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1. | यहोवा शासनकरता है, और धरती प्रसन्न हैं। और सभी दूर के देश प्रसन्न हैं |
2. | यहोवा को काले गहरे बादल घेरे हुए हैं। नेकी और न्याय उसके राज्य को दूढ़ किये हैं। |
3. | यहोवा के सामने आग चला करती है, और वह उसके बैरियों का नाश करती है। |
4. | उसकी बिजली गगन में काँधा करती है। लोग उसे देखते हैं और भयभीत रहते हैं। |
5. | यहोवा के सामने पहाड़ ऐसे पिघल जाते हैं, जैसे मोम पिघल जाती है। वे धरती के स्वामी के सामने पिघल जाते हैं। |
6. | अम्बर उसकी नेकी का बखान करते हैं। हर कोई परमेश्वर की महिमा देख ले। |
7. | लोग उनकी मूर्तियों की पूजा करते हैं। वे अपने “देवताओं” की डींग हाँकते हैं। लेकिन वे लोग लज्जित होंगे। उनके “देवता” यहोवा के सामने झुकेंगे और उपासना करेंगे। |
8. | हे सिय्योन, सुन और प्रसन्न हो! यहूदा के नगरों, प्रसन्न हो! क्यों? क्योंकि यहोवा विवेकपूर्ण न्याय करता है। |
9. | हे सर्वोच्च यहोवा, सचमुच तू ही धरती पर शासन करता हैं। तू दूसरे “देवताओं” से अधिक उत्तम है। |
10. | जो लोग यहोवा से प्रेम रखते हैं, वे पाप से घृणा करते हैं। इसलिए परमेश्वर अपने अनुयायियों की रक्षा करता है। परमेश्वर अपने अनुयायियों को दुष्ट लोगों से बचाता है। |
11. | ज्योति और आनन्द सज्जनों पर चमकते हैं। |
12. | हे सज्जनों परमेश्वर में प्रसन्न रहो! उसके पवित्र नाम का आदर करते रहो! |
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