Joshua (8/24)  

1. तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “डरो नहीं। साहस न छोड़ो अपने सभी सैनिकों को ऐ ले जाओ। मैं ऐ के राजा को हराने में तुम्हारी सहायता करूँगा। मैं उसकी प्रजा को, उसके नगर को और उसकी धरती को तुम्हें दे रहा हूँ।
2. तुम ऐ और उसके राजा के साथ वही करोगे, जो तुमने यरीहो और उसके राजा के साथ किया। केवल इस बार तुम नगर की सारी सम्पत्ति और पशु—धन लोगे और अपने पास रखोगे। फिर तुम अपने लोगों के साथ उसका बँटवारा करोगे। अब तुम अपने कुछ सैनिकों को नगर के पीछे छिपने का आदेश दो।”
3. इसलिए यहोशू अपनी पूरी सेना को ऐ की ओर ले गया। तब यहोशू ने अपने सर्वोत्तम तीस हजार सैनिक चुने। उसने इन्हें रात को बाहर भेज दिया।
4. यहोशू ने उनको यह आदेश दिया: “मैं जो कह रहा हूँ, उसे सावधानी से सुनो। तुम्हें नगर के पीछे के क्षेत्र में छिपे रहना चाहिए। आक्रमण के समय की प्रतीक्षा करो। नगर से बहुत दूर न जाओ। सावधानी से देखते रहो और तैयार रहो।
5. मैं सैनिकों को अपने साथ नगर की ओर आक्रमण के लिये ले जाऊँगा। हम लोगों के विरुद्ध लड़ने के लिये नगर के लोग बाहर आएंगे। हम लोग मुड़ेंगे और पहले की तरह भाग खड़े होंगे।
6. वे लोग नगर से दूर तक हमारा पीछा करेंगे। वे लोग यह सोचेंगे कि हम लोग उनसे पहले की तरह भाग रहे हैं। इसलिए हम लोग भागेंगे वे तब तक हमारा पीछा करते रहेंगे, जब तक हम उन्हें नगर से बहुत दूर न ले जायेंगे।
7. तब तुम अपने छिपने के स्थान से आओगे और नगर पर अधिकार कर लोगे। तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हें जीतने की शक्ति देगा।
8. “तुम्हें वही करना चाहिए, जो यहोवा कहता है। मुझ पर दृष्टि रखो। मैं तुम्हें आक्रमण का आदेश दूँगा। तुम जब नगर पर अधिकार कर लो तब उसे जला दो।”
9. तब यहोशू ने उन सैनिकों को उनके छिपने की जगहों पर भेज दिया और प्रतीक्षा करने लगा। वे बेतेल और ऐ के बीच की एक जगह गए। यह जगह ऐ के पश्चिम में थी। यहोशू अपने लोगों के साथ रात भर वहीं रुका रहा।
10. अगले सवेरे यहोशू ने सभी को इकट्ठा किया। तब यहोशू और इस्राएल के प्रमुख सैनिको को ऐ ले गए।
11. यहोशू के सभी सैनिकों ने ऐ पर आक्रमण किया। वे नगर द्वार के सामने रुके। सेना ने अपना डेरा नगर के उत्तर में डाला। सेना और ऐ के बीच में एक घाटी थी।
12. यहोशू ने लगभग पाँच हजार सैनिकों को चुना। यहोशू ने इन्हें नगर के पश्चिम में छिपने के लिये उस जगह भेजा, जो बेतेल और ऐ के बीच में थी।
13. इस प्रकार यहोशू ने सैनिकों को युद्ध के लिये तैयार किया था। मुख्य डेरा नगर के उत्तर में था। दूसरे सैनिक पश्चिम में छिपे थे। उस रात यहोशू घाटी में उतरा।
14. बाद में, ऐ के राजा ने इस्राएल की सेना को देखा। राजा और उसके लोग उठे और जल्दी से इस्राएल की सेना से लड़ने के लिये आगे बढ़े। ऐ का राजा नगर के पूर्व यरदन घाटी की ओर बाहर गया। इसीलिए वह यह न जान सका कि नगर के पीछे सैनिक छिपे थे।
15. यहोशू और इस्राएल के सभी सैनिकों ने ऐ की सेना द्वारा अपने को पीछे धकेलने दिया। यहोशू और उसके सैनिकों ने पूर्व में मरुभूमि की ओर दौड़ना आरम्भ किया।
16. नगर के लोगों ने शोर मचाना आरम्भ किया और उन्होंने यहोशू और उसके सैनिकों का पीछा करना आरम्भ किया। सभी लोगों ने नगर छोड़ दिया।
17. ऐ और बेतेल के सभी लोगों ने इस्राएल की सेना का पीछा किया। नगर खुला छोड़ दिया गया, कोई भी नगर की रक्षा के लिए नहीं रहा।
18. यहोवा ने यहोशू से कहा, “अपने भाले को ऐ नगर की ओर किये रहो। मैं यह नगर तुमको दूँगा।” इसलिए यहोशु ने अपने भाले को ऐ नगर की ओर किया।
19. इस्राएल के छिपे सैनिकों ने इसे देखा। वे शीघ्रता से अपने छिपने के स्थानों से निकले और नगर की ओर तेजी से चल पड़े। वे नगर में घुस गए और उस पर अधिकार कर लिया। तब सैनिकों ने नगर को जलाने के लये आग लगानी आरम्भ की।
