Psalms (143/150)  

1. हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन। मेरी विनती को सुन और फिर तू मेरी प्रार्थना का उत्तर दे। मुझको दिखा दे कि तू सचमुच भला और खरा है।
2. तू मुझ पर अपने दास पर मुकदमा मत चला। क्योंकि कोई भी जीवित व्यक्ति तेरे सामने नेक नहीं ठहर सकता।
3. किन्तु मेरे शत्रु मेरे पीछे पड़े हैं। उन्होंने मेरा जीवन चकनाचूर कर धूल में मिलाया। वे मुझे अंधेरी कब्र में ढकेल रहे हैं। उन व्यक्तियों की तरह जो बहुत पहले मर चुके हैं।
4. मैं निराश हो रहा हूँ। मेरा साहस छूट रहा है।
5. किन्तु मुझे वे बातें याद हैं, जो बहुत पहले घटी थी। हे यहोवा, मैं उन अनेक अद्भुत कामों का बखान कर रहा हूँ। जिनको तूने किया था।
6. हे यहोवा, मैं अपना हाथ उठाकर के तेरी विनती करता हूँ। मैं तेरी सहायता कि बाट जोह रहा हूँ जैसे सूखी वर्षा कि बाट जोहती है।
7. हे यहोवा, मुझे शीघ्र उत्तर दे। मेरा साहस छूट गया: मुझसे मुख मत मोड़। मुझको मरने मत दे और वैसा मत होने दे, जैसा कोई मरा व्यक्ति कब्र में लेटा हो।
8. हे यहोवा, इस भोर के फूटते ही मुझे अपना सच्चा प्रेम दिखा। मैं तेरे भरोसे हूँ। मुझको वे बाते दिखा जिनको मुझे करना चाहिये।
9. हे यहोवा, मेरे शत्रुओं से रक्षा पाने को मैं तेरे शरण में आता हूँ। तू मुझको बचा ले।
10. दिखा मुझे जो तू मुझसे करवाना चाहता है। तू मेरा परमेश्वर है।
11. हे यहोवा, मुझे जीवित रहने दे, ताकि लोग तेरे नाम का गुण गायें। मुझे दिखा कि सचमुच तू भला है, और मुझे मेरे शत्रुओं से बचा ले।
12. हे यहोवा, मुझ पर अपना प्रेम प्रकट कर। और उन शत्रुओं को हरा दे, जो मेरी हत्या का यत्न कर रहे हैं। क्योंकि मैं तेरा सेवक हूँ।

  Psalms (143/150)