाएंगी। तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ। |
7. | क्योंकि परमेश्वर यहोवा यह कहता है, देख, मैं सोर के विरुद्ध राजाधिराज बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को घोड़ों, रथों, सवारों, बड़ी भीड़, और दल समेत उत्तर दिशा से ले आऊंगा। |
8. | और तेरी जो बेटियां मैदान में हों, उन को वह तलवार से मारेगा, और तेरे विरुद्ध कोट बनाएगा और दमदमा बान्धेगा; और ढाल उठाएगा। |
9. | और वह तेरी शहरपनाह के विरुद्ध युद्ध के यन्त्र चलाएगा और तेरे गुम्मटों को फरसों से ढा देगा। |
10. | उसके घोड़े इतने होंगे, कि तू उनकी धूलि से ढंप जाएगा, और जब वह तेरे फाटकों में ऐसे घुसेगा जैसे लोग नाके वाले नगर में घुसते हैं, तब तेरी शहरपनाह सवारों, छकड़ों, और रथों के शब्द से कांप उठेगी। |
11. | वह अपने घोड़ों की टापों से तेरी सब सड़कों को रौन्द डालेगा, और तेरे निवासियों को तलवार से मार डालेगा, और तेरे बल के खंभे भूमि पर गिराए जाएंगे। |
12. | और लोग तेरा धन लूटेंगे और तेरे व्यापार की वस्तुएं छीन लेंगे; वे तेरी शहरपनाह ढा देंगे और तेरे मनभाऊ घर तोड़ डालेंगे; तेरे पत्थर और काठ, और तेरी धूलि वे जल में फेंक देंगे। |
13. | और मैं तेरे गीतों का सुरताल बन्द करूंगा, और तेरी वीणाओं की ध्वनि फिर सुनाई न देगी। |
14. | मैं तुझे नंगी चट्टान कर दूंगा; तू जाल फैलाने ही का स्थान हो जाएगा; और फिर बसाया न जाएगा; क्योंकि मुझ यहोवा ही ने यह कहा है, परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है। |
15. | परमेश्वर यहोवा सोर से यों कहता है, तेरे गिरने के शब्द से जब घायल लोग कराहेंगे और तुझ में घात ही घात होगा, तब क्या टापू न कांप उठेंगे? |
16. | तब समुद्रतीर के सब प्रधान लोग अपने अपने सिंहासन पर से उतरेंगे, और अपने बागे और बूटेदार वस्त्र उतार कर थरथराहट के वस्त्र पहिनेंगे और भूमि पर बैठ कर क्षण क्षण में कांपेंगे; और तेरे कारण विस्मित रहेंगे। |
17. | और वे तेरे विषय में विलाप का गीत बना कर तुझ से कहेंगे, हाय! मल्लाहों की बसाई हुई हाय! सराही हुई नगरी जो समुद्र के बीच निवासियों समेत सामथीं रही और सब टिकने वालों की डराने वाली नगरी थी, तू कैसी नाश हुई है? |
18. | तेरे गिरने के दिन टापू कांप उठेंगे, और तेरे जाते रहने के कारण समुद्र से सब टापू घबरा जाएंगे। |
19. | क्योंकि परमेश्वर यहोवा यों कहता है, जब मैं तुझे निर्जन नगरों के समान उजाड़ करूंगा और तेरे ऊपर महासागर चढ़ाऊंगा, और तू गहिरे जल में डूब जाएगा, |
20. | तब गड़हे में और गिरने वालों के संग मैं तुझे भी प्राचीन लोगों में उतार दूंगा; और गड़हे में और गिरने वालों के संग तुझे भी नीचे के लोक में रख कर प्राचीनकाल के उजड़े हुए स्थानों के समान कर दूंगा; यहां तक कि तू फिर न बसेगा और न जीवन के लोक में कोई स्थान पाएगा। |
21. | मैं तुझे घबराने का कारण करूंगा, और तू भविष्य में फिर न रहेगा, वरन ढूंढ़ने पर भी तेरा पता न लगेगा, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है। |
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