Acts (12/28)  

1. उस समय हेरोदेस राजा ने कलीसिया के कई एक व्यक्तियों को दुख देने के लिये उन पर हाथ डाले।
2. उसने यूहन्ना के भाई याकूब को तलवार से मरवा डाला।
3. और जब उसने देखा, कि यहूदी लोग इस से आनन्‍दित होते हैं, तो उसने पतरस को भी पकड़ लिया: वे दिन अखमीरी रोटी के दिन थे।
4. और उसने उसे पकड़ के बन्‍दीगृह में डाला, और रखवाली के लिये, चार चार सिपाहियों के चार पहरों में रखा: इस मनसा से कि फसह के बाद उसे लोगों के साम्हने लाए।
5. सो बन्‍दीगृह में पतरस की रखवाली हो रही थी; परन्तु कलीसिया उसके लिये लौ लगाकर परमेश्वर से प्रार्थना कर रही थी।
6. और जब हेरोदेस उसे उन के साम्हने लाने को था, तो उसी रात पतरस दो जंजीरों से बन्‍धा हुआ, दो सिपाहियों के बीच में सो रहा था: और पहरूए द्वार पर बन्‍दीगृह की रखवाली कर रहे थे।
7. तो देखो, प्रभु का एक स्वर्गदूत आ खड़ा हुआ: और उसकोठरी में ज्योति चमकी: और उसने पतरस की पसली पर हाथ मार के उसे जगाया, और कहा; उठ, फुरती कर, और उसके हाथ से जंजीरें खुलकर गिर पड़ीं।
8. तब स्वर्गदूत ने उस से कहा; कमर बान्‍ध, और अपने जूते पहिन ले: उसने वैसा ही किया, फिर उसने उस से कहा; अपना वस्‍त्र पहिनकर मेरे पीछे हो ले।
9. वह निकलकर उसके पीछे हो लिया; परन्तु यह न जानता था, कि जो कुछ स्वर्गदूत कर रहा है, वह सचमुच है, वरन यह समझा, कि मैं दर्शन देख रहा हूं।
10. तब वे पहिल और दूसरे पहरे से निकलकर उस लोहे के फाटक पर पहुंचे, जो नगर की ओर है; वह उन के लिये आप से आप खुल गया: और वे निकलकर एक ही गली हो कर गए, इतने में स्वर्गदूत उसे छोड़कर चला गया।
11. तब पतरस ने सचेत हो कर कहा; अब मैं ने सच जान लिया कि प्रभु ने अपना स्वर्गदूत भेज कर मुझे हेरोदेस के हाथ से छुड़ा लिया, और यहूदियों की सारी आशा तोड़ दी।
12. और यह सोचकर, वह उस यूहन्ना की माता मरियम के घर आया, जो मरकुस कहलाता है; वहां बहुत लोग इकट्ठे हो कर प्रार्थना कर रहे थे।
13. जब उसने फाटक की खिड़की खटखटाई; तो रूदे नाम एक दासी सुनने को आई।
14. और पतरस का शब्द पहचानकर, उसने आनन्द के मारे फाटक न खोला; परन्तु दौड़कर भीतर गई, और बताया कि पतरस द्वार पर खड़ा है।
15. उन्होंने उस से कहा; तू पागल है, परन्तु वह दृढ़ता से बोली, कि ऐसा ही है: तब उन्होंने कहा, उसका स्वर्गदूत होगा।
16. परन्तु पतरस खटखटाता ही रहा: सो उन्होंने खिड़की खोली, और उसे देखकर चकित हो गए।
17. तब उसने उन्हें हाथ से सैन किया, कि चुप रहें; और उन को बताया, कि प्रभु किस रीति से मुझे बन्‍दीगृह से निकाल लाया है: फिर कहा, कि याकूब और भाइयों को यह बात कह देना; तब निकलकर दूसरी जगह चला गया।
18. भोर को सिपाहियों में बड़ी हलचल होने लगी, कि पतरस क्या हुआ।
19. जब हेरोदेस ने उस की खोज की, और न पाया; तो पहरूओं की जांच कर के आज्ञा दी कि वे मार डाले जाएं; और वह यहूदिया को छोड़कर कैसरिया में जा रहा।
20. और वह सूर और सैदा के लोगों से बहुत अप्रसन्न था; सो वे एक चित्त हो कर उसके पास आए और बलास्‍तुस को, जो राजा का एक कर्मचारी था, मनाकर मेल करना चाहा; क्योंकि राजा के देश से उन के देश का पालन पोषण होता था।
21. और ठहराए हुए दिन हेरोदेस राजवस्‍त्र पहिनकर सिंहासन पर बैठा; और उन को व्याख्यान देने लगा।
22. और लोग पुकार उठे, कि यह तो मनुष्य का नहीं परमेश्वर का शब्द है।
23. उसी झण प्रभु के एक स्वर्गदूत ने तुरन्त उसे मारा, क्योंकि उसने परमेश्वर की महिमा नहीं की और वह कीड़े पड़ के मर गया।।
24. परन्तु परमेश्वर का वचन बढ़ता और फैलता गया।।
25. जब बरनबास और शाऊल अपनी सेवा पूरी कर चुके, तो यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है साथ ले कर यरूशलेम से लौटे।।

  Acts (12/28)