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1. | अब उस चन्दे के विषय में जो पवित्र लोगों के लिये किया जाता है, जैसी आज्ञा मैं ने गलतिया की कलीसियाओं को दी, वैसा ही तुम भी करो। |
2. | सप्ताह के पहिले दिन तुम में से हर एक अपनी आमदनी के अनुसार कुछ अपने पास रख छोड़ा करे, कि मेरे आने पर चन्दा न करना पड़े। |
3. | और जब मैं आऊंगा, तो जिन्हें तुम चाहोगे उन्हें मैं चिट्ठियां देकर भेज दूंगा, कि तुम्हारा दान यरूशलेम पहुंचा दें। |
4. | और यदि मेरा भी जाना उचित हुआ, तो वे मेरे साथ जाएंगे। |
5. | और मैं मकिदुनिया हो कर तुम्हारे पास आऊंगा क्योंकि मुझे मकिदूनिया हो कर तो जाना ही है। |
6. | परन्तु सम्भव है कि तुम्हारे यहां ही ठहर जाऊं और शरद ऋतु तुम्हारे यंहा काटूं, तब जिस ओर मेरा जाना हो, उस ओर तुम मुझे पहुंचा दो। |
7. | क्योंकि मैं अब मार्ग में तुम से भेंट करना नहीं चाहता; परन्तु मुझे आशा है, कि यदि प्रभु चाहे तो कुछ समय तक तुम्हारे साथ रहूंगा। |
8. | परन्तु मैं पेन्तिकुस्त तक इफिसुस में रहूंगा। |
9. | क्योंकि मेरे लिये एक बड़ा और उपयोगी द्वार खुला है, और विरोधी बहुत से हैं।। |
10. | यदि तीमुथियुस आ जाए, तो देखना, कि वह तुम्हारे यहां निडर रहे; क्योंकि वह मेरी नाईं प्रभु का काम करता है। |
11. | इसलिये कोई उसे तुच्छ न जाने, परन्तु उसे कुशल से इस ओर पहुंचा देना, कि मेरे पास आ जाए; क्योंकि मैं उस की बाट जोह रहा हूं, कि वह भाइयों के साथ आए। |
12. | और भाई अपुल्लोस से मैं ने बहुत बिनती की है कि तुम्हारे पास भाइयों के साथ जाए; परन्तु उसने इस समय जाने की कुछ भी इच्छा न की, परन्तु जब अवसर पाएगा, तब आ जाएगा। |
13. | जागते रहो, विश्वास में स्थिर रहो, पुरूषार्थ करो, बलवन्त होओ। |
14. | जो कुछ करते हो प्रेम से करो।। |
15. | हे भाइयो, तुम स्तिफनास के घराने को जानते हो, कि वे अखया के पहिले फल हैं, और पवित्र लोगों की सेवा के लिये तैयार रहते हैं। |
16. | सो मैं तुम से बिनती करता हूं कि ऐसों के आधीन रहो, वरन हर एक के जो इस काम में परिश्रमी और सहकर्मी हैं। |
17. | और मैं स्तिफनास और फूरतूनातुस और अखइकुस के आने से आनन्दित हूं, क्योंकि उन्होंने तुम्हारी घटी को पूरी की है। |
18. | और उन्होंने मेरी और तुम्हारी आत्मा को चैन दिया है इसलिये ऐसों को मानो।। |
19. | आसिया की कलीसियाओं की ओर से तुम को नमस्कार; अक्विला और प्रिसका का और उन के घर की कलीसिया को भी तुम को प्रभु में बहुत बहुत नमस्कार। |
20. | सब भाइयों का तुम को नमस्कार: पवित्र चुम्बन से आपस में नमस्कार करो।। |
21. | मुझ पौलुस का अपने हाथ का लिखा हुआ नमस्कार: यदि कोई प्रभु से प्रेम न रखे तो वह श्रापित हो। |
22. | हमारा प्रभु आनेवाला है। |
23. | प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम पर होता रहे। |
24. | मेरा प्रेम मसीह यीशु में तुम सब से रहे। आमीन।। |
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