Psalms (45/150)  

1. सुन्दर शब्द मेरे मन में भर जाते हैं, जब मैं राजा के लिये बातें लिखता हूँ। मेरे जीभ पर शष्द ऐसे आने लगते हैं जैसे वे किसी कुशल लेखक की लेखनी से निकल रहे हैं।
2. तू किसी भी और से सुन्दर है! तू अति उत्तम वक्ता है। सो तुझे परमेश्वर आशीष देगा!
3. तू तलवा धारण कर। तू महिमित वस्त्र धारण कर।
4. तू अद्भुत दिखता है! जा, धर्म ओर न्याय का युद्ध जीत। अद्भुत कर्म करने के लिये शक्तिपूर्ण दाहिनी भुजा का प्रयोग कर।
5. तेरे तीर तत्पर हैं। तू बहुतेरों को पराजित करेगा। तू अपने शत्रुओं पर शासन करेगा।
6. हे परमेश्वर, तेरा सिंहासन अमर है! तेरा धर्म राजदण्ड है।
7. तू नेकी से प्यार और बैर से द्वेष करता है। सो परमेश्वर तेरे परमेश्वर ने तेरे साथियों के ऊपर तुझे राजा चुना है।
8. तेरे वस्त्र महक रहे है जैसे गंध रास, अगर और तेज पात से मधुर गंध आ रही। हाथी दाँत जड़ित राज महलों से तुझे आनन्दित करने को मधुर संगीत की झँकारे बिखरती हैं।
9. तेरी माहिलायें राजाओं की कन्याएँ है। तेरी महारानी ओपीर के सोने से बने मुकुट पहने तेरे दाहिनी ओर विराजती हैं।
10. हे राजपुत्री, मेरी बात को सुन। ध्यानपूर्वक सुन, तब तू मेरी बात को समझेगी। तू अपने निज लोगों और अपने पिता के घराने को भूल जा।
11. राजा तेरे सौन्दर्य पर मोहित है। यह तेरा नया स्वामी होगा। तुझको इसका सम्मान करना है।
12. सूर नगर के लोग तेरे लिये उपहार लायेंगे। और धनी मानी तुझसे मिलना चाहेंगे।
13. वह राजकन्या उस मूल्यवान रत्न सी है जिसे सुन्दर मूल्यवान सुवर्ण में जड़ा गया हो।
14. उसे रमणीय वस्त्र धारण किये लाया गया है। उसकी सखियों को भी जो उसके पिछे हैं राजा के सामने लाया गया।
15. वे यहाँ उल्लास में आयी हैं। वे आनन्द में मगन होकर राजमहल में प्रवेश करेंगी।
16. राजा, तेरे बाद तेरे पुत्र शासक होंगे। तू उन्हें समूचे धरती का राजा बनाएगा।
17. तेरे नाम का प्रचार युग युग तक करुँगा। तू प्रसिद्ध होगा, तेरे यश गीतों को लोग सदा सर्वदा गाते रहेंगे।

  Psalms (45/150)