Psalms (24/150)  

1. यह धरती और उस पर की सब वस्तुएँ यहोवा की है। यह जगत और इसके सब व्यक्ति उसी के हैं।
2. यहोवा ने इस धरती को जल पर रचा है। उसने इसको जल—धारों पर बनाया।
3. यहोवा के पर्वत पर कौन जा सकता है? कौन यहोवा के पवित्र मन्दिर में खड़ा हो सकता है और आराधना कर सकता है?
4. ऐसा जन जिसने पाप नहीं किया है, ऐसा जन जिसका मन पवित्र है, ऐसा जन जिसने मेरे नाम का प्रयोग झूठ को सत्य प्रतीत करने में न किया हो, और ऐसा जन जिसने न झूठ बोला और न ही झूठे वचन दिए हैं। बस ऐसे व्यक्ति ही वहाँ आराधना कर सकते हैं।
5. सज्जन तो चाहते हैं यहोवा सब का भला करे। वे सज्जन परमेश्वर से जो उनका उद्धारक है, नेक चाहते हैं।
6. वे सज्जन परमेश्वर के अनुसरण का जतन करते हैं। वे याकूब के परमेश्वर के पास सहायता पाने जाते हैं।
7. फाटकों, अपने सिर ऊँचे करो! सनातन द्वारों, खुल जाओ! प्रतापी राजा भीतर आएगा।
8. यह प्रतापी राजा कौन है? यहोवा ही वह राजा है, वही सबल सैनिक है, यहोवा ही वह राजा है, वही युद्धनायक है।
9. फाटकों, अपने सिर ऊँचे करो! सनातन द्वारों, खुल जाओ! प्रतापी राजा भीतर आएगा।
10. वह प्रतापी राजा कौन है? यहोवा सर्वशक्तिमान ही वह राजा है। वह प्रतापी राजा वही है।

  Psalms (24/150)