Jeremiah (49/52)  

1. यह सन्देश अम्मोनी लोगों के बारे में है। यहोवा कहता है, “अम्मोनी लोगों, क्या तुम सोचते हो कि इस्राएली लोगों के बच्चे नहीं है? क्या तुम समझते हो कि वहाँ माता—पिता के मरने के बाद उनकी भूमि लेने वाले कोई नहीं? शायद ऐसा ही है और इसलिए मल्काम ने गाद की भूमि ले ली है।”
2. यहोवा कहता है, “वह समय आएगा जब रब्बा अम्मोन के लोग युद्ध का घोष सुनेंगे। रब्बा अम्मोन नष्ट किया जाएगा। यह नष्ट इमारतों से ढकी पहाड़ी बनेगा और इसको चारों ओर के नगर जला दिये जाएंगे। उन लोगों ने इस्राएल के लोगों को वह भूमि छोड़ने को विवश किया। किन्तु इस्राएल के लोग उन्हें हटने के लिये विवश करेंगे।” यहोवा ने यह सब कहा।
3. “हेशबोन के लोगों, रोओ। क्योंकि ऐ नगर नष्ट कर दिया गया है। रब्बा अम्मोन की स्त्रियों, रोओ। अपने शोक वस्त्र पहनो और रोओ। सुरक्षा के लिये नगर को भागो। क्यो क्योंकि शत्रु आ रहा है। वे मल्कान देवता को ले जाएंगे और वे मल्कान के याजकों और अधिकारियों को ले जाएंगे।
4. तुम अपनी शक्ति की डींग मारते हो। किन्तु अपना बल खो रहे हो। तुम्हें विश्वास है कि तुम्हारा धन तुम्हें बचाएगा। तुम समझते हो कि तुम पर कोई आक्रमण करने की सोच भी नहीं सकता।”
5. किन्तु सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है, “मैं हर ओर से तुम पर विपत्ति ढाऊँगा। तुम सब भाग खड़े होगे, फिर कोई भी तुम्हें एक साथ लाने में समर्थ न होगा।”
6. “अम्मोनी लोग बन्दी बनाकर दूर पहुँचाए जायेंगे। किन्तु समय आएगा जब मैं अम्मोनी लोगों को वापस लाऊँगा।” यह सन्देश यहोवा का है।
7. यह सन्देश एदोम के बारे में है: सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “क्या तेमान नगर में बुद्धि बची नहीं रह गई है? क्या एदोम के बुद्धिमान लोग अच्छी सलाह देने योग्य नहीं रहे? क्या वे अपनी बुद्धिमत्ता खो चुके हैं?
8. ददान के निवासियों भागो, छिपो। क्यों क्योंकि मैं एसाव को उसके कामों के लिये दण्ड दूँगा।
9. “यदि अंगूर तोड़ने वाले आते हैं और अपने अंगूर के बागों से अंगूर तोड़ते हैं और बेलों पर कुछ अंगूर छोड़ ही देते हैं। यदि चोर रात को आते हैं तो वे उतना ही ले जाते हैं जितना उन्हें चाहिये सब नहीं।
10. किन्तु मैं एसाव से हर चीज़ ले लूँगा। मैं उसके सभी छिपने के स्थान ढूँढ डालूँगा। वह मुझसे छिपा नहीं रह सकेगा। उसके बच्चे, सम्बन्धी और पड़ोसी मरेंगे।
11. कोई भी व्यक्ति उनके बच्चों की देख—रेख के लिये नहीं बचेगा। उसकी पत्नियाँ किसी भी विश्वासपात्र को नहीं पाएंगी।”
12. यह वह है, जो यहोवा कहता है, “कुछ व्यक्ति दण्ड के पात्र नहीं होते, किन्तु उन्हें कष्ट होता है। किन्तु एदोम तुम दण्ड पाने योग्य हो, अत: सचमुच तुमको दण्ड मिलेगा। जो दण्ड तुम्हें मिलना चाहिये, उससे तुम बचकर नहीं निकल सकते। तुम्हें दण्ड मिलेगा।”
