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1. | परमेश्वर देवों की सभा के बीच विराजता है। उन देवों की सभा का परमेश्वर न्यायाधीश है। |
2. | परमेश्वर कहता है, “कब तक तुम लोग अन्यायपूर्ण न्याय करोगे? कब तक तुम लोग दुराचारी लोगों को यूँ ही बिना दण्ड दिए छोड़ते रहोगे?” |
3. | अनाथों और दीन लोगों की रक्षा कर, जिन्हें उचित व्यवहार नहीं मिलता तू उनके अधिकारों कि रक्षा कर। |
4. | दीन और असहाय जन की रक्षा कर। दुष्टों के चंगुल से उनको बचा ले। |
5. | “इस्राएल के लोग नहीं जानते क्या कुछ घट रहा है। वे समझते नहीं! वे जानते नहीं वे क्या कर रहे हैं। उनका जगत उनके चारों ओर गिर रहा है।” |
6. | मैंने (परमेश्वर) कहा, “तुम लोग ईश्वर हो, तुम परम परमेश्वर के पुत्र हो। |
7. | किन्तु तुम भी वैसे ही मर जाओगे जैसे निश्चय ही सब लोग मर जाते हैं। तुम वैसे मरोगे जैसे अन्य नेता मर जाते हैं।” |
8. | हे परमेश्वर, खड़ा हो! तू न्यायाधीश बन जा! हे परमेश्वर, तू सारे ही राष्ट्रों का नेता बन जा! |
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