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1. | और दाऊद सोचने लगा, अब मैं किसी न किसी दिन शाऊल के हाथ से नाश हो जाऊंगा; अब मेरे लिये उत्तम यह है कि मैं पलिश्तियों के देश में भाग जाऊं; तब शाऊल मेरे विषय निराश होगा, और मुझे इस्राएल के देश के किसी भाग में फिर न ढूढ़ेगा, यों मैं उसके हाथ से बच निकलूंगा। |
2. | तब दाऊद अपने छ: सौ संगी पुरूषों को ले कर चला गया, और गत के राजा माओक के पुत्र आकीश के पास गया। |
3. | और दाऊद और उसके जन अपने अपने परिवार समेत गत में आकीश के पास रहने लगे। दाऊद तो अपनी दो स्त्रियों के साथ, अर्थात यिज्रेली अहीनोअम, और नाबाल की स्त्री कर्मेली अबीगैल के साथ रहा। |
4. | जब शाऊल को यह समाचार मिला कि दाऊद गत को भाग गया है, तब उसने उसे फिर कभी न ढूंढ़ा |
5. | दाऊद ने आकीश से कहा, यदि मुझ पर तेरे अनुग्रह की दृष्टि हो, तो देश की किसी बस्ती में मुझे स्थान दिला दे जहां मैं रहूं; तेरा दास तेरे साथ राजधनी में क्योंरहे? |
6. | जब आकीश ने उसे उसी दिन सिकलग बस्ती दी; इस कारण से सिकलग आज के दिन तक यहूदा के राजाओं का बना है।। |
7. | पलिश्तियों के देश में रहते रहते दाऊद को एक वर्ष चार महीने बीत गए। |
8. | और दाऊद ने अपने जनों समेत जा कर गशूरियों, गिजिर्यों, और अमालेकियों पर चढ़ाई की; ये जातियां तो प्राचीन काल से उस देश में रहती थीं जो शूर के मार्ग में मिस्र देश तक है। |
9. | दाऊद ने उस देश को नाश किया, और स्त्री पुरूष किसी को जीवित न छोड़ा, और भेड़-बकरी, गाय-बैल, गदहे, ऊंट, और वस्त्र ले कर लौटा, और आकीश के पास गया। |
10. | आकीश ने पूछा, आज तुम ने चढ़ाई तो नहीं की? दाऊद ने कहा, हां, यहूदा यरहमेलियों और केनियों की दक्खिन दिशा में। |
11. | दाऊद ने स्त्री पुरूष किसी को जीवित न छोड़ा कि उन्हें गत में पहुंचाए; उसने सोचा था, कि ऐसा न हो कि वे हमारा काम बताकर यह कहें, कि दाऊद ने ऐसा ऐसा किया है। वरन जब से वह पलिश्तियों के देश में रहता है, तब से उसका काम ऐसा ही है। |
12. | तब आकीश ने दाऊद की बात सच मानकर कहा, यह अपने इस्राएली लागों की दृष्टि में अति घृणित हुआ है; इसलिये यह सदा के लिये मेरा दास बना रहेगा।। |
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