13. यहोवा कहता है, “मैं अपनी शक्ति से यह प्रतिज्ञा करता हूँ, मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि बोस्रा नगर नष्ट कर दिया जाएगा। वह नगर बरबाद चट्टानों का ढेर बनेगा। जब लोग अन्य नगरों का बुरा होना चाहेंगे तो वे इस नगर को उदाहरण के रूप में याद करेंगे। लोग उस नगर का अपमान करेंगे और बोस्रा के चारों ओर के नगर सदैव के लिये बरबाद हो जाएंगे।”
14. मैंने एक सन्देश यहोवा से सुना। यहोवा ने राष्ट्रों को सन्देश भेजा। सन्देश यह है: “अपनी सेनाओं को एक साथ एकत्रित करो! युद्ध के लिये तैयार हो जाओ। एदोम राष्ट्र के विरुद्ध कुच करो।
15. एदोम, मैं तुम्हें महत्वहीन बनाऊँगा। हर एक व्यक्ति तुमसे घृणा करेगा।
16. एदोम, तुमने अन्य राष्ट्रों को आतंकित किया है। अत: तुमने समझा कि तुम महत्वपूर्ण हो। किन्तु तुम मूर्ख बनाए गए थे। तुम्हारे घमण्ड ने तुझे धोखा दिया है। एदोम, तुम ऊँचे पहाड़ियों पर बसे हो, तुम बड़ी चट्टानों और पहाड़ियों के स्थानों पर सुरक्षित हो। किन्तु यदि तुम अपना निवास उकाब के घोंसले की ऊँचाई पर ही क्यों न बनाओ, तो भी मैं तुझे पा लूँगा और मैं वहाँ से नीचे ले आऊँगा।” यहोवा ने यह सब कहा।
17. “एदोम नष्ट किया जाएगा। लोगों को नष्ट नगरों को देखकर दु:ख होगा। लोग नष्ट नगरों पर आश्चर्य से सीटी बजाएंगे।
18. एदोम, सदोम, अमोरा और उनके चारों ओर के नगरों जैसा नष्ट किया जाएगा। कोई व्यक्ति वहाँ नहीं रहेगा।” यह सब यहोवा ने कहा।
19. “कभी यरदन नदी के समीप की घनी झाड़ियों से एक सिंह निकलेगा और वह सिंह उन खेतों में जाएगा जहाँ लोग अपनी भेड़ें और अपने पशु रखते हैं। मैं उस सिंह के समान हूँ। मैं एदोम जाऊँगा और मैं उन लोगों को आतंकित करूँगा। मैं उन्हें भगाऊँगा। उनका कोई युवक मुझको नहीं रोकेगा। कोई भी मेरे समान नहीं है। कोई भी मुझको चुनौती नहीं देगा। उनके गडेरियों (प्रमुखों) में से कोई भी हमारे विरुद्ध खड़ा नहीं होगा।”
20. अत: यहोवा ने एदोम के विरुद्ध जो योजना बनाई है उसे सुनो। तेमान में लोगों के साथ जो करने का निश्चय यहोवा ने किया है उसे सुनो। शत्रु एदोम की रेवड़ (लोग) के बच्चों को घसीट ले जाएगा। उन्होंने जो कुछ किया उससे एदोम के चरागाह खाली हो जायेगें।
21. एदोम के पतन के धमाके से पृथ्वी काँप उठेगी। उनका रूदन लगातार लाल सागर तक सुनाई पड़ेगा।
22. यहोवा उस उकाब की तरह मंडरायेगा जो अपने शिकार पर टूटता है। यहोवा बोस्रा नगर पर अपने पंख उकाब के समान फैलाया है। उस समय एदोम के सैनिक बहुत आतंकित होंगे। वे प्रसव करती स्त्री की तरह भय से रोएंगे।
23. यह सन्देश दमिश्क नगर के लिये है: “हमात और अर्पद नगर भयभीत हैं। वे डरे हैं क्योंकि उन्होंने बुरी खबर सुनी है। वे साहसहीन हो गए हैं। वे परेशान और आतंकित हैं।
24. दमिश्क नगर दुर्बल हो गया है। लोग भाग जाना चाहते हैं। लोग भय से घबराने को तैयार बैठे हैं। प्रसव करती स्त्री की तरह लोग पीड़ा और कष्ट का अनुभव कर रहे हैं।
25. “दमिश्क प्रसन्न नगर है। लोगों ने अभी उस तमाशे के नगर को नहीं छोड़ा है।
26. अत: युवक इस नगर के सार्वजनिक चौराहे में मरेंगे। उस समय उसके सभी सैनिक मार डाले जाएंगे।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कुछ कहा है।
