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1. | मेरे उत्तम परमेश्वर, जब मैं तुझे पुकारुँ, मुझे उत्तर दे। मेरी विनती को सुन और मुझ पर कृपा कर। जब कभी विपत्तियाँ मुझको घेरें तू मुझ को छुड़ा ले। |
2. | अरे लोगों, कब तक तुम मेरे बारे में अपशब्द कहोगे? तुम लोग मेरे बारे में कहने के लिये नये झूठ ढूँढते रहते हो। उन झूठों को कहने से तुम लोग प्रीति रखते हो। |
3. | तुम जानते हो कि अपने नेक जनों की यहोवा सुनता है! जब भी मैं यहोवा को पुकारता हूँ, वह मेरी पुकार को सुनता है। |
4. | यदि कोई वस्तु तुझे झमेले में डाले, तू क्रोध कर सकता है, किन्तु पाप कभी मत करना। जब तू अपने बिस्तर में जाये तो सोने से पहले उन बातों पर विचार कर और चुप रह। |
5. | समुचित बलियाँ परमेश्वर को अर्पित कर और तू यहोवा पर भरोसा बनाये रख। |
6. | बहुत से लोग कहते हैं, “परमेश्वर की नेकी हमें कौन दिखायेगा? हे यहोवा, अपने प्रकाशमान मुख का प्रकाश मुझ पर चमका।” |
7. | हे यहोवा, तुने मुझे बहुत प्रसन्न बना दिया। कटनी के समय भरपूर फसल और दाखमधु पाकर जब हम आन्नद और उल्लास मनाते हैं उससे भी कहीं अधिक प्रसन्न मैं अब हूँ। |
8. | मैं बिस्तर में जाता हूँ और शांति से सोता हूँ। क्योंकि यहोवा, तू ही मुझको सुरक्षित सोने को लिटाता है। |
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