Nehemiah (12/13)  

1. जो याजक और लेवीवंशी यहूदा की धरती पर लौट कर वापस आये थे, वे ये थे। वे शालतीएल के पुत्र जरुब्बाबेल तथा येशू के साथ लौटे थे, उनके नामों की सूची यह है: सरायाह, यिर्मयाह, एज्रा,
2. अमर्याह, मल्लूक, हत्तूश,
3. शकन्याह, रहूम, मरेमोत,
4. इद्दो, गिन्तोई, अबियाह,
5. मिय्यामीन, माद्याह, बिल्गा,
6. शमायाह, योआरीब, यदायाह,
7. सल्लू, आमोक, हिल्किय्याह और यदायाह। ये लोग याजकों और उनके सम्बन्धियों के मुखिया थे। येशू के दिनों में ये ही उनके मुखिया हुआ करते थे।
8. लेवीवंशी लोग ये थे: येशू बिन्नुई, कदमिएल, शेरेब्याह, यहूदा और मत्तन्याह भी। मत्तन्याह के सम्बन्धियों समेत ये लोग परमेश्वर के स्तुति गीतों के अधिकारी थे।
9. बकबुकियाह और उन्नो, इन लेवीवंशियों के सम्बन्धी थे। ये दोनों सेवा आराधना के अवसरों पर उनके सामने खड़े रहा करते थे।
10. येशू योयाकीम का पिता था और योयाकीम एल्याशीब का पिता था और एल्याशीब के योयादा नाम का पुत्र पैदा हुआ।
11. फिर योयादा से योनातान औऱ योनातान से यहूदा पैदा हुआ।
12. योयाकीम के दिनों में ये पुरुष याजकों के परिवारों के मुखिया हुआ करते थे: शरायाह के घराने का मुखिया मरायाह था। यिर्मयाह के घराने का मुखिया हनन्याह था।
13. मश्शूलाम एज्रा के घराने का मुखिया था। अर्मयाह के घराने का मुखिया था यहोहानान।
14. योनातान मल्लूक के घराने का मुखिया था। योसेप शबन्याह के घराने का मुखिया था।
15. अदना हारीम के घराने का मुखिया था। हेलैक मेरेमोत के घराने का मुखिया था।
16. जकर्याह इद्दो के घराने का मुखिया था। मशुल्लाम गिन्नतोन के घराने का मुखिया था।
17. जिक्री अबियाह के घराने का मुखिया था। पिलतै मिन्यामीन और मोअद्याह के घराने का मुखिया था।
18. शम्मू बिल्गा के घराने का मुखिया था। यहोनातान शामायह के घराने का मुखिया था।
19. मतैन योयारीब के घराने का मुखिया था। उजी, यदायाह के घराने का मुखिया था।
20. कल्लै सल्लै के घराने का मुखिया था। एबेर आमोक के घराने का मुखिया था।
21. हशब्याह हिल्किय्याह के घराने का मुखिया था। और नतनेल यदायाह के घराने का मुखिया था।
22. फारस के राजा दारा के शासन काम में लेवी परिवारों के मुखियाओं और याजक घरानों के मुखियाओं के नाम एल्याशीब, योयादा, योहानान तथा यहूदा के दिनों में लिखे गये।
23. लेवी परिवार के वंशजों के बीच जो परिवार के मुखिया थे, उनके नाम एल्याशीब के पुत्र योहानाम तक इतिहास की पुस्तक में लिखे गये।
24. लेवियों के मुखियाओं के नाम ये थे: हशब्याह, शेरेब्याह, कदमिएल का पुत्र येशू उसके साथी। उनके भाई परमेश्वर को आदर देने के लिए स्तुतिगान के वास्ते उनके सामने खड़ा रहा करते थे। वे आमने—सामने इस तरह खड़े होते थे कि एक गायक समूह दूसरे गायक समूह के उत्तर में गीत गाता था। परमेश्वर के भक्त दाऊद की ऐसी ही आज्ञा थी।
