Isaiah (60/66)  

1. “हे यरूशलेम, हे मेरे प्रकाश, तू उठ जाग! तेरा प्रकाश (परमेश्वर) आ रहा है! यहोवा की महिमा तेरे ऊपर चमकेगी।
2. आज अन्धेरे ने सारा जग और उसके लोगों को ढक रखा है। किन्तु यहोवा का तेज प्रकट होगा और तेरे ऊपर चमकेगा। उसका तेज तेरे ऊपर दिखाई देगा।
3. उस समय सभी देश तेरे प्रकाश (परमेश्वर) के पास आयेंगे। राजा तेरे भव्य तेज के पास आयेंगे।
4. अपने चारों ओर देख! देख, तेरे चारों ओर लोग इकट्ठे हो रहे हैं और तेरी शरण में आ रहे हैं। ये सभी लोग तेरे पुत्र हैं जो दूर अति दूर से आ रहे हैं और उनके साथ तेरी पुत्रियाँ आ रही हैं।
5. “ऐसा भविष्य में होगा और ऐसे समय में जब तुम अपने लोगों को देखोगे तब तुम्हारे मुख खुशी से चमक उठेंगे। पहले तुम उत्तेजित होगे किन्तु फिर आनन्दित होवोगे। समुद्र पार देशों की सारी धन दौलत तेरे सामने धरी होगी। तेरे पास देशों की सम्पत्तियाँ आयेंगी।
6. मिद्यान और एपा देशों के ऊँटों के झुण्ड तेरी धरती को ढक लेंगे। शिबा के देश से ऊँटों की लम्बी पंक्तियाँ तेरे यहाँ आयेंगी। वे सोना और सुगन्ध लायेंगे। लोग यहोवा के प्रशंसा के गीत गायेंगे।
7. केदार की भेड़ें इकट्ठी की जायेंगी और तुझको दे दी जायेंगी। नबायोत के मेढ़े तेरे लिये लाये जायेंगे। वे मेरी वेदी पर स्वीकर करने के लायक बलियाँ बनेंगे और मैं अपने अद्भुत मन्दिर और अधिक सुन्दर बनाऊँगा।
8. इन लोगों को देखो! ये तेरे पास ऐसी जल्दी में आ रहे हैं जैसे मेघ नभ को जल्दी पार करते हैं। ये ऐसे दिख रहे हैं जैसे अपने घोंसलों की ओर उड़ते हुए कपोत हों।
9. सुदूर देश मेरी प्रतिक्षा में हैं। तर्शीश के बड़े—बड़े जलयान जाने को तत्पर है। ये जलयान तेरे वंशजों को दूर—दूर देशों से लाने को तत्पर हैं और इन जहाजों पर उनका स्वर्ण उनके साथ आयेगा और उनकी चाँदी भी ये जहाज लायेंगे। ऐसा इसलिये होगा कि तेरे परमेश्वर यहोवा का आदर हो। ऐसा इसलिये होगा कि इस्राएल का पवित्र अद्भुत काम करता है।
10. दूसरे देशों की सन्तानें तेरी दीवारें फिर उठायेंगी और उनके शासक तेरी सेवा करेंगे। “ब मैं तुझसे क्रोधित हुआ था, मैंने तुझको दु:ख दिया किन्तु अब मेरी इच्छा है कि तुझ पर कृपालु बनूँ। इसलिये तुझको मैं चैन दूँगा।
11. तेरे द्वार सदा ही खुले रहेंगे। वे दिन अथवा रात में कभी बन्द नहीं होंगे। देश और राजा तेरे पास धन लायेंगे।
12. कुछ जाति और कुछ राज्य तेरी सेवा नहीं करेंगे किन्तु वे जातियाँ और राज्य नष्ट हो जायेंगे।
13. लबानोन की सभी महावस्तुएं तुझको अर्पित की जायेंगी। लोग तेरे पास देवदार, तालीशपत्र और सरों के पेड़ लायेंगे। यह स्थान मेरे सिहांसन के सामने एक चौकी सा होगा और मैं इसको बहुत मान दूँगा।
14. वे ही लोग जो पहले तुझको दु:ख दिया करते थे, तेरे सामने झुकेंगे। वे ही लोग जो तुझसे घृणा करते थे, तेरे चरणों में झुक जायेंगे। वे ही लोग तुझको कहेंगे, ‘यहोवा का नगर,’ ‘सिय्योन नगर इस्राएल के पवित्र का है।’
15. “फिर तुझको अकेला नहीं छोड़ा जायेगा। फिर कभी तुझसे घृणा नहीं होगी। तू फिर से कभी भी उजड़ेगी नहीं। तू महान रहेगी, तू सदा और सर्वदा आनन्दित रहेगी।
16. तेरी जरूरत की वस्तुएँ तुझको जातियाँ प्रदान करेंगी। यह इतना ही सहज होगा जैसे दूध मुँह बच्चे को माँ का दूध मिलता है। वैसे ही तू शासकों की सम्पत्तियाँ पियेगी। तब तुझको पता चलेगा कि यह मैं यहोवा हूँ जो तेरी रक्षा करता है। तुझको पता चल जायेगा कि वह याकूब का महामहिम तुझको बचाता है।
17. फिलहाल तेरे पास ताँबा है परन्तु इसकी जगह मैं तुझको सोना दूँगा। अभी तो तेरे पास लोहा है, पर उसकी जगह तुझे चाँदी दूँगा। तेरी लकड़ी की जगह मैं तुझको ताँबा दूँगा। तेरे पत्थरों की जगह तुझे लोहा दूँगा और तुझे दण्ड देने की जगह मैं तुझे सुख चैन दूँगा। जो लोग अभी तुझको दु:ख देते हैं वे ही लोग तेरे लिये ऐसे काम करेंगे जो तुझे सुख देंगे।
18. तेरे देश में हिंसा और तेरी सीमाओं में तबाही और बरबादी कभी नहीं सुनाई पड़ेगी। तेरे देश में लोग फिर कभी तेरी वस्तुएँ नहीं चुरायेंगे। तू अपने परकोटों का नाम ‘उद्धार’ रखेगा और तू अपने द्वारों का नाम ‘स्तुति’ रखेगा।
19. “दिन के समय में तेरे लिये सूर्य का प्रकाश नहीं होगा और रात के समय में चाँद का प्रकाश तेरी रोशनी नहीं होगी। क्यों क्योंकि यहोवा ही सदैव तेरे लिये प्रकाश होगा। तेरा परमेश्वर तेरी महिमा बनेगा।
20. तेरा ‘सूरज’ फिर कभी भी नहीं छिपेगा। तेरा ‘चाँद’ कभी भी काला नहीं पड़ेगा। क्यों क्योंकि यहोवा का प्रकाश सदा सर्वदा तेरे लिये होगा और तेरा दु:ख का समय समाप्त हो जायेगा।
21. “तेरे सभी लोग उत्तम बनेंगे। उनको सदा के लिये धरती मिल जायेगी। मैंने उन लोगों को रचा है। वे अद्भुत पौधे मेरे अपने ही हाथों से लगाये हुए हैं।
22. छोटे से छोटा भी विशाल घराना बन जायेगा। छोटे से छोटा भी एक शक्तिशाली राष्ट्र बन जायेगा। जब उचित समय आयेगा, मैं यहोवा शीघ्र ही आ जाऊँगा और मैं ये सभी बातें घटित कर दूँगा।”

  Isaiah (60/66)