← Psalms (86/150) → |
1. | मैं एक दीन, असहाय जन हूँ। हे यहोवा, तू कृपा करके मेरी सुन ले, और तू मेरी विनती का उत्तर दे। |
2. | हे यहोवा, मैं तेरा भक्त हूँ। कृपा करके मुझको बचा ले। मैं तेरा दास हूँ। तू मेरा परमेश्वर है। मुझको तेरा भरोसा है, सो मेरी रक्षा कर। |
3. | मेरे स्वामी, मुझ पर दया कर। मैं सारे दिन तेरी विनती करता रहा हूँ। |
4. | हे स्वामी, मैं अपना जीवन तेरे हाथ सौंपता हूँ। मुझको तू सुखी बना मैं तेरा दास हूँ। |
5. | हे स्वामी, तू दयालु और खरा है। तू सचमुच अपने उन भक्तों को प्रेम करता है, जो सहारा पाने को तुझको पुकारते हैं। |
6. | हे यहोवा, मेरी विनती सुन। मैं दया के लिये जो प्रार्थना करता हूँ, उस पर तू कान दे। |
7. | हे यहोवा, अपने संकट की घड़ी में मैं तेरी विनती कर रहा हूँ। मैं जानता हूँ तू मुझको उत्तर देगा। |
8. | हे परमेश्वर, तेरे समान कोई नहीं। जैसे काम तूने किये हैं वैसा काम कोई भी नहीं कर सकता। |
9. | हे स्वामी, तूने ही सब लोगों को रचा है। मेरी कामना यह है कि वे सभी लोग आयें और तेरी आराधना करें! वे सभी तेरे नाम का आदर करें! |
10. | हे परमेश्वर, तू महान है! तु अद्भुत कर्म करता है! बस तू ही परमेश्वर है! |
11. | हे यहोवा, अपनी राहों की शिक्षा मुझको दे,। मैं जीऊँगा और तेरे सत्य पर चलूँगा। मेरी सहायता कर। मेरे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण यही है, कि मैं तेरे नाम की उपासना करूँ। |
12. | हे परमेश्वर, मेरे स्वमी, मैं सम्पूर्ण मन से तेरे गुण गाता हूँ। मैं तेरे नाम का आदर सदा सर्वदा करूँगा। |
13. | हे परमेश्वर, तू मुझसे कितना अधिक प्रेम करता है। तूने मुझे मृत्यु के गर्त से बचाया। |
14. | हे परमेश्वर, मुझ पर अभिमानी वार कर रहे हैं। क्रूर जनों का दल मुझे मार डालने का यत्न कर रहे हैं, और वे मनुष्य तेरा आदर नहीं करते हैं। |
15. | हे स्वामी, तू दयालु और कृपापूर्ण परमेश्वर है। तू धैर्यपूर्ण, विश्वासी और प्रेम से भरा हुआ हैं। |
16. | हे परमेश्वर, दिखा दे कि तू मेरी सुनता है, और मुझ पर कृपालु बन। मैं तेरा दास हूँ। तू मुझको शक्ति दे। मैं तेरा सेवक हूँ, मेरी रक्षा कर। |
17. | हे परमेश्वर, कुछ ऐसा कर जिससे यह प्रमाणित हो कि तू मेरी सहायता करेगा। फिर इससे मेरे शत्रु निराश हो जायेंगे। क्योंकि यहोवा इससे यह प्रकट होगा तेरी दया मुझ पर है और तूने मुझे सहारा दिया। |
← Psalms (86/150) → |