25. जो द्वारपाल द्वारों के पास के कोठियारों पर पहरा देते थे, वे ये थे: मत्तन्याह. बकबुकियाह, ओबाद्याह, मशुल्लाम, तलमोन और अक्कूब।
26. ये द्वारपाल योयाकीम के दिनों में सेवा कार्य किया करते थे। योयाकीम योसादाक के पुत्र येशू का पुत्र था। इन द्वारपालों ने ही राज्यपाल नहेमायाह और याजक और विद्वान एज्रा के दिनों में सेवा कार्य किया था।
27. लोगों ने यरूशलेम की दीवार का समर्पण किया। उन्होंने सभी लेवियों को यरूशलेम में बुलाया। सो लेवी जिस किसी नगर में भी रह रहे थे, वहाँ से वे आये। यरूशलेम की दीवार के समर्पण को मनाने के लिए वे यरूशलेम आये। परमेश्वर को धन्यवाद देने और स्तुतिगीत गाने के लिए लेवीवंशी वहाँ आये। उन्होंने अपनी झाँझ, सारंगी और वीणाएँ बजाईं।
28. इसके अतिरिक्त जितने भी और गायक थे, वे भी यरूशलेम आये। वे गायक यरूशलेम के आसपास के नगरों से आये थे। वे नतोपातियों के गावों से, बेत—गिलगाल से, गेबा से और अजमाबेत के नगरों से आये थे। गायकों ने यरूशलेम के इर्द—गिर्द अपने लिए छोटी—छोटी बस्तियाँ बना रखी थीं।
29. इसके अतिरिक्त जितने भी और गायक थे, वे भी यरूशलेम आये। वे गायक यरूशलेम के आसपास के नगरों से आये थे। वे नतोपातियों के गावों से, बेत—गिलगाल से, गेबा से और अजमाबेत के नगरों से आये थे। गायकों ने यरूशलेम के इर्द—गिर्द अपने लिए छोटी—छोटी बस्तियाँ बना रखी थीं।
30. इस प्रकार याजकों और लेवियों ने एक समारोह के द्वारा अपने अपने को शुद्ध किया। फिर एक समारोह के द्वारा उन्होंने लोगों, द्वारों और यरूशलेम के परकोटे को भी शुद्ध किया।
31. फिर मैंने यहूदा के मुखियाओं से कहा कि वे ऊपर जा कर परकोटे के शिखर पर खड़े हो जायें। मैंने परमेश्वर को धन्यवाद देने के लिये दो बड़ी गायक—मण्डलियों का चुनाव भी किया। इनमें से एक गायक मण्डली को कुरडी—द्वार की ओर दाहिनी तरफ परकोटे के शिखर पर जाना आरम्भ था।
32. होशायाह, औऱ यहूदा के आधे मुखिया उन गायकों के पीछे हो लिये।
33. अजर्याह, एज्रा, मशुल्लाम,
34. यहूदा, बिन्यामीन, शमायाह, और यिर्मयाह भी उनके पीछे हो लिय़े थे।
35. तुरही लिये कुछ याजक भी दीवार पर उनका अनुसरण करते हुए गये। जकर्याह भी उनके पीछे—पीछे था। (जकर्याह योहानान का पुत्र था। योहानान शमायाह का पुत्र था। शमायाह मत्तन्याह का पुत्र था। मत्तन्याह मीकायाह का पुत्र था। मीकायाह जक्कूर का पुत्र था और जक्कूर आसाप का पुत्र था।)
36. वहाँ जकर्याह के भाई शमायाह, अज़रेल, मिल्लै, गिल्लै, माऐ, नतनेल, यहूदा, और हनानी भी मौजूद थे। उनके पास परमेश्वर के पुरुष, दाऊद के बनाये हुए बाजे थे। परकोटे की दीवार को समर्पित करने के लिए जो लोग वहाँ थे, उनके समूह की अगुवाई, विद्वान एज्रा ने की।
37. और वे स्रोत—द्वार पर चले गये। फिर वे सामने की सीढ़ियों से होते हुए दाऊद के नगर पैदल ही गये। फिर वे नगर परकोटे के शिखर पर जा पहुँचे और इस तरह दाऊद के घर पर से होते हुए वे पूर्वी जल द्वार पर पहुँच गए।
