Jeremiah (35/52)  

1. जब यहोयाकीम यहूदा का राजा था तब यहोवा का सन्देश यिर्मयाह का मिला। यहोयाकीम राजा योशिय्याह का पुत्र था। यहोवा का सन्देश यह था:
2. “यिर्मयाह, रेकाबी परिवार के पास जाओ। उन्हें यहोवा के मन्दिर के बगल के कमरों में से एक में आने के लिये निमन्त्रित करो। उन्हें पीने के लिये दाखमधु दो।”
3. अत: मैं (यिर्मयाह) याजन्याह से मिलने गया। याजन्याह उस यिर्मयाह नामक एक व्यक्ति का पुत्र था जो हबस्सिन्याह नामक व्यक्ति का पुत्र था और मैं याजन्याह के सभी भाइयों और पुत्रों से मिला। मैंने पूरे रेकाबी परिवार को एक साथ इकट्ठा किया।
4. तब मैं रेकाबी परिवार को यहोवा के मन्दिर में ले आया। हम लोग उस कमरे में गये जो हानान के पुत्रों का कहा जाता है। हानान यिग्दल्याह नामक व्यक्ति का पुत्र था। हानान परमेश्वर का व्यक्ति था। वह कमरा उस कमरे से अगला कमरा था जिसमें यहूदा के राजकुमार ठहरते थे। यह शल्लूम के पुत्र मासेयाह के कमरे के ऊपर था। मासेयाह मन्दिर में द्वारपाल था।
5. तब मैंने (यिर्मयाह) रेकाबी परिवार के सामने कुछ प्यालों के साथ दाखमधु से भरे कुछ कटोरे रखे और मैंने उनसे कहा, “थोड़ी दाखमधु पीओ।”
6. किन्तु रेकाबी लोगों ने उत्तर दिया, “हम दाखमधु कभी नहीं पीते। हम इसलिये नहीं पीते क्योंकि हमारे पूर्वज रेकाबी के पुत्र योनादाब ने यह आदेश दिया था: ‘तुम्हें और तुम्हारे वंशजों को दाखमधु कभी नहीं पीनी चाहिये
7. तुम्हें कभी घर बनाना, पौधे रोपना और अंगूर की बेल नहीं लगानी चाहिये। तुम्हें उनमे से कुछ भी नहीं करना चाहिये। तुम्हें केवल तम्बुओं में रहना चाहिये। यदि तुम ऐसा करोगे तो उस प्रदेश में अधिक समय तक रहोगे जहाँ तुम एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हो।’
8. इसलिये हम रेकाबी लोग उन सब चीज़ों का पालन करते हैं जिन्हें हमारे पूर्वज योनादाब ने हमें आदेश दिया है।
9. हम दाखमधु कभी नहीं पीते और हमारी पत्नियाँ पुत्र और पुत्रियाँ दाखमधु कभी नहीं पीते। हम रहने के लिये घर कभी नहीं बनाते और हम लोगों के अंगूर के बाग या खेत कभी नहीं होते और हम फसलें कभी नहीं उगाते।
10. हम तम्बूओं में रहे हैं और वह सब माना है जो हमारे पूर्वज योनादाब ने आदेश दिया है।
11. किन्तु जब बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने यहूदा देश पर आक्रमण किया तब हम लोग यरूशलेम को गए। हम लोगों ने आपस में कहा, ‘आओ हम यरूशलेम नगर में शरण लें जिससे हम कसदी और अरामी सेना से बच सकें।’ अत: हम लोग यरूशलेम में ठहर गए।”
12. तब यहोवा का सन्देश यिर्मयाह को मिला:
13. “इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है: “यिर्मयाह, जाओ यहूदा एवं यरूशलेम के लोगों को यह सन्देश दो: ‘लोगों, तुम्हें सबक सीखना चाहिये और मेरे सन्देश का पालन करना चाहिये।’ यह सन्देश यहोवा का है।
14. ‘रेकाब के पुत्र योनादाब ने अपने पुत्रों को आदेश दिया कि वे दाखमधु न पीएं, और उस आदेश का पालन हुआ है। आज तक योनादाब के वंशजों ने अपने पूर्वज के आदेश का पालन किया है। वे दाखमधु नहीं पीते। किन्तु मैं तो यहोवा हूँ और यहूदा के लोगों, मैंने तुम्हें बार बार सन्देश दिया है, किन्तु तुमने उसका पालन नहीं किया।
15. इस्राएल और यहूदा के लोगों, मैंने अपने सेवक नबियों को तुम्हारे पास भेजा। मैंने उन्हें तुम्हारे पास बार बार भेजा। उन नबियों ने तुमसे कहा, “इस्राएल और यहूदा के लोगों, तुम सब को बुरा करना छोड़ देना चाहिये। तुम्हें अच्छा होना चाहिये। अन्य देवताओं का अनुसरण न करो। उन्हें न पूजो, न ही उनकी सेवा करो। यदि तुम मेरी आज्ञा का पालन करोगे तो तुम उस देश में रहोगे जिसे मैंने तुम्हें और तुम्हारे पूर्वजों को दिया है।” किन्तु तुम लोगों ने मेरे सन्देश पर ध्यान नहीं दिया।
16. योनादाब के वंशजों ने अपने पूर्वज के आदेश को, जो उसने दिया, माना। किन्तु यहूदा के लोगों ने मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया।’
17. “अत: इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है: ‘मैंने कहा कि यहूदा और यरूशलेम के लिये बहुत सी बुरी घटनायें घटेंगी। मैं उन बुरी घटनाओं को शीघ्र ही घटित कराऊँगा। मैंने उन लोगों को समझाया, किन्तु उन्होंने मेरी एक न सुनी। मैंने उन्हें पुकारा, किन्तु उन्होंने उत्तर नहीं दिया।’”
18. तब यिर्मयाह ने रेकाबी परिवार के लोगों से कहा, “इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, ‘तुम लोगों ने अपने पूर्वज योनादाब के आदेश का पालन किया है। तुमने योनादाब की सारी शिक्षाओं का अनुसरण किया है। तुमने वह सब किया है जिसके लिये उसने आदेश दिया था।’
19. इसलिये इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है: ‘रेकाब के पुत्र योनादाब के वंशजों में से एक ऐसा सदैव होगा जो मेरी सेवा करेगा।’”

  Jeremiah (35/52)