Leviticus (19/27)  

1. यहोवा ने मूसा से कहा,
2. “इस्राएल के सभी लोगों से कहोः कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ मैं पवित्र हूँ! इसलिए तुम्हें पवित्र होना चाहिए!
3. “तुम में से हर एक व्यक्ति को अपने माता पिता का सम्मान करना चाहिए और मेरे विश्राम के विशेष दिनों को मानना चाहिए। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
4. “मूर्तियों की उपासना मत करो। अपने लिए देवताओं की मूर्तियाँ धातु गला कर मत बाओ। मैं तुम लोगों का परमेश्वर यहोवा हूँ!
5. “जब तुम यहोवा को मेलबलि चढ़ाओ तो तुम उसे ऐसे चढ़ाओ कि तुम यहोवा द्वारा स्वीकार किए जा सको।
6. तुम इसे चढ़ाने के दिन खा सकोगे और अगले दिन भी । किन्तु यदि बलि का कुछ भाग तीसरे दिन भी बच जाए तो उसे तुम्हें आग में जला देना चाहिए।
7. किसी भी बलि को तीसरे दिन नहीं खाना चाहिए। यह अशुद्ध है । यह स्वीकार नहीं होगी।
8. यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो वह अपारधी होगा। क्यों? क्योंकि उसने यहोवा की पवित्र चीजों का सम्मान नहीं किया। उस व्यक्ति को अपने लोगों से अलग कर दिया जाना चाहिए।
9. “जब तुम कटनी के समय अपनी फ़सल काटो तो तुम सब ओर से खेत के कोनों तक मत काटो और यदि अन्न जमीन पर गिर जाता है तो तुम्हें उसे इकट्ठा नहीं करना चाहिए।
10. अपने अँगूर के बाग के सारे अंगूर न तोड़ो और जो जमीन पर गिर जाएँ उन्हें न उठाओ। क्यों? क्योंकि तुम्हें वे चीज़ें गरीब लोगों और जो तुम्हारे देश से यात्रा करेंगे, उनके लिए छोड़नी चाहिए। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!
11. “तुम्हें चोरी नहीं करनी चाहिए। तुम्हें लोगों को ठगना नहीं चाहिए। तुम्हें आपस में झूठ नहीं बोलना चाहिए।
12. तुम्हें मेरे नाम पर झूठा वचन नहीं देना चाहिए। यदि तुन ऐसा करते हो तो तुम यह दिखाते हो कि तुम अपने परमेश्वर के नाम का सम्मान नहीं करते हो। मैं यहोवा हूँ!
13. “तुम्हें अपने पड़ोसी को धोखा नहीं देना चाहिए। तुम्हें उसकी चोरी नहीं करनी चाहिए। तुम्हें मजदूर की मजदूरी पूरी रात, सवेरे तक नही रोकनी चाहिए।
14. “तुम्हें किसी बहरे आदमी को अपशब्द नहीं कहना चाहिए। तुम्हें किसी अन्धे को गिराने के लिए उसके सामने कोई चीज नहीं रखनी चाहिए। किन्तु तुम्हें अपने परमेश्वर यहोवा का सम्मान करना चाहिए। मैं यहोवा हूँ!
15. “तुम्हें न्याय करने मै ईमानदार होना चाहिए। न तो तुम्हें ग़रीब के साथ विशेष पक्षपात करना चाहिए और न ही बड़े एवं धनी लोगों के प्रति कोई आदर दिखाना चाहिए। तुम्हें अपने पड़ोसी के साथ न्याय करते समय ईमानदार होना चाहिए।
16. तुम्हें अन्य लोगों के विरुद्ध चारों ओर अफवाहें फैलाते हुए नहीं चलना चाहिए। ऐसा कुछ न करो जो तुम्हारे पड़ोसी के जीवन को खतरे में डाले। मैं यहोव हूँ!
17. “तुम्हें अपने हृदय में अपने भाईयों से घृणा नहीं करनी चाहिए। यदि तुम्हारा पड़ोसी कुछ बुरा करता है तो इसके बारे में उसे समझाओ। किन्तु उसे क्षमा करो!
18. लोग, जो तुम्हारा बुरा करें, उसे भूल जाओ। उससे बदला लेने का प्रयत्न न करो। अपने पड़ोसी से वैसे ही प्रेम करो जैसे अपने आप से करते हो। मैं यहोव हूँ!