27. “मैं दमिश्क की दीवारों में आग लगा दूँगा। वह आग बेन्नहदद के दृढ़ दुर्गो को पूरी तरह जलाकर राख कर देगी।”
28. यह सन्देश केदार के परिवार समूह और हासोर के शासकों के बारे में है। बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने उन्हें पराजित किया था। यहोवा कहता है, “जाओ और केदार के परिवार समूह पर आक्रमण करो। पूर्व के लोगों को नष्ट कर दो।
29. उनके डेरे और रेवड़ ले लिये जाएंगे। उनके डेरे और सभी चीज़ें ले जायी जायेंगी। उनका शत्रु ऊँटों को ले लेगा। लोग उनके सामने चिल्लाएंगे: ‘हमारे चारों ओर भयंकर घटनायें घट रही है।’
30. शीघ्र ही भाग निकलो! हासोर के लोगों, छिपने का ठीक स्थान ढूँढो।” यह सन्देश यहोवा का है। “नबूकदनेस्सर ने तुम्हारे विरुद्ध योजना बनाई है। उसने तुम्हें पराजित करने की चुस्त योजना बनाई है।
31. “एक राष्ट्र है, जो खुशहाल है। उस राष्ट्र को विश्वास है कि उसे कोई नहीं हरायेगा। उस राष्ट्र के पास सुरक्षा के लिये द्वार और रक्षा प्राचीर नहीं है। वे लोग अकेले रहते हैं।” यहोवा कहता है, “उस राष्ट्र पर आक्रमण करो।”
32. “शत्रु उनके ऊँटों और पशुओं के बड़े झुण्डों को चुरा लेगा। शत्रु उनके विशाल जानवरों के समूह को चुरा लेगा। मैं उन लोगों को पृथ्वी के हर भाग में भाग जाने पर विवश करूँगा जिन्होंने अपने बालों के कोनों को कटा रखा है। और मैं उनके लिये चारों ओर से भयंकर विपत्तियाँ लाऊँगा।” यह सन्देश यहोवा का है।
33. “हासोर का प्रदेश जंगली कुत्तों के रहने का स्थान बनेगा। यह सदैव के लिये सूनी मरुभूमि बनेगा। कोई व्यक्ति वहाँ नहीं रहेगा कोई व्यक्ति उस स्थान पर नहीं रहेगा।”
34. जब सिदकिय्याह यहूदा का राजा था तब उसके राज्यकाल के आरम्भ में यिर्मयाह नबी ने यहोवा का एक सन्देश प्राप्त किया। यह सन्देश एलाम राष्ट्र के बारे में है।
35. सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “मैं एलाम का धनुष बहुत शीघ्र तोड़ दूँगा। धनुष एलाम का सबसे शक्तिशाली अस्त्र है।
36. मैं एलाम पर चतुर्दिक तूफान लाऊँगा। मैं उन्हें आकाश के चारों दिशाओं से लाऊँगा। मैं एलाम के लोगों को पृथ्वी पर सर्वत्र भेजूँगा जहाँ चतुर्दिक आँधिया चलती हैं और एलाम के बन्दी हर राष्ट्र में जाएंगे।
37. मैं एलाम को, उनके शत्रुओं के देखते, टुकड़ों में बाँट दूँगा। मैं एलाम को उनके सामने तोड़ूँगा जो उसे मार डालना चाहते हैं। मैं उन पर भयंकर विपत्तियाँ लाऊँगा। मैं उन्हें दिखाऊँगा कि मैं उन पर कितना क्रोधित हूँ।” यह सन्देश यहोवा का है। “मैं एलाम का पीछा करने को तलवार भेजूँगा। तलवार उनका पीछा तब तक करेगी जब तक मैं उन सबको मार नहीं डालूँगा।
38. मैं एलाम को दिखाऊँगा कि मैं व्यवस्थापक हूँ और मैं उसके राजाओं तथा पदाधिकारियों को नष्ट कर दूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है।
39. “किन्तु भविष्य में मैं एलाम के लिये सब अच्छा घटित होने दूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है।

  Jeremiah (49/52)