Isaiah (17/66)  

1. यह दमिश्क के लिये दु:खद सन्देश है। यहोवा कहता है कि दमिश्क के साथ में बातें घटेंगी: “दमिश्क जो आज नगर है किन्तु कल यह उजड़ जायेगा। दमिश्क में बस टूटे फूटे भवन ही बचेंगे।
2. अरोएर के नगरों को लोग छोड़ जायेंगे। उन उजड़े हुए नगरों में भेड़ों की रेवड़े खुली घूमेंगी। वहाँ कोई उनको डराने वाला नहीं होगा।
3. एप्रैम (इस्राएल) के गढ़ नगर ध्वस्त हो जायेंगे। दमिश्क के शासन का अन्त हो जायेगा। जैसे घटनाएँ इस्राएल में घटती हैं वैसी ही घटनाएँ अराम में भी घटेंगी। सभी महत्त्वपूर्ण व्यक्ति उठा लिये जायेंगे।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने बताया कि ये बातें घटेंगी।
4. उन दिनों याकूब की (इस्राएल की) सारी सम्पति चली जायेगी। याकूब वैसा हो जायेगा जैसा व्यक्ति रोग से दुबला हो।
5. “वह समय ऐसा होगा जैसे रपाईम घाटी में फसल काटने के समय होता है। मजदूर उन पौधों को इकट्ठा करते हैं जो खेत में उपजते हैं। फिर वे उन पौधों की बालों को काटते हैं और उनसे अनाज के दाने निकालते हैं।
6. “वह समय उस समय के भी समान होगा जब लोग जैतून की फसल उतारते हैं। लोग जैतून के पेड़ों से जैतून झाड़ते हैं। किन्तु पेड़ की चोटी पर प्राय: कुछ फल तब भी बचे रह जाते हैं। चोटी की कुछ शाखाओं पर चार पाँच जैतून के फल छूट जाते हैं। उन नगरों में भी ऐसा ही होगा।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने ये बातें कही थीं।
7. उस समय लोग परमेश्वर की ओर निहारेंगे। परमेश्वर, जिसने उनकी रचना की है। वे इस्राएल के पवित्र की ओर सहायता के लिये देखेगें।
8. लोग उन वेदियों पर विश्वास करना समाप्त कर देंगे जिनको उन्होंने स्वयं अपने हाथों से बनाया था। अशेरा देवी के जिन खम्भों और धूप जलाने की वेदियों को उन्होंने अपनी उँगलियों से बनाया था, वे उन पर भरोसा करना बंद कर देंगे।
9. उस समय, सभी गढ़—नगर उजड़ जायेंगे। वे नगर ऐसे पर्वत और जंगलों के समान हो जायेंगे, जैसे वे इस्राएलियों के आने से पहले हुआ करते थे। बीते हुए दिनों में वहाँ से सभी लोग दूर भाग गये थे क्योंकि इस्राएल के लोग वहाँ आ रहे थे। भविष्य में यह देश फिर उजड़ जायेगा।
10. ऐसा इसलिये होगा क्योंकि तुमने अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर को भुला दिया है। तुमने यह याद नहीं रखा कि परमेश्वर ही तुम्हारा शरण स्थल है। तुम सुदूर स्थानों से कुछ बहुत अच्छी अँगूर की बेलें लाये थे। तुम अंगूर की बेलों को रोप सकते हो किन्तु उन पौधों में बढ़वार नहीं होगी।
11. एक दिन तुम अपनी अँगूर की उन बेलों को रोपोगे और उनकी बढ़वार का जतन करोगे। अगले दिन, वे पौधे बढ़ने भी लगेंगे किन्तु फसल उतारने के समय जब तुम उन बेलों के फल इकट्ठे करने जाओगे तब देखोगे कि सब कुछ सूख चुका है। एक बीमारी सभी पौधों का अंत कर देगी।
12. बहुत सारे लोगों का भीषणा नाद सुनो! यह नाद सागर के नाद जैसा भयानक है। लोगों का शोर सुनो। ये शोर ऐसा है जैसे सागर की लहरे टकरा उठती हो।
13. लोग उन्हीं लहरों जैसे होंगे। परमेश्वर उन लोगों को झिड़की देगा, और वे दूर भाग जायेंगे। लोग उस भूसे के समान होंगे जिस की पहाड़ी पर हवा उड़ाती फिरती है। लोग वैसे हो जायेंगे जैसे आँधी उखाड़े जा रही है। आँधी उसे उड़ाती है और दूर ले जाती है।
14. उस रात लोग बहुत ही डर जायेंगे। सुबह होने से पहले, कुछ भी नहीं बच पायेगा। सो शत्रुओं को वहाँ कुछ भी हाथ नहीं आयेगा। वे हमारी धरती की ओर आयेंगे, किन्तु वहाँ भी कुछ नहीं होगा।

  Isaiah (17/66)