19. “तुम्हें मेरे नियमों का पालन करना चाहिए। दो जातियों के पशुओं को प्रजनन के लिए आपस में मत मिलाओ। तुम्हें खेत में दो प्रकार के बीज नहीं बोने चाहिये। तुम्हें दो प्रकार सी चीज़ो को मिलावट से बने वस्त्रों को नहीं पहनना चाहिए।
20. “यह हो सकता है कि किसी दूसरे व्यक्ति की दासी से किसी व्यक्ति का यौन सम्बन्ध हो। यदि यह दासी न तो खरीदी गई है न ही स्वतन्त्र कराई गई है तो उन्हें दण्ड दिया जाना चाहिए। किन्तु वे मारे नहीं जाएंगे। क्यों? क्योंकि स्त्री स्वतन्त्र नहीं थी।
21. उस व्यक्ति को अपने अपराध के लिए मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा को बलि चढ़ानी चाहिए। व्यक्ति को एक मेढ़ा दोषबलि के रूप में लाना चाहिए।
22. याजक उस व्यक्ति के पापों के भुगतान करने के लिए उपासना करेगा। याजक यहोवा को दोषबलि के रूप में मेढ़े को चढ़ाएगा। यह व्यक्ति के किए हुए पापों के लिए होगा। तब व्यक्ति अपने किए पाप के लिए क्षमा किया जाएगा।
23. “भविष्य में तुम अपने प्रदेश में प्रवेश करोगे। उस समय भोजन के लिए तुम अनेकों प्रकार के पेड़ लगाओगे। पेड़ लगाने के बाद पेड़ के किसी फल का उपयोग करने के लिए तुम्हें तीन वर्ष तक प्रतीक्षा करनी चाहिए। तुम्हें उससे पहले के फल का उपयोग नहीं करना चाहिए।
24. चौथे वर्ष उस पेड़ के फल यहोवा के होंगे। यह यहोवा की स्तुति के लिए पवित्र भेंट होगी।
25. तब, पाँचवें वर्ष तुम उस पेड़ का फल खासकते हो और पेड़ तुम्हारे लिए अधिक से अधिक फल पैदा करेगा। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!
26. “तुम्हें कोई चीज़, उसमें खून रहते तक नहीं खानी चाहिए। “तुम्हें भविष्यवाणी करने के लिये जादू या शगुन आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए।
27. “तुम्हें अपने सिर के बगल के बढ़े बालों को कटवाना नहीं चाहिए. तुम्हें अपनी दाढ़ी के किनारे नहीं कटवाने चाहिए।
28. किसी मरे व्यक्ति की याद को बनाए रखने के लिए तुम्हें अपने शरीर को काटना नहीं चाहिए। तुम्हें अपने ऊपर कोई चिन्ह गुदवाना नहीं चाहिए में यहोवा हूँ!
29. “तुम अपनी पुत्री को वेश्या मत बनने दो। इससे केवल यह पता चलता है कि तुम उसका आदर नहीं करते। तुम अपने देश में स्त्रियों को वेश्याएँ मत बनने दो। तुम अपने देश को इस प्रकार के पापों से मत भर जानेदो।
30. “तुम्हें मेरे विश्राम के विशेष दिनों में काम नहीं करना चाहिए। तुम्हें मेरे पवित्र स्थान का सम्मान करना चाहिए। मैं यहोवा हूँ!
31. “ओझाओं तथा भूतसिद्धियों के पास सलाह के लिए मत जाओ। उनके पास तुम मत जाओ, वे केवल तुम्हें अशुद्ध बनाएँगें। में तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ!”
32. “बूढ़े लोगों का सम्मान करो। जब वे कमरे में आएँ तो खड़े हो जाओ। अपने परमेश्वर का सम्मान करो। मैं यहोवा हूँ!”
33. “अपने देश में रहने वाले विदेशियों के साथ बुरा व्यवहार मत करो!
34. तुम्हें विदेशियों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा तुम अपने नागरिकों के साथ करते हो। तुम विदेशियों से वैसा प्यार करो जैसा अपने से करते हो। क्यों? क्योंकि तुम भी एक समय मिस्र में विदेशी थे। मैं तुम्हारा परमेशवर यहोवा हूँ!
35. “तम्हें न्याय करते समय लोगों के प्रति ईमानदार होना चाहिए। तुम्हें चीज़ों के नापने और तौलने में ईमानदार होना चाहिए।
36. तुम्हारी टोकरियाँ ठीक माप की होनी चाहिए। तुम्हारे नापने के पात्रों में द्रव की उचित मात्रा आनी चाहिए। तुम्हारे तराजू और तुम्हारे बाट चीज़ों को ठीक तौलने वाले होने चाहिए। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ! मैं तुम्हें मिस्र देश से बाहर लाया!
37. “तुम्हें मेरे सभी नियमों और निर्णयों को याद रखना चाहिए और तुम्हें उनका पालन करना चाहिए। मैं यहोवा हूँ!”

  Leviticus (19/27)