38. गायकों की दूसरी मण्डली बांई ओर दूसरी दिशा में चल पड़ी। वे जब परकोटे के शिखर की ओर जा रहे थे, मैं उनके पीछे हो लिया। आधे लोग भी उनके पीछे हो लिये। भट्ठों के मीनारों को पीछे छोड़ते हुए वे चौड़े परकोटे पर चले गये।
39. इसके बाद वे इन द्वारों पर गये—एप्रैम द्वार, पुराना दरवाजा और मछली फाटक और फिर वे हननेल और हम्मेआ के बुर्जों पर गये। वे भेड़ द्वार तक जा पहुँचे और पहरेदारों के द्वार पर जा कर रुक गये।
40. फिर गायकों की वे दोनों मण्डलियाँ परमेश्वर के मन्दिर में अपने—अपने स्थानों को चली गयीं और मैं अपने सथान पर खड़ा हो गया तथा आधे हाकिम मन्दिर में अपने—अपने स्थानों पर जा खड़े हुए।
41. फिर इसके बाद अपने—अपने स्थानों पर जो याजक जा खड़े हुए थे, उनके नाम हैं—एल्याकिम, मासेमाह, मिन्यामीन, मीकायाह, एल्योएनै, जकर्याह और हनन्याह। उन याजकों ने अपनी—अपनी तुरहियाँ भी ले रखी थीं।
42. इसके बाद ये याजक भी मन्दिर में अपने—अपने स्थानों पर आ खड़े हुए: मासेयाह, शमायाह, एलियाजर, उज्जी, यहोहानाम, मल्कियाह, एलाम और एजेर। फिर दोनों, गायक मण्डलियों ने यिज्रहियाह की अगुवाई में गाना आरम्भ किया।
43. सो उस विशेष दिन, याजकों ने बहुत सी बलियाँ चढ़ाईं। हर कोई बहुत प्रसन्न था। परमेश्वर ने हर किसी को आनन्दित किया था। यहाँ तक कि स्त्रियाँ और बच्चे तक बहुत उल्लसित और प्रसन्न थे। दूर दराज के लोग भी यरूशलेम से आते हुए आनन्दपूर्ण शोर को सुन सकते थे।
44. उस दिन मुखियाओं ने कोठियारों के अधिकारियों की नियुक्ति की। ये कोठियार उन उपहार को रखने के लिए थे जिन्हें लोग अपने पहले फलों और अपनी फसल और आय के दसवें हिस्से के रुप में लाया करते थे। व्यवस्था के विधान के अनुसार लोगों को नगर के चारों ओर के खेतों और बगीचों से उपज का एक हिस्सा, याजकों और लेवियों के लिये लाना चाहिये। यहूदा के लोग जो याजक और लेवी सेवा कार्य करते थे उनके लिए ऐसा करने में प्रसन्नता का अनुभव करते थे।
45. याजकों और लेवियों ने अपने परमेश्वर के लिये अपना कर्तव्य पालन किया था। उन्होंने वे समारोह किये थे जिनसे लोग पवित्र हुए। गायकों और द्वारपालों ने भी अपने हिस्से का काम किया। दाऊद और उस के पुत्र सुलैमान ने जो भी आज्ञाएँ दी थीं, उन्होंने सब कुछ वैसा ही किया था।
46. (बहुत दिनों पहलें दाऊद और आसाप के दिनों में वह धन्यवाद के गीतों और परमेश्वर की स्तुतियों तथा गायकों के मुखिया हुआ करते थे।)
47. सो जरुब्बबेल और नहेमायाह के दिनों में गायकों और द्वारपालों के रखरखाव के लिये इस्राएल के सभी लोग प्रतिदिन दान दिया करते थे। दूसरे लेवियों के लिए भी वे विशेष दान दिया करते थे और फिर लेवी उस में से हारुन के वंशजों याजकों के लिये विशेष योगदान दिया करते थे।

  Nehemiah (12/13)