Judges (18/21)  

1. उस समय इस्राएल के लोगों का कोई राजा नहीं था और उस समय दान का परिवार समूह, अपना कहे जाने योग्य रहने के लिये भूमि की खोज में था। इस्राएल के अन्य परिवार समूहों ने पहले ही अपनी भूमि प्राप्त कर ली थी। किन्तु दान का परिवार समूह अभी अपनी भूमि नहीं पा सका था।
2. इसलिए दान के परिवार समूह ने पाँच सैनिकों को कुछ भूमि खोजने के लिये भेजा। वे रहने के लिये अच्छा स्थान खोजने गए। वे पाँचों व्यक्ति जोरा और एश्ताओल नगरों के थे। वे इसलिए चुने गए थे कि वे दान के सभी परिवार समूह में से थे। उनसे कहा गया था, “जाओ और किसी भूमि की खोज करो।” पाँचों व्यक्ति एप्रैम प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में आए। वे मीका के घर आए और वहीं रात बिताई।
3. जब पाँचों व्यक्ति मीका के घर के समीप आए तो उन्होंने लेवीवंश के परिवार समूह के युवक की आवाज सुनी। उन्होंने उसकी आवाज पहचानी, इसीलिये वे मीका के घर ठहर गए। उन्होंने लेवीवंशी युवक से पूछा, “तुम्हें इस स्थान पर कौन लाया है? तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम्हारा यहाँ क्या काम है?”
4. उसने उनसे कहा, “मीका ने मेरी नियुक्ति की है। मैं उसका याजक हूँ।”
5. उन्होंने उससे कहा, “कृपया परमेश्वर से हम लोगों के लिये कुछ मांगो। हम लोग कुछ जानना चाहते हैं। क्या हमारे रहने के लिये भूमि की खोज सफल होगी?”
6. याजक ने पाँचों व्यक्तियों से कहा, “शान्ति से जाओ। यहोवा तुम्हारा मार्ग दर्शन करेगा।”
7. इसलिए पाँचों व्यक्ति वहाँ से चले। वे लैश नगर को आए। उन्होंने देखा कि उस नगर के लोग सुरक्षित रहते हैं। उन पर सीदोन के लोगों का शासन था। सीदोन भूमध्यसागर के तट पर एक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली नगर था। वे शान्ति और सुरक्षा के साथ रहते थे। लोगों के पास हर एक चीज़ बहुत अधिक थी और उन पर प्रहार करने वाला पास में कोई शत्रु नहीं था और वे सीदोन नगर के लोगों से बहुत अधिक दूर रहते थे और अरामके लोगों से भी उनका कोई व्यापार नहीं था।
8. पाँचों व्यक्ति सोरा और एश्ताओल नगर को वापस लौटे। उनके सम्बन्धियों ने पूछा, “तुमने क्या पता लगाया?”
9. पाँचों व्यक्तियों ने उत्तर दिया, “हम लोगों ने प्रदेश देखा है और वह बहुत अच्छा है। हमें उन पर आक्रमण करना चाहिये। प्रतीक्षा न करो। हम चलें और उस प्रदेश को ले लें।
10. जब तुम उस प्रदेश में चलोगे तो देखोगे कि वहाँ पर बहुत अधिक भूमि है। वहाँ सब कुछ बहुत अधिक है। तुम यह भी पाओगे कि वहाँ के लोगों को आक्रमण की आशंका नहीं है। निश्चय ही परमेश्वर ने वह प्रदेश हमको दिया है।”
11. इसलिए दान के परिवार समूह के छ: सौ व्यक्तियों ने सोरा और एश्ताओल के नगरों को छोड़ा। वे युद्ध के लिये तैयार थे।
12. लैश नगर की यात्रा करते समय वे यहूदा प्रदेश में किर्य्यत्यारीम नगर में रूके। उन्होंने वहाँ डेरा डाला। यही कारण है किर्य्यत्यारीम के पश्चिम का प्रदेश आज तक महनेदान कहा जाता है।
13. उस स्थान से छ: सौ व्यक्तियों ने एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश की यात्रा की। वे मीका के घर आए।
14. तब उन पाँचों व्यक्तियों ने जिन्होंने लैश की खोज की थी, अपने भाईयों से कहा, “क्या तुम्हें मालूम है कि इन घरों में से एक में एपोद, अन्य घरेलू देवता, एक खुदाईवाली मूर्ति तथा एक ढाली गई मूर्ति है? अब तुम समझते हो कि तुम्हें क्या करना है। जाओ और उन्हें ले आओ।”
15. इसलिये वे मीका के घर रूके जहाँ लेवीवंशी युवक रहता था। उन्होंने युवक से पूछा कि वह प्रसन्न है।
16. दान के परिवार समूह के छ: सौ लोग फाटक के द्वार पर खड़े रहे। उनके पास सभी हथियार थे तथा वे युद्ध के लिये तैयार थे।
17. पाँचों गुप्तचर घर में गए। उन्होंने खुदाई वाली मूर्ति, एपोद, घरेलू मूर्तियों और ढाली गई मूर्ति को लिया। जब वे ऐसा कर रहे थे तब लेवीवंशी युवक याजक और युद्ध के लिये तैयार छः सौ व्यक्ति फाटक के द्वार के साथ खड़े थे। लेवीवंशी युवक याजक ने उनसे पूछा, “तुम क्या कर रहे हो?”
