Psalms (137/150)  

1. बाबुल की नदियों के किनारे बैठकर हम सिय्योन को याद करके रो पड़े।
2. हमने पास खड़े बेंत के पेड़ों पर निज वीणाएँ टाँगी।
3. बाबुल में जिन लोगों ने हमें बन्दी बनाया था, उन्होंने हमसे गाने को कहा। उन्होंने हमसे प्रसन्नता के गीत गाने को कहा। उन्होंने हमसे सिय्योन के गीत गाने को कहा।
4. किन्तु हम यहोवा के गीतों को किसी दूसरे देश में कैसे गा सकते हैं!
5. हे यरूशलेम, यदि मैं तुझे कभी भूलूँ। तो मेरी कामना है कि मैं फिर कभी कोई गीत न बजा पाऊँ।
6. हे यरूशलेम, यदि मैं तुझे कभी भूलूँ। तो मेरी कामना है कि मैं फिर कभी कोई गीत न गा पाऊँ। मैं तुझको कभी नहीं भूलूँगा।
7. हे यहोवा, याद कर एदोमियों ने उस दिन जो किया था। जब यरूशलेम पराजित हुआ था, वे चीख कर बोले थे, इसे चीर डालो और नींव तक इसे विध्वस्त करो।
8. अरी ओ बाबुल, तुझे उजाड़ दिया जायेगा। उस व्यक्ति को धन्य कहो, जो तुझे वह दण्ड देगा, जो तुझे मिलना चाहिए।
9. उस व्यक्ति को धन्य कहो जो तुझे वह क्लेश देगा जो तूने हमको दिये। उस व्यक्ति को धन्य कहो जो तेरे बच्चों को चट्टान पर झपट कर पछाड़ेगा।

  Psalms (137/150)