20. ऐ के लोगों ने मुड़कर देखा और अपने नगर को जलता पाया। उन्होंने धुआँ आकाश में उठते देखा। इसलिए उन्होंने अपना बल और साहस खो दिया। उन्होंने इस्राएल के लोगों का पीछा करन छोड़ा। इस्राएल के लोगों ने भागना बन्द किया। वे मुड़े और ऐ के लोगों से लड़ने चल पड़े। ऐ के लोगों के लिये भागने की कोई सुरक्षित जगह न थी।
21. यहोशू और उसके सैनिको ने देखा कि उसकी सेना ने नगर पर अधिकार कर लिया है। उन्होंने नगर से धुआँ उठते देखा। इस समय ही उन्होंने भागना बन्द किया। वे मुड़े औ ऐ के सैनिकों से युद्ध करने के लिये दौड़ पड़े।
22. तब वे सैनिक जो छिपे थे, युद्ध में सहायता के लिये नगर से बाहर निकल आए। ऐ के सैनिकों के दोनों ओर इस्राएल के सैनिक थे, ऐ के सैनिक जाल में फँस गए थे। इस्राएल ने उन्हें पराजित किया। वे तब कर लड़ते रहे जब तक ऐ का कोई भी पुरुष जीवित न रहा, उनमें से कोई भाग न सका।
23. किन्तु ऐ का राजा जीवित छोड़ दिया गया। यहोशू के सैनिक उसे उसके पास लाए।
24. युद्ध के समय, इस्राएल की सेना ने ऐ के सैनिकों को मैदानों और मरुभूमि में धकेल दिया और इस प्रकार इस्राएल की सेना ने ऐ से सभी सैनिकों को मारने का काम मैदानों और मरुभूमि में पूरा किया। तब इस्राएल के सभी सैनिक ऐ को लौटे। तब उन्होंने उन लोगों को जो नगर में जीवित थे, मार डाला।
25. उस दिन ऐ के सभी लोग मारे गए। वहाँ बारह हजार स्त्री पुरुष थे।
26. यहोशू ने अपने भाले को, ऐ की ओर अपने लोगों को नगर नष्ट करने का संकेत को बनाये रखा और यहोशू ने संकेत देना तब तक नहीं बन्द किया जब तक नगर के सभी लोग नष्ट नहीं हो गए।
27. इस्राएल के लोगों ने जानवरों और नगर की चीज़ों को अपने पास रखा। यह वही बात थी जिसे करने को यहोवा ने यहोशू को आदेश देते समय, कहा था।
28. तब यहोशू ने ऐ नगर को जला दिया। वह नगर सूनी चट्टानों का ढेर बन गया। यह आज भी वैसा ही है।
29. यहोशू ने ऐ के राजा को एक पेड़ पर फाँसी देकर लटका दिया। उसने उसे शाम तक पेड़ पर लटके रहने दिया। सूरज ढले यहोशू ने राजा के शव को पेड़ से उतारने की आज्ञा दी। उन्होंने उसके शरीर को नगर द्वार पर फेंक दिया और उसके शरीर को कई शिलाओं से ढक दिया। शिलाओं का वह ढेर आज तक वहाँ है।
30. तब यहोशू ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिए एक वेदी बनाई। उसने यह वेदी एबाल पर्वत पर बनायी।
31. यहोवा के सेवक मूसा ने इस्राएल के लोगों को बताया था कि वेदियाँ कैसे बनाई जायें। इसलिए याहोशू ने वेदी को वैसे ही बनाया जैसा मूसा के व्यवस्था की किताब में समझाया गया था। वेदी बिना कटे पत्थरों से बनी थी। उन पत्थरों पर कभी किसी औजार का उपयोग नहीं हुआ था। उन्होंने उस वेदी पर यहोवा को होमबलि और मेलबलि चढ़ाई।
32. उस स्थान पर यहोशू ने मूसा के नियमों को पत्थरों पर लिखा। उसने यह इस्राएल के सभी लोगों के देखने के लिये किया।
33. अग्रज (नेता), अधिकारी, न्यायाधीश और इस्राएल के सभी लोग पवित्र सन्दूक के चारों ओर खड़े थे। वे उन लेवीवंशी याजकों के सामने खड़े थे, जो यहोवा के साक्षीपत्र के पवित्र सन्दूक को ले चलते थे। इस्राएली और गैर इस्राएली सभी लोग वहाँ खड़े थे। आधे लोग एबाल पर्वत के सामने खड़े थे और अन्य आधे लोग गिरिज्जीम पर्वत के सामने खड़े थे। यहोवा के सेवक मूसा ने उनसे ऐसा करने को कहा था। मूसा ने उनसे ऐसा करने को इस आशीर्वाद के लिए कहा था।
34. तब यहोशू ने व्यवस्था के सब वचनों को पढ़ा। यहोशू ने आशीर्वाद और अभिशाप पढ़े। उसने सभी कुछ उस तरह पढ़ा, जिस तरह वह व्यवस्था की किताब में लिखा था।
35. इस्राएल के सभी लोग वहाँ इकट्ठे थे। सभी स्त्रियाँ, बच्चे और इस्राएल के लोगों के साथ रहने वाले सभी विदेशी वहाँ इकट्ठे थे और यहोशू ने मूसा द्वारा दिये गये हर एक आदेश को पढ़ा।

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