← Psalms (135/150) → |
1. | यहोवा की प्रशंसा करो। यहोवा के सेवकों यहोवा के नाम का गुणगान करो। |
2. | तुम लोग यहोवा के मन्दिर में खड़े हो। उसके नाम की प्रशंसा करो। तुम लोग मन्दिर के आँगन में खडे हो। उसके नाम के गुण गाओ। |
3. | यहोवा की प्रशंसा करो क्योंकि वह खरा है। उसके नाम के गुण गाओ क्योंकि वह मधुर है। |
4. | यहोवा ने याकूब को चुना था। इस्राएल परमेश्वर का है। |
5. | मैं जानता हूँ, यहोवा महान है। अन्य भी देवों से हमारा स्वामी महान है। |
6. | यहोवा जो कुछ वह चाहता है स्वर्ग में, और धरती पर, समुद में अथवा गहरे महासागरों में, करता है। |
7. | परमेश्वर धरती पर सब कहीं मेघों को रचता है। परमेश्वर बिजली और वर्षा को रचता है। परमेश्वर हवा को रचता है। |
8. | परमेश्वर मिस्र में मनुष्यों और पशुओं के सभी पहलौठों को नष्ट किया था। |
9. | परमेश्वर ने मिस्र में बहुत से अद्भुत और अचरज भरे काम किये थे। उसने फिरौन और उसके सब कर्मचारियों के बीच चिन्ह और अद्भुत कार्य दिखाये। |
10. | परमेश्वर ने बहुत से देशों को हराया। परमेश्वर ने बलशाली राजा मारे। |
11. | उसने एमोरियों के राजा सीहोन को पराजित किया। परमेश्वर ने बाशान के राजा ओग को हराया। परमेश्वर ने कनान की सारी प्रजा को हराया। |
12. | परमेश्वर ने उनकी धरती इस्राएल को दे दी। परमेश्वर ने अपने भक्तों को धरती दी। |
13. | हे यहोवा, तू सदा के लिये प्रसिद्ध होगा। हे यहोवा, लोग तुझे सदा सर्वदा याद करते रहेंगे। |
14. | यहोवा ने राष्ट्रों को दण्ड दिया किन्तु यहोवा अपने निज सेवकों पर दयालु रहा। |
15. | दूसरे लोगों के देवता बस सोना और चाँदी के देवता थे। उनके देवता मात्र लोगों द्वारा बनाये पुतले थे। |
16. | पुतलों के मुँह है, पर बोल नहीं सकते। पुतलों की आँख है, पर देख नहीं सकते। |
17. | पुतलों के कान हैं, पर उन्हें सुनाई नहीं देता। पुतलों की नाक है, पर वे सूँघ नहीं सकते। |
18. | वे लोग जिन्होंने इन पुतलों को बनाया, उन पुतलों के समान हो जायेंगे। क्यों? क्योंकि वे लोग मानते हैं कि वे पुतले उनकी रक्षा करेंगे। |
19. | इस्राएल की संतानों, यहोवा को धन्य कहो! हारून की संतानों, यहोवा को धन्य कहो! |
20. | लेवी की संतानों, यहोवा को धन्य कहो! यहोवा के अनुयायियों, यहोवा को धन्य कहो! |
21. | सिय्योन का यहोवा धन्य है। यरूशलेम में जिसका घर है। यहोवा का गुणगान करो। |
← Psalms (135/150) → |