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1. | हे परमेश्वर, मुझ पर करूणा कर क्योंकि लोगों ने मुझ पर वार किया है। वे रात दिन मेरा पीछा कर रहे हैं, और मेरे साथ इगड़ा कर रहे हैं। |
2. | मेरे शत्रु सारे दिन मुझ पर वार करते रहे। वहाँ पर डटे हुए अनगिनत योद्धा हैं। |
3. | जब भी डरता हूँ, तो मैं तेरा ही भरोसा करता हूँ। |
4. | मैं परमेश्वर के भरोसे हूँ, सो मैं भयभीत नहीं हूँ। लोग मुझको हानि नहीं पहुँचा सकते! मैं परमेश्वर के वचनों के लिए उसकी प्रशंसा करता हूँ जो उसने मुझे दिये। |
5. | मेरे शत्रु सदा मेरे शब्दों को तोड़ते मरोड़ते रहते हैं। मेरे विरूद्ध वे सदा कुचक्र रचते रहते हैं। |
6. | वे आपस में मिलकर और लुक छिपकर मेरी हर बात की टोह लेते हैं। मेरे प्राण हरने की कोई राह सोचते हैं। |
7. | हे परमेश्वर, उन्हें बचकर निकलने मत दे। उनके बुरे कामों का दण्ड उन्हें दे। |
8. | तू यह जानता है कि मैं बहुत व्याकुल हूँ। तू यह जानता है कि मैंने तुझे कितना पुकारा है तूने निश्चय ही मेरे सब आँसुओं का लेखा जोखा रखा हुआ है। |
9. | सो अब मैं तुझे सहायता पाने को पुकारुँगा। मेरे शत्रुओं को तू पराजित कर दे। मैं यह जानता हूँ कि तू यह कर सकता है। क्योंकि तू परमेश्वर है! |
10. | मैं परमेश्वर का गुण उसके वचनों के लिए गाता हूँ। मैं परमेश्वर के गुणों को उसके उस वचन के लिये गाता हूँ जो उसने मुझे दिया है। |
11. | मुझको परमेश्वर पर भरोसा है, इसलिए मैं नहीं डरता हूँ। लोग मेरा बुरा नहीं कर सकते! |
12. | हे परमेश्वर, मैंने जो तेरी मन्नतें मानी है, मैं उनको पूरा करुँगा। मैं तुझको धन्यवाद की भेंट चढ़ाऊँगा। |
13. | क्योंकि तूने मुझको मृत्यु से बचाया है। तूने मुझको हार से बचाया है। सो मैं परमेश्वर की आराधना करूँगा, जिसे केवल जीवित व्यक्ति देख सकते हैं। |
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