18. पाँचों गुप्तचर घर में गए। उन्होंने खुदाई वाली मूर्ति, एपोद, घरेलू मूर्तियों और ढाली गई मूर्ति को लिया। जब वे ऐसा कर रहे थे तब लेवीवंशी युवक याजक और युद्ध के लिये तैयार छः सौ व्यक्ति फाटक के द्वार के साथ खड़े थे। लेवीवंशी युवक याजक ने उनसे पूछा, “तुम क्या कर रहे हो?”
19. पाँचों व्यक्तियों ने कहा, “चुप रहो, एक शब्द भी न बोलो। हम लोगों के साथ चलो। हमारे पिता और याजक बनो। तुम्हें स्वयं चुनना चाहिये कि तुम किसे अधिक अच्छा समझते हो? क्या यह तुम्हारे लिये अधिक अच्छा है कि तुम एक व्यक्ति के याजक रहो? या उससे कहीं अधिक अच्छा यह है कि तुम इस्राएल के लोगों के एक पूरे परिवार समूह के याजक बनो?”
20. इससे लेवीवंशी प्रसन्न हुआ। इसलिये उसने एपोद, घरेलू मूर्तियों तथा खुदाई वाली मूर्ति को लिया। वह दान के परिवार समूह के उन लोगों के साथ गया।
21. तब दान परिवार समूह के छ: सौ व्यक्ति लेवीवंशी के साथ मुड़े और उन्होंने मीका के घर को छोड़ा। उन्होंने अपने छोटे बच्चों, जानवरों और अपनी सभी चीज़ों को अपने सामने रखा।
22. दान के परिवार समूह के लोग उस स्थान से बुहत दूर गए और तब मीका के पास रहने वाले लोग चिल्लाने लगे। तब उन्होंने दान के लोगों का पीछा किया और उन्हें जा पकड़ा।
23. मीका के लोग दान के लोगों पर बरस पड़ रहे थे। दान के लोग मुड़े। उन्होंने मीका से कहा, “समस्या क्या है? तुम चिल्ला क्यों रहे हो?”
24. मीका ने उत्तर दिया, “दान के तुम लोग, तुमने मेरी मूर्तियाँ ली है। मैंने उन मूर्तियों को अपने लिये बनाया है। तुमने हमारे याजक को भी ले लिया है। तुमने छोड़ा ही क्या है? तुम मुझे कैसे पूछ सकते हो, ‘समस्या क्या है?’”
25. दान के परिवार समूह के लोगों ने उत्तर दिया, “अच्छा होता, तुम हमसे बहस न करते। हममें से कुछ व्यक्ति गर्म स्वभाव के हैं। यदि तुम हम पर चिल्लाओगे तो वे गर्म स्वाभाव वाले लोग तुम पर प्रहार कर सकेत हैं। तुम और तुम्हारा परिवार मार डाला जा सकता है।”
26. तब दान के लोग मुड़े और अपने रास्ते पर आगे बढ़ गए। मीका जानता था कि वे लोग उसके लिये बहुत अधिक शक्तिशाली हैं। इसलिए वह घर लौट गया।
27. इस प्रकार दान के लोगों ने वे मूर्तियाँ ले लीं जो मीका ने बनाई थीं। उन्होंने मीका के साथ रहने वाले याजक को भी ले लिया। तब वे लैश पहुँचे। उन्होंने लैश में शान्तिपूर्वक रहने वाले लोगों पर आक्रमण किया। लैश के लोगों को आक्रमण की आशंका नहीं थी। दान के लोगों ने उन्हें अपनी तलवारों के घाट उतारा। तब उन्होंने नगर को जला डाला।
28. लैश में रहने वालों की रक्षा करने वाला कोई नहीं था। वे सीदोन के नगर से इतने अधिक दूर थे कि वे लोग इनकी सहायता नहीं कर सकते थे और लैश के लोग अराम के लोगों से कोई व्यवहारिक सम्बन्ध नहीं रखते थे। लैश नगर बेत्रहोब प्रदेश के अधिकार में एक घाटी में था। दान के लोगों ने उस स्थान पर एक नया नगर बसाया और वह नगर उनका निवास स्थान बना।
29. दान के लोगों ने लैश नगर का नया नाम रखा। उन्होंने उस नगर का नाम दान रखा। उन्होंने अपने पूर्वज दान के नाम पर नगर का नाम रखा। दान इस्राएल नामक व्यक्ति का पुत्र था। पुराने समय में इस नगर का नाम लैश था।
30. दान के परिवार समूह के लोगों ने दान नगर में मूर्तियों की स्थापना की। उन्होंने गेर्शोम के पुत्र योनातान को अपना याजक बनाया। गेर्शोम मूसा का पुत्र था। योनातान और उसके पुत्र दान के परिवार समूह के तब तक याजक रहे, जब तक इस्राएल के लोगों को बन्दी बना कर बाबेल नहीं ले जाया गया।
31. दान के लोगों ने उन मूर्तियों की पूजा की जिन्हें मीका ने बनाया था। वे उस पूरे समय उन मूर्तियों को पूजते रहे जब तक शिलों में परमेश्वर का स्थान रहा।

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